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Saturday, 4 April 2015
अनमोल विचार - चाणक्य |
अनमोल विचार -
चाणक्य |
Quote 161:
सिद्ध हुए कार्ये का प्रकाशन करना ही उचित कर्तव्य होना चाहिए।
Quote 162:
संयोग से तो एक कीड़ा भी स्तिथि में परिवर्तन कर देता है।
Quote 163:
अज्ञानी व्यक्ति के कार्य को बहुत अधिक महत्तव नहीं देना चाहिए।
Quote 164:
ज्ञानियों के कार्य भी भाग्य तथा मनुष्यों के दोष से दूषित हो जाते है।
Quote 165:
भाग्य का शमन शांति से करना चाहिए।
Quote 166:
मनुष्य के कार्ये में आई विपति को कुशलता से ठीक करना चाहिए।
Quote 167:
मुर्ख लोग कार्यों के मध्य कठिनाई उत्पन्न होने पर दोष ही निकाला करते है।
Quote 168:
कार्य की सिद्धि के लिए उदारता नहीं बरतनी चाहिए।
Quote 169:
दूध पीने के लिए गाय का बछड़ा अपनी माँ के थनों पर प्रहार करता है।
Quote 170:
जिन्हें भाग्य पर विश्वास नहीं होता, उनके कार्य पुरे नहीं होते।
Quote 180:
प्रयत्न न करने से कार्य में विघ्न पड़ता है।
Quote 181:
जो अपने कर्तव्यों से बचते है, वे अपने आश्रितों परिजनों का भरण-पोषण नहीं कर पाते।
Quote 182:
जो अपने कर्म को नहीं पहचानता, वह अँधा है।
Quote 183:
प्रत्यक्ष और परोक्ष साधनों के अनुमान से कार्य की परीक्षा करें।
Quote 184:
निम्न अनुष्ठानों (भूमि, धन-व्यापार उधोग-धंधों) से आय के साधन भी बढ़ते है।
Quote 185:
विचार न करके कार्ये करने वाले व्यक्ति को लक्ष्मी त्याग देती है।
Quote 186:
परीक्षा किये बिना कार्य करने से कार्य विपत्ति में पड़ जाता है।
Quote 187:
परीक्षा करके विपत्ति को दूर करना चाहिए।
Quote 188:
अपनी शक्ति को जानकार ही कार्य करें।
Quote 189:
स्वजनों को तृप्त करके शेष भोजन से जो अपनी भूख शांत करता है, वाह अमृत भोजी कहलाता है।
Quote 190:
कायर व्यक्ति को कार्य की चिंता नहीं होती।
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