Tuesday, 7 April 2015

भजन गंगा को निशुल्क डाउनलोड करें , निशुल्क .

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कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे निर्धन के घर भी आ जाना

जो रूखा सुखा दिया हमें उसका भोग लगा जाना

कभी...........

ना छत्र बना सका सोने का ना चुनरी घर मेरे तारो जडी

ना पेडे बर्फी है मॉ श्रदा है नयन बिछाय खडी

इस अर्जी को ना ठुकरा जाना

जिस घर के तेल नही वहॉ ज्योति जलाउ मे कैसे

मेरा खुद ही बिछोना धरती पर तेरी चौकी सजाउ मे कैसे

जहॉ में बैठा वही बैठ के मॉ बच्चो का दिल बहला जाना

तु भाग्य बनाने वाली है मॉ में तकदीर का मारा हू

हे दात्री सम्भालो भिखारी को आखिर तेरी आंखाका तारा हुं

मै दोषी तु निर्दाष है मां मेरे दोषो को तु भुला जाना जो रूखा

सुखा दिया हमें उसका भोग लगा जाना

कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे निर्धन के घर भी आ जाना

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