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Saturday, 4 April 2015
चाणक्य की चित्र
चाणक्य की चित्र
Quote 231:
मछेरा जल में प्रवेश करके ही कुछ पाता है।
Quote 231:
राजा अपने बल-विक्रम से धनी होता है।
Quote 233:
शत्रु भी उत्साही व्यक्ति के वश में हो जाता है।
Quote 234:
उत्साहहीन व्यक्ति का भाग्य भी अंधकारमय हो जाता है।
Quote 235:
पाप कर्म करने वाले को क्रोध और भय की चिंता नहीं होती।
Quote 236:
अविश्वसनीय लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
Quote 237:
विष प्रत्येक स्तिथि में विष ही रहता है।
Quote 238:
कार्य करते समय शत्रु का साथ नहीं करना चाहिए।
Quote 239:
राजा की भलाई के लिए ही नीच का साथ करना चाहिए।
Quote 240:
संबंधों का आधार उद्देश्य की पूर्ति के लिए होता है।
Quote 241:
शत्रु का पुत्र यदि मित्र है तो उसकी रक्षा करनी चाहिए।
Quote 242:
शत्रु के छिद्र (दुर्बलता) पर ही प्रहार करना चाहिए।
Quote 243:
अपनी कमजोरी का प्रकाशन न करें।
Quote 244:
एक अंग का दोष भी पुरुष को दुखी करता है।
Quote 245:
शत्रु छिद्र (कमजोरी) पर ही प्रहार करते है।
Quote 246:
हाथ में आए शत्रु पर कभी विश्वास न करें।
Quote 247:
स्वजनों की बुरी आदतों का समाधान करना चाहिए।
Quote 248:
स्वजनों के अपमान से मनस्वी दुःखी होते है।
Quote 249:
सदाचार से शत्रु पर विजय प्राप्त की जा सकती है।
Quote 250:
विकृतिप्रिय लोग नीचता का व्यवहार करते है।
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