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Saturday, 4 April 2015
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चाणक्य नीति
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Quote 251:
नीच व्यक्ति को उपदेश देना ठीक नहीं।
Quote 252:
नीच लोगों पर विश्वास नहीं करना चाहिए।
Quote 253:
भली प्रकार से पूजने पर भी दुर्जन पीड़ा पहुंचाता है।
Quote 254:
कभी भी पुरुषार्थी का अपमान नहीं करना चाहिए।
Quote 255:
क्षमाशील पुरुष को कभी दुःखी न करें।
Quote 256:
क्षमा करने योग्य पुरुष को दुःखी न करें।
Quote 257:
स्वामी द्वारा एकांत में कहे गए गुप्त रहस्यों को मुर्ख व्यक्ति प्रकट कर देते हैं।
Quote 258:
अनुराग अर्थात प्रेम फल अथवा परिणाम से ज्ञात होता है।
Quote 259:
ज्ञान ऐश्वर्य का फल है।
Quote 260:
मुर्ख व्यक्ति दान देने में दुःख का अनुभव करता है।
Quote 261:
विवेकहीन व्यक्ति महान ऐश्वर्य पाने के बाद भी नष्ट हो जाते है।
Quote 262:
धैर्यवान व्यक्ति अपने धैर्ये से रोगों को भी जीत लेता है।
Quote 263:
गुणवान क्षुद्रता को त्याग देता है।
Quote 264:
कमजोर शरीर में बढ़ने वाले रोग की उपेक्षा न करें।
Quote 265:
शराबी के हाथ में थमें दूध को भी शराब ही समझा जाता है।
Quote 266:
यदि न खाने योग्य भोजन से पेट में बदहजमी हो जाए तो ऐसा भोजन कभी नहीं करना चाहिए।
Quote 267:
आवश्यकतानुसार कम भोजन करना ही स्वास्थ्य प्रदान करता है।
Quote 268:
खाने योग्य भी अपथ्य होने पर नहीं खाना चाहिए।
Quote 269:
दुष्ट के साथ नहीं रहना चाहिए।
Quote 270:
जब कार्यों की अधिकता हो, तब उस कार्य को पहले करें, जिससे अधिक फल प्राप्त होता है।
Quote 271:
अजीर्ण की स्थिति में भोजन दुःख पहुंचाता है।
Quote 272:
रोग शत्रु से भी बड़ा है।
Quote 273:
सामर्थ्य के अनुसार ही दान दें।
Quote 274:
चालाक और लोभी बेकार में घनिष्ठता को बढ़ाते है।
Quote 275:
लोभ बुद्धि पर छा जाता है, अर्थात बुद्धि को नष्ट कर देता है।
Quote 276:
अपने तथा अन्य लोगों के बिगड़े कार्यों का स्वयं निरिक्षण करना चाहिए।
Quote 277:
मूर्खों में साहस होता ही है। (यहाँ साहस का तात्पर्ये चोरी-चकारी, लूट-पाट, हत्या आदि से है )
Quote 278:
मूर्खों से विवाद नहीं करना चाहिए।
Quote 279:
मुर्ख से मूर्खों जैसी ही भाषा बोलें।
Quote 280:
मुर्ख का कोई मित्र नहीं है।
Quote 281:
धर्म के समान कोई मित्र नहीं है।
Quote 282:
धर्म ही लोक को धारण करता है।
Quote 283:
प्रेत भी धर्म-अधर्म का पालन करते है।
Quote 284:
दया धरम की जन्मभूमि है।
Quote 285:
धर्म का आधार ही सत्य और दान है।
Quote 286:
धर्म के द्वारा ही लोक विजय होती है।
Quote 287:
मृत्यु भी धरम पर चलने वाले व्यक्ति की रक्षा करती है।
Quote 288:
जहाँ पाप होता है, वहां धर्म का अपमान होता है।
Quote 289:
लोक-व्यवहार में कुशल व्यक्ति ही बुद्धिमान है।
Quote 290:
सज्जन को बुरा आचरण नहीं करना चाहिए।
Quote 291:
विनाश का उपस्थित होना सहज प्रकर्ति से ही जाना जा सकता है।
Quote 292:
अधर्म बुद्धि से आत्मविनाश की सुचना मिलती है।
Quote 293:
चुगलखोर व्यक्ति के सम्मुख कभी गोपनीय रहस्य न खोलें।
Quote 294:
राजा के सेवकों का कठोर होना अधर्म माना जाता है।
Quote 295:
दूसरों की रहस्यमयी बातों को नहीं सुनना चाहिए।
Quote 296:
स्वजनों की सीमा का अतिक्रमण न करें।
Quote 297:
पराया व्यक्ति यदि हितैषी हो तो वह भाई है।
Quote 298:
उदासीन होकर शत्रु की उपेक्षा न करें।
Quote 299:
अल्प व्यसन भी दुःख देने वाला होता है।
Quote 300:
स्वयं को अमर मानकर धन का संग्रह करें।
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