अगर आपको 'आग' से खेलना पसंद है, तो फायर इंजीनियरिंग को करियर के रूप में अपना सकते हैं। इस फील्ड में जॉब ऑप्शंस भी शानदार हैं।
व्यक्तिगत कुशलता
इस फील्ड में प्रोफेशनल्स को दबाव की परिस्थितियों में भी बेहतर कर दिखाना होता है। सही रणनीति तैयार करने और समस्याओं का शीघ्र हल निकालने के अलावा उनको मानसिक रूप से भी मजबूत बने रहना पड़ता है। अपनी सुरक्षा को लेकर सजग रहना भी अनिवार्य है।
देश-विदेश दोनों जगह अवसर
क्वालिफिकेशन
फायर इंजीनियरिंग से जुड़े अधिकांश कोर्स ग्रेजुएट स्तर पर उपलब्ध हैं, जिसके लिए साइंस सब्जेक्ट से बारहवीं पास होना जरूरी है। फायर इंजीनियरिंग से रिलेटेड सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते हैं। कोर्स के दौरान आग बुझाने के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी जाती हैं। साथ में, बिल्डिंग निर्माण के बारे में भी बताया जाता है, ताकि आग लगने की स्थिति में उसे बुझाने में ज्यादा परेशानी न हो। इसमें फिजिकल फिटनेस के मार्क्स भी जोड़े जाते हैं। पुरुष के लिए 50 किलो के वजन के साथ 165 सेमी. लंबाई और आईसाइट 6/6, सीना सामान्य रूप से 81 सेमी. और फुलाने के बाद 5 सेमी. फैलाव होना जरूरी है। महिला का वजन 46 किलो और लंबाई 157 सेमी और आईसाइट 6/6 होनी चाहिए।
कहां से लें प्रशिक्षण
* ऑल इंडिया इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) संबंधित पाठयक्रम : पीजी इन ऑक्यूपेशनल मेडिसिन (2 साल)
* नेशनल सेफ्टी काउंसिल ऑफ इंडिया, मुंबई संबंधित पाठयक्रम : शॉर्ट टर्म एवं सर्टिफिकेट कोर्स (6-12 माह)
* दिल्ली इंस्टीटयूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग, नई दिल्ली संबंधित पाठयक्रम : डिप्लोमा इन इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट (6-12 माह)
* इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टैक्सिकोलॉजी रिसर्च, लखनऊ संबंधित पाठयक्रम : पीएचडी प्रोग्राम
* राजीव गांधी इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ साइंस, बेंगलुरु संबंधित पाठयक्रम : सर्टिफिकेट इन सिक्योरिटी ऑफिसर (6 माह)
कोर्सेज
-बीई फायर इंजीनियरिंग।
-बीटेक फायर ऐंड सेफ्टी इंजीनियरिंग।
-सर्टिफिकेट कोर्स इन फायर ऐंड सेफ्टी इंजीनियरिंग (सीएफएसई)।
-डिप्लोमा इन फायर ऐंड इंडस्ट्रियल सेफ्टी इंजीनियरिंग।
-डिप्लोमा इन फायर ऐंड सेफ्टी इंजीनियरिंग मैनेजमेंट (डीएफएसइएम)।
-डिप्लोमा इन फायर ऐंड सेफ्टी इंजीनियरिंग 8डिप्लोमा इन फायर इंजीनियरिंग।
-डिप्लोमा इन इंडस्ट्रियल सेफ्टी इंजीनियरिंग।
-पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन फायर ऐंड सेफ्टी इंजीनियरिंग।
फायर इंजीनियर्स का वर्क।
व्यक्तिगत कुशलता
इस फील्ड में प्रोफेशनल्स को दबाव की परिस्थितियों में भी बेहतर कर दिखाना होता है। सही रणनीति तैयार करने और समस्याओं का शीघ्र हल निकालने के अलावा उनको मानसिक रूप से भी मजबूत बने रहना पड़ता है। अपनी सुरक्षा को लेकर सजग रहना भी अनिवार्य है।
देश-विदेश दोनों जगह अवसर
क्वालिफिकेशन
फायर इंजीनियरिंग से जुड़े अधिकांश कोर्स ग्रेजुएट स्तर पर उपलब्ध हैं, जिसके लिए साइंस सब्जेक्ट से बारहवीं पास होना जरूरी है। फायर इंजीनियरिंग से रिलेटेड सर्टिफिकेट और डिप्लोमा कोर्स भी कर सकते हैं। कोर्स के दौरान आग बुझाने के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी जाती हैं। साथ में, बिल्डिंग निर्माण के बारे में भी बताया जाता है, ताकि आग लगने की स्थिति में उसे बुझाने में ज्यादा परेशानी न हो। इसमें फिजिकल फिटनेस के मार्क्स भी जोड़े जाते हैं। पुरुष के लिए 50 किलो के वजन के साथ 165 सेमी. लंबाई और आईसाइट 6/6, सीना सामान्य रूप से 81 सेमी. और फुलाने के बाद 5 सेमी. फैलाव होना जरूरी है। महिला का वजन 46 किलो और लंबाई 157 सेमी और आईसाइट 6/6 होनी चाहिए।
कहां से लें प्रशिक्षण
* ऑल इंडिया इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंस (एम्स) संबंधित पाठयक्रम : पीजी इन ऑक्यूपेशनल मेडिसिन (2 साल)
* नेशनल सेफ्टी काउंसिल ऑफ इंडिया, मुंबई संबंधित पाठयक्रम : शॉर्ट टर्म एवं सर्टिफिकेट कोर्स (6-12 माह)
* दिल्ली इंस्टीटयूट ऑफ फायर इंजीनियरिंग, नई दिल्ली संबंधित पाठयक्रम : डिप्लोमा इन इंडस्ट्रियल सेफ्टी मैनेजमेंट (6-12 माह)
* इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टैक्सिकोलॉजी रिसर्च, लखनऊ संबंधित पाठयक्रम : पीएचडी प्रोग्राम
* राजीव गांधी इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ साइंस, बेंगलुरु संबंधित पाठयक्रम : सर्टिफिकेट इन सिक्योरिटी ऑफिसर (6 माह)
कोर्सेज
-बीई फायर इंजीनियरिंग।
-बीटेक फायर ऐंड सेफ्टी इंजीनियरिंग।
-सर्टिफिकेट कोर्स इन फायर ऐंड सेफ्टी इंजीनियरिंग (सीएफएसई)।
-डिप्लोमा इन फायर ऐंड इंडस्ट्रियल सेफ्टी इंजीनियरिंग।
-डिप्लोमा इन फायर ऐंड सेफ्टी इंजीनियरिंग मैनेजमेंट (डीएफएसइएम)।
-डिप्लोमा इन फायर ऐंड सेफ्टी इंजीनियरिंग 8डिप्लोमा इन फायर इंजीनियरिंग।
-डिप्लोमा इन इंडस्ट्रियल सेफ्टी इंजीनियरिंग।
-पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन फायर ऐंड सेफ्टी इंजीनियरिंग।
फायर इंजीनियर्स का वर्क।
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