Sunday 31 May 2015

इस प्रकार सजी थाली को देखकर प्रसन्न होती है महालक्ष्मी



लक्ष्मी पूजन पूरे विधि-विधान से किया जाना अति आवश्यक है। तभी देवी लक्ष्मी की कृपा तुरंत ही प्राप्त होती है। पूजन के समय सबसे जरूरी है कि पूजा की थाली शास्त्रों के अनुसार सजाई जाए। पूजा की थाली के संबंध में शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि लक्ष्मी पूजन में तीन थालियां सजानी चाहिए।
पहली थाली में 11 दीपक समान दूरी पर रखें कर सजाएं।

दूसरी थाली में पूजन सामग्री इस क्रम में सजाएं- सबसे पहले धानी (खील), बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चंदन का लेप, सिंदूर कुमकुम, सुपारी और थाली के बीच में पान रखें।

तीसरी थाली में इस क्रम में सामग्री सजाएं- सबसे पहले फूल, दूर्वा, चावल, लौंग, इलाइची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।
इस तरह थाली सजा कर लक्ष्मी पूजन करें।

शिव पूजा में इस आसान उपाय से कमाएंगे भरपूर पैसा



भौतिक सुखों को पाने के लिए धन की कामना भी अहम होती है। जिसे पूरा करने के लिए व्यावहारिक कर्मों के साथ धार्मिक कर्मों से ईश्वर की शरणागति भी सुखदायी मानी गई है। शास्त्रों के मुताबिक सुखों के ही देवता माने गए हैं - शिव।

धार्मिक आस्था है कि खुशहाली की कामना से जो शिव की शरण लेकर शुभ कर्म करता है। उसे शिव कृपा से सभी सुख प्राप्त होते हैं। शिव पुराण के मुताबिक सोमवार के दिन शिव पूजा में विशेष पूजा सामग्रियों के साथ-साथ तरह-तरह के अनाज चढ़ाने से भी कामनासिद्धी होती है। जिनमें धन कामना भी एक है।

जानते हैं शिव पूजा में किस तरह के अनाज चढ़ाकर धन कामना के अलावा कौन-से सुखों की इच्छा पूरी होती है?
- देव पूजा में अक्षत यानी चावल का चढ़ावा बहुत ही शुभ माना जाता है। शिव पूजा में भी महादेव या शिवलिंग के ऊपर चावल, जो टूटे न हो चढ़ाने से लक्ष्मी की कृपा यानी धन लाभ होता है।

शिव की गेंहू चढ़ाकर की गई पूजा से संतान सुख मिलता है।
शिव की तिल से पूजा करने पर मन, शरीर और विचारों के दोष का अंत हो जाता है।
जौ चढ़ाकर शिव की पूजा अंतहीन सुख देती है।
शिव को मूंग चढ़ाने से विशेष मनोरथ पूरे होते हैं।
अरहर के पत्तों से शिव पूजा अनेक तरह के दु:ख दूर करती है।

महाशिवरात्रि पर रुद्राक्ष का यह छोटा-सा प्रयोग देगा बड़े-बड़े सुख



हर इंसान की चाहत और कोशिश होती है जीवन सुखों से सराबोर हो। जिनको पाने के लिए तन, मन और धन से संपन्नता यानी तन निरोगी रखने, मन शांत और संतुलित होने और सुख-साधनों को पाने के लिए भरपूर आमदनी को तरजीह दी जाती है। धर्म का नजरिया इन सभी सुखों को पाने के लिए सत्य और पावनता को हर रूप में अपनाने पर ही जोर देता है।

हिन्दू धर्म में सत्य और पवित्रता से सुखद जीवन के लिए रुदा्रक्ष धारण करना और गंगा स्नान बहुत ही पुण्यदायी और पापनाशक माने गए हैं। क्योंकि रुद्राक्ष शिव का ही साक्षात् स्वरूप माना गया है। यही नहीं सत्य ही शिव का रूप और भक्ति कही गई है।

वहीं गंगा देव नदी ही नहीं बल्कि मां के रूप में पूजनीय है। क्योंकि पौराणिक मान्यताओं में गंगा स्वर्ग से भूमि पर राजा भगीरथी के घोर तप से आई। इस दौरान गंगा के वेग को भगवान शंकर ने अपनी जटाओं से काबू किया। यही कारण है रुद्राक्ष व गंगा जल स्पर्श मात्र ही सारे सुख और समृद्धि देने वाला माना गया है।

ऐसे ही आस्थावान लोगों के लिए महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां बताया जा रहा है शास्त्रों में बताया रुद्राक्ष का एक छोटा-सा प्रयोग, जो गंगा स्नान का पुण्य और फल देता है। यह उपाय शिव भक्ति के खास मौकों व शुभ घड़ी में न चूकें। 

जानिए वास्तु व जीवन में बाँसुरी की महत्वपूर्ण भूमिका—-



बाँसुरी को शान्ति, शुभता एवं स्थिरता का प्रतीक माना जाता है. यह उन्नति, प्रगति एवं सकारात्मक गुणों की वृद्धि की सूचक भी होती है. फेंगशुई और हमारे शास्त्रों में शुभ वस्तुओं में बाँसुरी का अत्यधिक महत्व है. फेंगशुई

बाँसुरी  के उपायों का महत्व इसलिए भी अधिक है, क्योंकि वास्तु शास्त्र में जहां कहीं किसी दोष से पूर्णतः मुक्ति के लिए अशुभ निर्माण कार्य को तोड़ना आवश्यक होता है, वहीं फेंगशुई में अशुभ निर्माण को तोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं होती है. अपितु पैगोडा, बाँसुरी आदि सकरात्मक वस्तुओं का प्रयोग कर के उस दोष से मुक्ति पा लेते है.

बाँसुरी का निर्माण बाँस के ताने से होता है. सभी वनस्पतियों में बाँस सबसे तेज गति से बढ़ने वाला पौधा होता है.इसी कारण से यह विकास का प्रतीक है.और किसी भी वातावरण में यह अपना अस्तित्व बनाए रखने की क्षमता इसमें होती है. यदि किसी भी दूकान या व्यवसाय स्थल पर इसके पौधे को लगाया जाए तो जैसे बाँस के पौधे की वृद्धि तेज गति से होगी, वैसे ही उस दूकान या व्यवसाय स्थल के मालिक की भी प्रगति होगी. बाँस के पौधे के ये सभी गुण बाँसुरी में भी विद्यमान होते है.

बाँसुरी का उपयोग न केवल फेंगशुई में, वरन वास्तु शास्त्र एवं ग्रह दोष निवारण में बहुत ही उपयोगी है. वास्तु में बीम संबंधी दोष, द्वार वेध, वृक्ष वेध, वीथी वेध आदि सभी वेधो के निराकरण में और अशुभ निर्माण संबंधी वास्तु दोषों में बाँसुरी का प्रयोग होता है. ग्रह दोषों के अंतर्गत शनि, राहू आदि पाप ग्रहों से सम्बन्धित दोषों के निवारण में बाँसुरी का कोई विपरीत प्रभाव नहीं होता है.

लेकिन बाँसुरी के प्रयोग में एक सावधानी अवश्य रखनी चाहिए वह यह है कि, जहां कहीं भी इसे लगाया जाए, वहां इसे बिलकुल सीधा नहीं लगा कर थोड़ा तिरछा लगाना चाहिए तथा इसका मुंह नीचे की तरफ होना चाहिए.

जापान, चीन, हांगकांग, मलेशिया और मध्य एशिया में इसका प्रयोग बहुतायत में किया जाता है. यदि किसी के विकास में अनेक प्रयास करने के बाद भी बाधाए उत्पन्न हो रही हो तो इस बाँसुरी का प्रयोग अवश्य ही करना चाहिए.वैसे तो ”बाँसुरी एक फायदे अनेक है”. लेकिन यहां मै इस लेख मेंबाँसुरी के आसान और अचूक रामबाण उपाय दे रहा हूं जो कि पग पग पर हमारे लिए सहायक बनते है, और हमारी समस्याओं का पूर्ण रूप से समाधान करते है.

१:- बाँसुरी बाँस के पौधे से निर्मित होने के कारण शीघ्र उन्नतिदायक प्रभाव रखती है अतः जिन व्यक्तियों को जीवन में पर्याप्त सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही हो, अथवा शिक्षा, व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो, तो उसे अपने बैडरूम के दरवाजे पर दो बाँसुरियों को लगाना चाहिए.

२:- यदि घर में बहुत ही अधिक वास्तु दोष है, या दो या तीन दरवाजे एक सीध में है, तो घर के मुख्यद्वार के ऊपर दो बाँसुरी लगाने से लाभ मिलता है तथा वास्तु दोष धीरे धीरे समाप्त होने लगता है.

३:- यदि आप आध्यात्मिक रूप से उन्नति चाहते है, या फिर किसी प्रकार की साधना में सफलता चाहते है तो, अपने पूजा घर के दरवाजे पर भी बाँसुरिया लगाए. शीघ्र ही सफलता प्राप्त होगी.

४:- बैडरूम में पलंग के ऊपर अथवा डाइनिंग टेबल के ऊपर बीम हो तो, इसका अत्यंत खराब प्रभाव पड़ता है. इस दोष को दूर करने के लिए बीम के दोनों ओर एक एक बाँसुरी लाल फीते में बाँध कर लगानी चाहिए. साथ ही यह भी ध्यान रखे कि बाँसुरी को लगाते समय बाँसुरी का मुंह नीचे की ओर होना चाहिए.

५:- यदि बाँसुरी को घर के मुख हाल में या प्रवेश द्वार पर तलवार की तरह “क्रास” के रूप में लगाया जाए, तो आकस्मिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है.

६:- घर के सदस्य यदि बीमार अधिक हों अथवा अकाल मृत्यु का भय या अन्य कोई स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्या हो, तो प्रत्येक कमरें के बाहर और बीमार व्यक्ति के सिरहाने बाँसुरी का प्रयोग करना चाहिए इससे अति शीघ्र लाभ प्राप्त होने लगेगा.

७:- यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुण्डली में शनि सातवें भाव में अशुभ स्थिति में होकर विवाह में देर करवा रहे हो, अथवा शनि की साढ़ेसती या ढैया चल रही हो, तो एक बाँसुरी में चीनी या बूरा भरकर किसी निर्जन स्थान में दबा देना लाभदायक होता है इससे इस दोष से मुक्ति मिलती है.

८:- यदि मानसिक चिंता अधिक तेहती हो अथवा पति-पत्नी दोनों के बीच झगड़ा रहता हो, तो सोते समय सिरहाने के नीचे बाँसुरी रखनी चाहिए.

९:- यदि आप एक बाँसुरी को गुरु-पुष्य योग में शुभ मुहूर्त में पूजन कर के अपने गल्ले में स्थापित करते है तो इसके कारण आपके कार्य-व्यवसाय में बढोत्तरी होगी, और धन आगमन के अवसर प्राप्त होंगे.

१०:- पाश्चात्य देशो में इसे घरों में तलवार की तरह से भी लटकाया जाता है.इसके प्रभाव स्वरुप अनिष्ट एवं अशुभ आत्माओं एवं बुरे व्यक्तियों से घर की रक्षा होती है.
११:- घर और अपने परिवार की सुख समृधि और सुरक्षा के लिए एक बाँसुरी लेकर श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात बारह बजे के बाद भगवान श्री कृष्ण के हाथों में सुसज्जित कर दे तो इसके प्रभाव से पूरे वर्ष आपकी और आपके परिवार की रक्षा तो होगी ही तथा सभी कष्ट व बाधाए भी दूर होती जायेगी.
बाँसुरी के संबंध में एक धार्मिक मान्यता है कि जब बाँसुरी को हाथ में लेकर हिलाया जाता है, तो बुरी आत्माएं दूर हो जाति है. और जब इसे बजाया जाता है, तो ऐसी मान्यता है कि घरों में शुभ चुम्बकीय प्रवाह का प्रवेश होता है.

इस प्रकार बाँसुरी प्रकृति का एक अनुपम वरदान है. यदि सोच समझ कर इसका उपयोग किया जाए तो वास्तु दोषों का बिना किसी तोड़ फोड के निवारण कर अशुभ फलो से बचा जा सकता है. जहां रत्न धारण, रुद्राक्ष, यंत्र, हवन, आदि श्रमसाध्य और खर्चीले उपाय है, वहीं बाँसुरी का प्रयोग सस्ता, सुगम और प्रभावी होता है. अपनी आवश्यकता के अनुसार इसका प्रयोग करके लाभ उठाया जा सकता है.

Saturday 30 May 2015

इन टिप्स को अपनाकर आप पा सकती हैं ग्लोइंग स्किन TIPS FOR SKIN CARE IN HINDI



अकसर युवा अपनी त्वचा को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं क्योंकि ऐसे मौसम में ही त्वचा पर इंफेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है। वैसे आप उबटन से पा सकते हैं दमकती त्‍वचा लेकिन हम कुछ खास टिप्स युवाओं के लिए बता रहे हैं। आइए जानें टिप्स फॉर यूथ।

आपकी जीवनशैली और खानपान आपकी त्वचा को बहुत प्रभावित करती है। जंकफूड आपकी त्वचा को डल बनाता है इसीलिए खाने-पीने का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।

चेहरे की चमक-दमक बरकरार रखने के लिए रोज चेहरे की ठीक तरह से साफ-सफाई करना जरूरी है।

 हर रोज चेहरे को क्लीजिंग, टोनिंग, एक्सफोलिएशन, मॉश्चराइजिंग से सुबह-शाम धोना और साफ करना चाहिए।
धूप में जब भी बाहर निकले सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल कीजिए।
आप अपने चेहरे को ग्लो देने के लिए फेशियल भी करवा सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आपको ये पता होना जरूरी है कि फेशियल क्लीजिंग या ट्रीटमेंट में से कौन सा आपको करवाना है।

हरी सब्जियों के पानी से चेहरा धोने से भी त्वचा में चमक आती है।
युवा लड़कियों को फेशियल करवाने से बचना चाहिए लेकिन वे पील-ऑफ करवा सकती है। इससे त्वचा को अंदरूनी तौर पर किसी तरह का नुकसान नहीं होता बल्कि चेहरे पर जमा डेड स्किन हट जाती है।

चेहरे को चमकाने के लिए फेस मास्क का प्रयोग किया जा सकता है। इसे आप घर में भी कर सकती है। फेस मास्क मौसम के हिसाब से अलग-अलग होते है। गर्मियों में कूलिंग मास्क का प्रयोग किया जाता है। खीरे और मुल्तानी मिट्टी वाले फेस मास्क चेहरे का तरोताजा बनाते हैं साथ ही ठंडक भी देते हैं।
   
एक चम्मच शहद में एक चम्मच पानी मिलाकर चेहरे और गर्दन पर लगाएँ। सूख जाने पर पानी से चेहरा धो लें। इससे त्वचा चिकनी और कोमल होगी।
   
पौष्टिक भोजन के साथ ही व्यायाम, एक्सरसाइज करने से भी त्वचा में प्राकृतिक निखार आएगा।
   
आने लाइफ स्टाइल को बदले और जल्दी सोकर जल्दी उठने से भी आप हेल्दी रहेंगे और फ्रेश महसूस करेंगी।
   
हेल्दी और ग्लोइंग स्किन पाने के लिए तनावमुक्त रहना भी बेहद जरूरी है। साथ ही अपनी नींद पूरी करें।
   
तीन-चार बादाम दूध में भिगो दें। जब फूल जाएँ तब उन्हें दूध में पीसकर लेप बना लें और रात को सोने से पहले कुछ देर तक चेहरे पर मालिश करें और सुबह पानी से चेहरा धो लें।
  
 बेसन में थोड़ा दही मिलाकर लेप बना लें और उसे चेहरे पर लगाएं। कुछ देर लगा रहने दें। फिर चेहरे को पानी से धो लें। इससे त्वचा का रंग सुधरेगा तथा चेहरे पर पड़े दाग-धब्बे, झुर्रियाँ आदि दूर होंगी।
   
दूध, शहद, संतरे का रस तथा गाजर का रस लेकर अच्छी तरह मिलाकर लेप तैयार कर लें। इससे चेहरे पर धीरे-धीरे मालिश करें। कुछ देर बाद चेहरा धो लें।

   
इन टिप्स को अपनाकर न सिर्फ आप ग्लोइंग स्किन पा सकती हैं बल्कि तरोताजा महसूस करते हुए हेल्दी भी रहेंगी।

झाड़ू पर पैर लगने से बढ़ती है पैसों की तंगी, पढ़िए क्यों और कैसे...



घर में कई वस्तुएं होती हैं कुछ बहुत सामान्य रहती है। इनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। ऐसी चीजों में से एक है झाड़ू। जब भी साफ-सफाई करना हो तभी झाड़ू का काम होता है। अन्यथा इसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता। शास्त्रों के अनुसार झाड़ू के संबंध कई महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं।

शास्त्रों के अनुसार झाड़ू को धन की देवी महालक्ष्मी का ही प्रतीक रूप माना जाता है। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि झाड़ू ही हमारे घर से गरीबी रूपी कचरे को बाहर निकालती है और साफ-सफाई बनाए रखती है। घर यदि साफ और स्वच्छ रहेगा तो हमारे जीवन में धन संबंधी कई परेशानियां स्वत: ही दूर हो जाती हैं।

प्राचीन परंपराओं को मानने वाले लोग आज भी झाड़ू पर पैर लगने के बाद उसे प्रणाम करते हैं क्योंकि झाड़ू को लक्ष्मी का रूप माना जाता है। विद्वानों के अनुसार झाड़ू पर पैर लगने से महालक्ष्मी का अनादर होता है। झाड़ू घर का कचरा बाहर करती है और कचरे को दरिद्रता का प्रतीक माना जाता है। जिस घर में पूरी साफ-सफाई रहती है वहां धन, संपत्ति और सुख-शांति रहती है। इसके विपरित जहां गंदगी रहती है वहां दरिद्रता का वास होता है। ऐसे घरों में रहने वाले सभी सदस्यों को कई प्रकार की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी कारण घर को पूरी तरह साफ  रखने पर जोर दिया जाता है ताकि घर की दरिद्रता दूर हो सके और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके।

घर से दरिद्रता रूपी कचरे को दूर करके झाड़ू यानि महालक्ष्मी हमें धन-धान्य, सुख-संपत्ति प्रदान करती है। जब घर में झाड़ू का कार्य न हो तब उसे ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहां किसी की नजर न पड़े। इसके अलावा झाड़ू को अलग रखने से उस पर किसी का पैर नहीं लगेगा जिससे देवी महालक्ष्मी का निरादर नहीं होगा। यदि भुलवश झाड़ू को पैर लग जाए तो महालक्ष्मी से क्षमा की प्रार्थना कर लेना चाहिए।

विवाह में सात फेरे और सात वचन ही क्यों लिए जाते हैं. ...



अधिकाँश लोग सिर्फ इतना ही जानते हैं कि विवाह में पति-पत्नी एक साथ सात फेरे लेते हैं, पर ये कम ही लोग जानते हैं कि सात ही फेरे क्यों और इन सातों फेरों के पीछे कौन से अर्थ छिपे होते हैं? हिन्दू विवाह में सात फेरों का कुछ ख़ास ही महत्व है. सात बार वर-वधू साथ-साथ कदम से कदम मिलाकर फौजी सैनिकों की तरह आगे बढ़ते हैं. रीतियों के अनुसार सात चावल की ढेरी या कलावा बँधे हुए सकोरे रख दिये जाते हैं, इन लक्ष्य-चिह्नों को पैर लगाते हुए दोनों एक-एक कदम आगे बढ़ते हैं, रुक जाते हैं और फिर अगला कदम बढ़ाते हैं. इस प्रकार सात कदम बढ़ाये जाते हैं. प्रत्येक कदम के साथ एक-एक मन्त्र बोला जाता है. पर हमारे समाज में पंडितों को नियमों की अपुष्ट जानकारी होने के कारण उनके द्वारा सात फेरे अलग-अलग तरहों से कराये जाते हैं, पर एक बात तो होती ही है और वो है - सात फेरे.

आइये बताते हैं कि हिन्दू विवाह में सात फेरे ही क्यों लिए जाते हैं. सात फेरों में पहला कदम अन्न के लिए उठाया जाता है, दूसरा बल के लिए, तीसरा धन के लिए, चौथा सुख के लिए, पाँचवाँ परिवार के लिए, छठवाँ ऋतुचर्या के लिए और सातवाँ मित्रता के लिए उठाया जाता है. मतलब यह कि पति-पत्नी के रिश्तों में ईश्वर को साक्षी मानकर दोनों प्रण करते हैं कि एक दूसरे के लिए अन्न संग्रह, धन संग्रह करेंगे और मित्रता स्थापित करते हुए एक-दूजे की ताकत बनेंगे. ऋतुचर्या का पालन करते हुए न सिर्फ एक-दूसरे को सुख देने का प्रयास करेंगे, बल्कि एक-दूसरे के परिवार को भी सुखी रखने के लिए हमेशा प्रयासरत रहेंगे.
          
हालांकि शादी के दौरान जाने-अनजाने तो सभी सात फेरे लगा लेते हैं, पर यदि आपसी तालमेल बिठाने में पति-पत्नी सफल न हो सके तो सात फेरे लेने के बावजूद सात जनम तक साथ रहने की बात तो दूर,सात कदम भी साथ चलना पति-पत्नी के लिए दूभर हो जाता है.मित्रो हिन्दू मैं जब विवाह होता है तो भावी पति अपनी सात जन्मो तक साथ निभाने वाली संगनी को सात वचन देता है ,,इस सूत्र मैं हम देखेगे की वो सात वचन कोन से है तथा उनका अर्थ क्या है ।
सबसे पहले .....................
कन्या वर से यह सात वचन मांगती है​
पहला वचन: यज्ञ आदि शुभ कार्य आप मेरी सम्मति के बाद ही करेंगे और मुझे भी इसमें शामिल करेंगे.
दूसरा वचन: दान आदि के समय भी आप मेरी सहमती प्राप्त करेंगे.
तीसरा वचन: युवावस्था, प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में आप मेरा पालन-पोषण करेंगे.
चौथा वचन: धन आदि का गुप्त रूप से संचय आप मेरी सम्मति से करेंगे.
पांचवा वचन: तमाम तरह के पशुओं की खरीदारी करते या बेचते समय आप मेरी सहमति लेंगे.
छठा वचन: वसंत, गर्मी, बारिश, शरद, हेमंत, और शिशिर जैसी सभी ऋतुओं में मेरे पालन-पोषण की व्यवस्था आप ही करेंगे.
सातवाँ वचन: आप मेरी सहेलियों के सामने कभी मेरी हंसी नहीं उड़ायेंगे और न ही कटु वचनों का प्रयोग करेंगे.

वर द्वारा कन्या से लिए गए वचन
पहला वचन: आप मेरी अनुमति के बिना किसी निर्जन स्थान, उद्यान या वन में नहीं जायेंगे.
दूसरा वचन: शराब का सेवन करने वाले मनुष्य के सामने उपस्थित नहीं होंगी.
तीसरा वचन: जब तक मैं आज्ञा न दूँ, तब तक आप बाबुल के घर भी नहीं जायेंगे.
चौथा वचन: धर्म और शास्त्रों के अनुसार मेरी किसी भी आज्ञा का उल्लंघन नहीं करेंगे.
पांचवा वचन: उपरोक्त वचनों को देने के बाद ही आप मेरे वामांग में स्थित हो सकती हैं.

अब आप ही उपरोक्त दिए गए वर-वधु के इन सातों वचनों को गौर से पढ़ कर देखिये आपने कि किस प्रकार ईश्वर को साक्षी मानकर किए गए इन सप्त संकल्प रूपी स्तम्भों पर सुखी गृ्हस्थ जीवन का भार टिका हुआ है........ !