Sunday 31 May 2015

इस प्रकार सजी थाली को देखकर प्रसन्न होती है महालक्ष्मी



लक्ष्मी पूजन पूरे विधि-विधान से किया जाना अति आवश्यक है। तभी देवी लक्ष्मी की कृपा तुरंत ही प्राप्त होती है। पूजन के समय सबसे जरूरी है कि पूजा की थाली शास्त्रों के अनुसार सजाई जाए। पूजा की थाली के संबंध में शास्त्रों में उल्लेख किया गया है कि लक्ष्मी पूजन में तीन थालियां सजानी चाहिए।
पहली थाली में 11 दीपक समान दूरी पर रखें कर सजाएं।

दूसरी थाली में पूजन सामग्री इस क्रम में सजाएं- सबसे पहले धानी (खील), बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चंदन का लेप, सिंदूर कुमकुम, सुपारी और थाली के बीच में पान रखें।

तीसरी थाली में इस क्रम में सामग्री सजाएं- सबसे पहले फूल, दूर्वा, चावल, लौंग, इलाइची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक।
इस तरह थाली सजा कर लक्ष्मी पूजन करें।

शिव पूजा में इस आसान उपाय से कमाएंगे भरपूर पैसा



भौतिक सुखों को पाने के लिए धन की कामना भी अहम होती है। जिसे पूरा करने के लिए व्यावहारिक कर्मों के साथ धार्मिक कर्मों से ईश्वर की शरणागति भी सुखदायी मानी गई है। शास्त्रों के मुताबिक सुखों के ही देवता माने गए हैं - शिव।

धार्मिक आस्था है कि खुशहाली की कामना से जो शिव की शरण लेकर शुभ कर्म करता है। उसे शिव कृपा से सभी सुख प्राप्त होते हैं। शिव पुराण के मुताबिक सोमवार के दिन शिव पूजा में विशेष पूजा सामग्रियों के साथ-साथ तरह-तरह के अनाज चढ़ाने से भी कामनासिद्धी होती है। जिनमें धन कामना भी एक है।

जानते हैं शिव पूजा में किस तरह के अनाज चढ़ाकर धन कामना के अलावा कौन-से सुखों की इच्छा पूरी होती है?
- देव पूजा में अक्षत यानी चावल का चढ़ावा बहुत ही शुभ माना जाता है। शिव पूजा में भी महादेव या शिवलिंग के ऊपर चावल, जो टूटे न हो चढ़ाने से लक्ष्मी की कृपा यानी धन लाभ होता है।

शिव की गेंहू चढ़ाकर की गई पूजा से संतान सुख मिलता है।
शिव की तिल से पूजा करने पर मन, शरीर और विचारों के दोष का अंत हो जाता है।
जौ चढ़ाकर शिव की पूजा अंतहीन सुख देती है।
शिव को मूंग चढ़ाने से विशेष मनोरथ पूरे होते हैं।
अरहर के पत्तों से शिव पूजा अनेक तरह के दु:ख दूर करती है।

महाशिवरात्रि पर रुद्राक्ष का यह छोटा-सा प्रयोग देगा बड़े-बड़े सुख



हर इंसान की चाहत और कोशिश होती है जीवन सुखों से सराबोर हो। जिनको पाने के लिए तन, मन और धन से संपन्नता यानी तन निरोगी रखने, मन शांत और संतुलित होने और सुख-साधनों को पाने के लिए भरपूर आमदनी को तरजीह दी जाती है। धर्म का नजरिया इन सभी सुखों को पाने के लिए सत्य और पावनता को हर रूप में अपनाने पर ही जोर देता है।

हिन्दू धर्म में सत्य और पवित्रता से सुखद जीवन के लिए रुदा्रक्ष धारण करना और गंगा स्नान बहुत ही पुण्यदायी और पापनाशक माने गए हैं। क्योंकि रुद्राक्ष शिव का ही साक्षात् स्वरूप माना गया है। यही नहीं सत्य ही शिव का रूप और भक्ति कही गई है।

वहीं गंगा देव नदी ही नहीं बल्कि मां के रूप में पूजनीय है। क्योंकि पौराणिक मान्यताओं में गंगा स्वर्ग से भूमि पर राजा भगीरथी के घोर तप से आई। इस दौरान गंगा के वेग को भगवान शंकर ने अपनी जटाओं से काबू किया। यही कारण है रुद्राक्ष व गंगा जल स्पर्श मात्र ही सारे सुख और समृद्धि देने वाला माना गया है।

ऐसे ही आस्थावान लोगों के लिए महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां बताया जा रहा है शास्त्रों में बताया रुद्राक्ष का एक छोटा-सा प्रयोग, जो गंगा स्नान का पुण्य और फल देता है। यह उपाय शिव भक्ति के खास मौकों व शुभ घड़ी में न चूकें। 

जानिए वास्तु व जीवन में बाँसुरी की महत्वपूर्ण भूमिका—-



बाँसुरी को शान्ति, शुभता एवं स्थिरता का प्रतीक माना जाता है. यह उन्नति, प्रगति एवं सकारात्मक गुणों की वृद्धि की सूचक भी होती है. फेंगशुई और हमारे शास्त्रों में शुभ वस्तुओं में बाँसुरी का अत्यधिक महत्व है. फेंगशुई

बाँसुरी  के उपायों का महत्व इसलिए भी अधिक है, क्योंकि वास्तु शास्त्र में जहां कहीं किसी दोष से पूर्णतः मुक्ति के लिए अशुभ निर्माण कार्य को तोड़ना आवश्यक होता है, वहीं फेंगशुई में अशुभ निर्माण को तोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं होती है. अपितु पैगोडा, बाँसुरी आदि सकरात्मक वस्तुओं का प्रयोग कर के उस दोष से मुक्ति पा लेते है.

बाँसुरी का निर्माण बाँस के ताने से होता है. सभी वनस्पतियों में बाँस सबसे तेज गति से बढ़ने वाला पौधा होता है.इसी कारण से यह विकास का प्रतीक है.और किसी भी वातावरण में यह अपना अस्तित्व बनाए रखने की क्षमता इसमें होती है. यदि किसी भी दूकान या व्यवसाय स्थल पर इसके पौधे को लगाया जाए तो जैसे बाँस के पौधे की वृद्धि तेज गति से होगी, वैसे ही उस दूकान या व्यवसाय स्थल के मालिक की भी प्रगति होगी. बाँस के पौधे के ये सभी गुण बाँसुरी में भी विद्यमान होते है.

बाँसुरी का उपयोग न केवल फेंगशुई में, वरन वास्तु शास्त्र एवं ग्रह दोष निवारण में बहुत ही उपयोगी है. वास्तु में बीम संबंधी दोष, द्वार वेध, वृक्ष वेध, वीथी वेध आदि सभी वेधो के निराकरण में और अशुभ निर्माण संबंधी वास्तु दोषों में बाँसुरी का प्रयोग होता है. ग्रह दोषों के अंतर्गत शनि, राहू आदि पाप ग्रहों से सम्बन्धित दोषों के निवारण में बाँसुरी का कोई विपरीत प्रभाव नहीं होता है.

लेकिन बाँसुरी के प्रयोग में एक सावधानी अवश्य रखनी चाहिए वह यह है कि, जहां कहीं भी इसे लगाया जाए, वहां इसे बिलकुल सीधा नहीं लगा कर थोड़ा तिरछा लगाना चाहिए तथा इसका मुंह नीचे की तरफ होना चाहिए.

जापान, चीन, हांगकांग, मलेशिया और मध्य एशिया में इसका प्रयोग बहुतायत में किया जाता है. यदि किसी के विकास में अनेक प्रयास करने के बाद भी बाधाए उत्पन्न हो रही हो तो इस बाँसुरी का प्रयोग अवश्य ही करना चाहिए.वैसे तो ”बाँसुरी एक फायदे अनेक है”. लेकिन यहां मै इस लेख मेंबाँसुरी के आसान और अचूक रामबाण उपाय दे रहा हूं जो कि पग पग पर हमारे लिए सहायक बनते है, और हमारी समस्याओं का पूर्ण रूप से समाधान करते है.

१:- बाँसुरी बाँस के पौधे से निर्मित होने के कारण शीघ्र उन्नतिदायक प्रभाव रखती है अतः जिन व्यक्तियों को जीवन में पर्याप्त सफलता प्राप्त नहीं हो पा रही हो, अथवा शिक्षा, व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो, तो उसे अपने बैडरूम के दरवाजे पर दो बाँसुरियों को लगाना चाहिए.

२:- यदि घर में बहुत ही अधिक वास्तु दोष है, या दो या तीन दरवाजे एक सीध में है, तो घर के मुख्यद्वार के ऊपर दो बाँसुरी लगाने से लाभ मिलता है तथा वास्तु दोष धीरे धीरे समाप्त होने लगता है.

३:- यदि आप आध्यात्मिक रूप से उन्नति चाहते है, या फिर किसी प्रकार की साधना में सफलता चाहते है तो, अपने पूजा घर के दरवाजे पर भी बाँसुरिया लगाए. शीघ्र ही सफलता प्राप्त होगी.

४:- बैडरूम में पलंग के ऊपर अथवा डाइनिंग टेबल के ऊपर बीम हो तो, इसका अत्यंत खराब प्रभाव पड़ता है. इस दोष को दूर करने के लिए बीम के दोनों ओर एक एक बाँसुरी लाल फीते में बाँध कर लगानी चाहिए. साथ ही यह भी ध्यान रखे कि बाँसुरी को लगाते समय बाँसुरी का मुंह नीचे की ओर होना चाहिए.

५:- यदि बाँसुरी को घर के मुख हाल में या प्रवेश द्वार पर तलवार की तरह “क्रास” के रूप में लगाया जाए, तो आकस्मिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है.

६:- घर के सदस्य यदि बीमार अधिक हों अथवा अकाल मृत्यु का भय या अन्य कोई स्वास्थ्य से सम्बन्धित समस्या हो, तो प्रत्येक कमरें के बाहर और बीमार व्यक्ति के सिरहाने बाँसुरी का प्रयोग करना चाहिए इससे अति शीघ्र लाभ प्राप्त होने लगेगा.

७:- यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुण्डली में शनि सातवें भाव में अशुभ स्थिति में होकर विवाह में देर करवा रहे हो, अथवा शनि की साढ़ेसती या ढैया चल रही हो, तो एक बाँसुरी में चीनी या बूरा भरकर किसी निर्जन स्थान में दबा देना लाभदायक होता है इससे इस दोष से मुक्ति मिलती है.

८:- यदि मानसिक चिंता अधिक तेहती हो अथवा पति-पत्नी दोनों के बीच झगड़ा रहता हो, तो सोते समय सिरहाने के नीचे बाँसुरी रखनी चाहिए.

९:- यदि आप एक बाँसुरी को गुरु-पुष्य योग में शुभ मुहूर्त में पूजन कर के अपने गल्ले में स्थापित करते है तो इसके कारण आपके कार्य-व्यवसाय में बढोत्तरी होगी, और धन आगमन के अवसर प्राप्त होंगे.

१०:- पाश्चात्य देशो में इसे घरों में तलवार की तरह से भी लटकाया जाता है.इसके प्रभाव स्वरुप अनिष्ट एवं अशुभ आत्माओं एवं बुरे व्यक्तियों से घर की रक्षा होती है.
११:- घर और अपने परिवार की सुख समृधि और सुरक्षा के लिए एक बाँसुरी लेकर श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन रात बारह बजे के बाद भगवान श्री कृष्ण के हाथों में सुसज्जित कर दे तो इसके प्रभाव से पूरे वर्ष आपकी और आपके परिवार की रक्षा तो होगी ही तथा सभी कष्ट व बाधाए भी दूर होती जायेगी.
बाँसुरी के संबंध में एक धार्मिक मान्यता है कि जब बाँसुरी को हाथ में लेकर हिलाया जाता है, तो बुरी आत्माएं दूर हो जाति है. और जब इसे बजाया जाता है, तो ऐसी मान्यता है कि घरों में शुभ चुम्बकीय प्रवाह का प्रवेश होता है.

इस प्रकार बाँसुरी प्रकृति का एक अनुपम वरदान है. यदि सोच समझ कर इसका उपयोग किया जाए तो वास्तु दोषों का बिना किसी तोड़ फोड के निवारण कर अशुभ फलो से बचा जा सकता है. जहां रत्न धारण, रुद्राक्ष, यंत्र, हवन, आदि श्रमसाध्य और खर्चीले उपाय है, वहीं बाँसुरी का प्रयोग सस्ता, सुगम और प्रभावी होता है. अपनी आवश्यकता के अनुसार इसका प्रयोग करके लाभ उठाया जा सकता है.

Saturday 30 May 2015

इन टिप्स को अपनाकर आप पा सकती हैं ग्लोइंग स्किन TIPS FOR SKIN CARE IN HINDI



अकसर युवा अपनी त्वचा को लेकर बहुत चिंतित रहते हैं क्योंकि ऐसे मौसम में ही त्वचा पर इंफेक्शन होने की आशंका बढ़ जाती है। वैसे आप उबटन से पा सकते हैं दमकती त्‍वचा लेकिन हम कुछ खास टिप्स युवाओं के लिए बता रहे हैं। आइए जानें टिप्स फॉर यूथ।

आपकी जीवनशैली और खानपान आपकी त्वचा को बहुत प्रभावित करती है। जंकफूड आपकी त्वचा को डल बनाता है इसीलिए खाने-पीने का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।

चेहरे की चमक-दमक बरकरार रखने के लिए रोज चेहरे की ठीक तरह से साफ-सफाई करना जरूरी है।

 हर रोज चेहरे को क्लीजिंग, टोनिंग, एक्सफोलिएशन, मॉश्चराइजिंग से सुबह-शाम धोना और साफ करना चाहिए।
धूप में जब भी बाहर निकले सनस्क्रीन लोशन का इस्तेमाल कीजिए।
आप अपने चेहरे को ग्लो देने के लिए फेशियल भी करवा सकते हैं। लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आपको ये पता होना जरूरी है कि फेशियल क्लीजिंग या ट्रीटमेंट में से कौन सा आपको करवाना है।

हरी सब्जियों के पानी से चेहरा धोने से भी त्वचा में चमक आती है।
युवा लड़कियों को फेशियल करवाने से बचना चाहिए लेकिन वे पील-ऑफ करवा सकती है। इससे त्वचा को अंदरूनी तौर पर किसी तरह का नुकसान नहीं होता बल्कि चेहरे पर जमा डेड स्किन हट जाती है।

चेहरे को चमकाने के लिए फेस मास्क का प्रयोग किया जा सकता है। इसे आप घर में भी कर सकती है। फेस मास्क मौसम के हिसाब से अलग-अलग होते है। गर्मियों में कूलिंग मास्क का प्रयोग किया जाता है। खीरे और मुल्तानी मिट्टी वाले फेस मास्क चेहरे का तरोताजा बनाते हैं साथ ही ठंडक भी देते हैं।
   
एक चम्मच शहद में एक चम्मच पानी मिलाकर चेहरे और गर्दन पर लगाएँ। सूख जाने पर पानी से चेहरा धो लें। इससे त्वचा चिकनी और कोमल होगी।
   
पौष्टिक भोजन के साथ ही व्यायाम, एक्सरसाइज करने से भी त्वचा में प्राकृतिक निखार आएगा।
   
आने लाइफ स्टाइल को बदले और जल्दी सोकर जल्दी उठने से भी आप हेल्दी रहेंगे और फ्रेश महसूस करेंगी।
   
हेल्दी और ग्लोइंग स्किन पाने के लिए तनावमुक्त रहना भी बेहद जरूरी है। साथ ही अपनी नींद पूरी करें।
   
तीन-चार बादाम दूध में भिगो दें। जब फूल जाएँ तब उन्हें दूध में पीसकर लेप बना लें और रात को सोने से पहले कुछ देर तक चेहरे पर मालिश करें और सुबह पानी से चेहरा धो लें।
  
 बेसन में थोड़ा दही मिलाकर लेप बना लें और उसे चेहरे पर लगाएं। कुछ देर लगा रहने दें। फिर चेहरे को पानी से धो लें। इससे त्वचा का रंग सुधरेगा तथा चेहरे पर पड़े दाग-धब्बे, झुर्रियाँ आदि दूर होंगी।
   
दूध, शहद, संतरे का रस तथा गाजर का रस लेकर अच्छी तरह मिलाकर लेप तैयार कर लें। इससे चेहरे पर धीरे-धीरे मालिश करें। कुछ देर बाद चेहरा धो लें।

   
इन टिप्स को अपनाकर न सिर्फ आप ग्लोइंग स्किन पा सकती हैं बल्कि तरोताजा महसूस करते हुए हेल्दी भी रहेंगी।

झाड़ू पर पैर लगने से बढ़ती है पैसों की तंगी, पढ़िए क्यों और कैसे...



घर में कई वस्तुएं होती हैं कुछ बहुत सामान्य रहती है। इनकी ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। ऐसी चीजों में से एक है झाड़ू। जब भी साफ-सफाई करना हो तभी झाड़ू का काम होता है। अन्यथा इसकी ओर कोई ध्यान नहीं देता। शास्त्रों के अनुसार झाड़ू के संबंध कई महत्वपूर्ण बातें दी गई हैं।

शास्त्रों के अनुसार झाड़ू को धन की देवी महालक्ष्मी का ही प्रतीक रूप माना जाता है। इसके पीछे एक वजह यह भी है कि झाड़ू ही हमारे घर से गरीबी रूपी कचरे को बाहर निकालती है और साफ-सफाई बनाए रखती है। घर यदि साफ और स्वच्छ रहेगा तो हमारे जीवन में धन संबंधी कई परेशानियां स्वत: ही दूर हो जाती हैं।

प्राचीन परंपराओं को मानने वाले लोग आज भी झाड़ू पर पैर लगने के बाद उसे प्रणाम करते हैं क्योंकि झाड़ू को लक्ष्मी का रूप माना जाता है। विद्वानों के अनुसार झाड़ू पर पैर लगने से महालक्ष्मी का अनादर होता है। झाड़ू घर का कचरा बाहर करती है और कचरे को दरिद्रता का प्रतीक माना जाता है। जिस घर में पूरी साफ-सफाई रहती है वहां धन, संपत्ति और सुख-शांति रहती है। इसके विपरित जहां गंदगी रहती है वहां दरिद्रता का वास होता है। ऐसे घरों में रहने वाले सभी सदस्यों को कई प्रकार की आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसी कारण घर को पूरी तरह साफ  रखने पर जोर दिया जाता है ताकि घर की दरिद्रता दूर हो सके और महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सके।

घर से दरिद्रता रूपी कचरे को दूर करके झाड़ू यानि महालक्ष्मी हमें धन-धान्य, सुख-संपत्ति प्रदान करती है। जब घर में झाड़ू का कार्य न हो तब उसे ऐसे स्थान पर रखा जाता है जहां किसी की नजर न पड़े। इसके अलावा झाड़ू को अलग रखने से उस पर किसी का पैर नहीं लगेगा जिससे देवी महालक्ष्मी का निरादर नहीं होगा। यदि भुलवश झाड़ू को पैर लग जाए तो महालक्ष्मी से क्षमा की प्रार्थना कर लेना चाहिए।

विवाह में सात फेरे और सात वचन ही क्यों लिए जाते हैं. ...



अधिकाँश लोग सिर्फ इतना ही जानते हैं कि विवाह में पति-पत्नी एक साथ सात फेरे लेते हैं, पर ये कम ही लोग जानते हैं कि सात ही फेरे क्यों और इन सातों फेरों के पीछे कौन से अर्थ छिपे होते हैं? हिन्दू विवाह में सात फेरों का कुछ ख़ास ही महत्व है. सात बार वर-वधू साथ-साथ कदम से कदम मिलाकर फौजी सैनिकों की तरह आगे बढ़ते हैं. रीतियों के अनुसार सात चावल की ढेरी या कलावा बँधे हुए सकोरे रख दिये जाते हैं, इन लक्ष्य-चिह्नों को पैर लगाते हुए दोनों एक-एक कदम आगे बढ़ते हैं, रुक जाते हैं और फिर अगला कदम बढ़ाते हैं. इस प्रकार सात कदम बढ़ाये जाते हैं. प्रत्येक कदम के साथ एक-एक मन्त्र बोला जाता है. पर हमारे समाज में पंडितों को नियमों की अपुष्ट जानकारी होने के कारण उनके द्वारा सात फेरे अलग-अलग तरहों से कराये जाते हैं, पर एक बात तो होती ही है और वो है - सात फेरे.

आइये बताते हैं कि हिन्दू विवाह में सात फेरे ही क्यों लिए जाते हैं. सात फेरों में पहला कदम अन्न के लिए उठाया जाता है, दूसरा बल के लिए, तीसरा धन के लिए, चौथा सुख के लिए, पाँचवाँ परिवार के लिए, छठवाँ ऋतुचर्या के लिए और सातवाँ मित्रता के लिए उठाया जाता है. मतलब यह कि पति-पत्नी के रिश्तों में ईश्वर को साक्षी मानकर दोनों प्रण करते हैं कि एक दूसरे के लिए अन्न संग्रह, धन संग्रह करेंगे और मित्रता स्थापित करते हुए एक-दूजे की ताकत बनेंगे. ऋतुचर्या का पालन करते हुए न सिर्फ एक-दूसरे को सुख देने का प्रयास करेंगे, बल्कि एक-दूसरे के परिवार को भी सुखी रखने के लिए हमेशा प्रयासरत रहेंगे.
          
हालांकि शादी के दौरान जाने-अनजाने तो सभी सात फेरे लगा लेते हैं, पर यदि आपसी तालमेल बिठाने में पति-पत्नी सफल न हो सके तो सात फेरे लेने के बावजूद सात जनम तक साथ रहने की बात तो दूर,सात कदम भी साथ चलना पति-पत्नी के लिए दूभर हो जाता है.मित्रो हिन्दू मैं जब विवाह होता है तो भावी पति अपनी सात जन्मो तक साथ निभाने वाली संगनी को सात वचन देता है ,,इस सूत्र मैं हम देखेगे की वो सात वचन कोन से है तथा उनका अर्थ क्या है ।
सबसे पहले .....................
कन्या वर से यह सात वचन मांगती है​
पहला वचन: यज्ञ आदि शुभ कार्य आप मेरी सम्मति के बाद ही करेंगे और मुझे भी इसमें शामिल करेंगे.
दूसरा वचन: दान आदि के समय भी आप मेरी सहमती प्राप्त करेंगे.
तीसरा वचन: युवावस्था, प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में आप मेरा पालन-पोषण करेंगे.
चौथा वचन: धन आदि का गुप्त रूप से संचय आप मेरी सम्मति से करेंगे.
पांचवा वचन: तमाम तरह के पशुओं की खरीदारी करते या बेचते समय आप मेरी सहमति लेंगे.
छठा वचन: वसंत, गर्मी, बारिश, शरद, हेमंत, और शिशिर जैसी सभी ऋतुओं में मेरे पालन-पोषण की व्यवस्था आप ही करेंगे.
सातवाँ वचन: आप मेरी सहेलियों के सामने कभी मेरी हंसी नहीं उड़ायेंगे और न ही कटु वचनों का प्रयोग करेंगे.

वर द्वारा कन्या से लिए गए वचन
पहला वचन: आप मेरी अनुमति के बिना किसी निर्जन स्थान, उद्यान या वन में नहीं जायेंगे.
दूसरा वचन: शराब का सेवन करने वाले मनुष्य के सामने उपस्थित नहीं होंगी.
तीसरा वचन: जब तक मैं आज्ञा न दूँ, तब तक आप बाबुल के घर भी नहीं जायेंगे.
चौथा वचन: धर्म और शास्त्रों के अनुसार मेरी किसी भी आज्ञा का उल्लंघन नहीं करेंगे.
पांचवा वचन: उपरोक्त वचनों को देने के बाद ही आप मेरे वामांग में स्थित हो सकती हैं.

अब आप ही उपरोक्त दिए गए वर-वधु के इन सातों वचनों को गौर से पढ़ कर देखिये आपने कि किस प्रकार ईश्वर को साक्षी मानकर किए गए इन सप्त संकल्प रूपी स्तम्भों पर सुखी गृ्हस्थ जीवन का भार टिका हुआ है........ !

जानें क्या खास है Samsung Galaxy S5 के इस फोन में ...


This brilliantly designed Samsung Galaxy S5 is a new classy addition to the Samsung Galaxy series with its eye popping looks and smart features. The smartphone sports an advanced Quad 1.9 GHz + Quad 1.3GHz + XMM6360 processor and is comes with the latest Android 4.4.2 (Kitkat) operating system with 2GB RAM.

The new Samsung Galaxy S5 is available in more colour options to choose from like “Electric Blue and Copper Gold”.


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Friday 29 May 2015

रोज ये 3 काम करने से विवाहित पुरुष नहीं होता धनहीन, रोगी या कमजोर

शादीशुदा इंसान जिम्मेदारियों को पूरा करने के दौरान कई मर्तबा अशांति और तनावों से भी घिर जाता है। ऐसी दशाएं मन व कामों पर भी बुरा असर डालती हैं। यही नहीं, ये बातें उसके व्यक्तित्व, चरित्र व सेहत में भी बड़े बदलाव लाकर गृहस्थी व रिश्तों का तालमेल भी बिगाड़ सकती है। यही वजह है कि शास्त्रों में गृहस्थ धर्म में मर्यादा और अनुशासन के पालन को सफल और सुखी जीवन का मंत्र माना गया है।

शास्त्रों में हर गृहस्थ खासकर पुरुष के लिए सुबह से लेकर रात को सोने तक कुछ खास कामों को करना जरूरी बताया गया है ताकि खुद के साथ परिवार भी तनावमुक्त, खुशहाल और हर तरह से संपन्न बना रहे। जानिए, शास्त्रों के नजरिए से किसी शादीशुदा पुरुष के लिए सुबह जागने के बाद अहम उन कामों को, जो व्यावहारिक तौर से अपनाना आसान भी हैं व सेहतमंद, ताकतवर, धनी व सफल बनने की चाहत को पूरा करने में मददगार व असरदार भी।

गृहस्थ को आलस्य छोड़कर ब्रह्ममुहूर्त या सूर्योदय के पहले जागकर धर्म व अर्थ दो बातों का ध्यान रख आगे की दिनचर्या नियत करना चाहिए।

इसी कड़ी में शरीर और मन की शुद्धि को अहम माना गया है। शरीर की पवित्रता के लिए पहले दांतों को साफ कर स्नान करना चाहिए। सुबह स्नान का यह महत्व यही बताया गया है कि चूंकि, शरीर से कई रूपों में दूषित पदार्थ बाहर निकलते रहते हैं, जो रोगी बनाते हैं। रोग मन को कमजोर करता है। इसलिए स्नान कर शरीर की पवित्रता से रोग, शोक व दु:ख दूर होते हैं। गंगा स्नान हो तो वह सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

विवाहित पुरुष को मन की शुद्धि के लिए संध्या उपासना या सूर्य पूजा, गायत्री मंत्र का जप, तर्पण और देव उपासना या इन में से कोई भी एक उपाय जरूरी अपनाना चाहिए। यह न केवल धार्मिक रूप से पुण्य देने वाले कर्म माने गए हैं, बल्कि व्यावहारिक तौर से भी तनाव और कलह को दूर रखने में कारगर होते हैं।

इस तरह शरीर शुद्धि बाहरी रूप से, तो देव स्मरण के उपाय अन्दर से शक्ति, ऊर्जा और स्वास्थ्य देने वाले होते हैं। आज के तेज रफ्तार भरे जीवन में वक्त निकालकर हर गृहस्थ यह नियम और संयम अपनाए, तो यह घर और परिवार के अन्य सदस्यों के लिये भी सकारात्मक और प्रेरणादायी वातावरण बनाता है, जिससे गृहस्थी में मेलजोल, प्रेम, विश्वास और सहयोग का भाव कायम रहता है। इससे मिली सकारात्मक ऊर्जा निश्चित तौर पर किसी भी पुरुष को सही कार्यक्षेत्र चुनने, पैसा व सफलता पाने की चाहत पूरी करने में मददगार होती है।

सुंदरकांड का पाठ क्यों किया जाता है, जानिए खास बातें



अक्सर शुभ अवसरों पर गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। शुभ कार्यों की शुरुआत से पहले सुंदरकांड का पाठ करने का विशेष महत्व माना गया है। जब भी किसी व्यक्ति के जीवन में ज्यादा परेशानियां हों, कोई काम नहीं बन रहा हो, आत्मविश्वास की कमी हो या कोई और समस्या हो, सुंदरकांड के पाठ से शुभ फल प्राप्त होने लग जाते हैं। कई ज्योतिषी और संत भी विपरीत परिस्थितियों में सुंदरकांड का पाठ करने की सलाह देते हैं। यहां जानिए सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से क्यों किया जाता है?

सुंदरकांड के लाभ से मिलता है मनोवैज्ञानिक लाभ
वास्तव में श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। संपूर्ण श्रीरामचरितमानस भगवान श्रीराम के गुणों और उनके पुरुषार्थ को दर्शाती है। सुंदरकांड एकमात्र ऐसा अध्याय है जो श्रीराम के भक्त हनुमान की विजय का कांड है। मनोवैज्ञानिक नजरिए से देखा जाए तो यह आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति बढ़ाने वाला कांड है। सुंदरकांड के पाठ से व्यक्ति को मानसिक शक्ति प्राप्त होती है। किसी भी कार्य को पूर्ण करने के लिए आत्मविश्वास मिलता है।

हनुमानजी जो कि वानर थे, वे समुद्र को लांघकर लंका पहुंच गए और वहां सीता की खोज की। लंका को जलाया और सीता का संदेश लेकर श्रीराम के पास लौट आए। यह एक भक्त की जीत का कांड है, जो अपनी इच्छाशक्ति के बल पर इतना बड़ा चमत्कार कर सकता है। सुंदरकांड में जीवन की सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र भी दिए गए हैं। इसलिए पूरी रामायण में सुंदरकांड को सबसे श्रेष्ठ माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति में आत्मविश्वास बढ़ाता है। इसी वजह से सुंदरकांड का पाठ विशेष रूप से किया जाता है।

सुंदरकांड के लाभ से मिलता है धार्मिक लाभ
हनुमानजी की पूजा सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली मानी गई है। बजरंग बली बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता हैं। शास्त्रों में इनकी कृपा पाने के कई उपाय बताए गए हैं, इन्हीं उपायों में से एक उपाय सुंदरकांड का पाठ करना है। सुंदरकांड के पाठ से हनुमानजी के साथ ही श्रीराम की भी विशेष कृपा प्राप्त होती है। किसी भी प्रकार की परेशानी हो, सुंदरकांड के पाठ से दूर हो जाती है। यह एक श्रेष्ठ और सबसे सरल उपाय है। इसी वजह से काफी लोग सुंदरकांड का पाठ नियमित रूप करते हैं।

हनुमानजी के पूजन में ध्यान रखें ये सामान्य नियम
हर युग में श्रीराम के अनन्य भक्त बजरंग बली श्रद्धालुओं के दुखों को दूर करके उन्हें सुखी और समृद्धिशाली बनाते हैं। इसी कारण आज इनके भक्तों की संख्या काफी अधिक है। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमानजी के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। हनुमानजी के पूजन और दर्शन के लिए शास्त्रों के अनुसार कुछ नियम बताए गए हैं, पूजन और दर्शन करते समय इन नियमों का पालन चाहिए।

हनुमानजी की तीन परिक्रमा करने का विधान है। भक्तों को इनकी तीन परिक्रमा ही करनी चाहिए।

दोपहर के समय बजरंग बली को गुड़, घी, गेहूं के आटे से बनी रोटी का चूरमा अर्पित किया जा सकता है।

हनुमानजी को शाम के समय फल जैसे आम, केले, अमरूद, सेवफल आदि का भोग लगाना चाहिए।

सुंदरकांड का पाठ करते समय हनुमानजी को सिंदूर, चमेली का तेल और अन्य पूजन सामग्री भी अर्पित करना चाहिए।

शंख के SPECIAL BENEFITS जानेंगे तो आप भी मानेंगे ये है चमत्कार है



हिंदू धर्म में कई प्रकार के धार्मिक तौर-तरीके और परंपराएं हैं। जिनका हमारे जीवन में गहरा महत्व है। ऐसे सभी कर्मों के पीछे धार्मिक महत्व के साथ ही वैज्ञानिक महत्व भी है।
प्राचीन परंपराएं हमारे स्वास्थ्य को अच्छा रखने के उद्देश्य से बनाई गई हैं। ऐसी ही एक परंपरा है शंख बजाना। जानिए शंख बजाने से हमें क्या-क्या लाभ मिलते हैं...

हमारे यहां मंदिरों में सुबह और शाम के समय आरती में शंखनाद किया जाता है यानी शंख बजाया जाता है। इसका अपना धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। धर्मग्रंथों के अनुसार शंखनाद शुभ होता है। इसीलिए पूजा-पाठ के अलावा विवाह, विजय के उत्सव, राज्याभिषेक, हवन और किसी के आगमन के समय आमतौर पर शंख बजाया जाता है।

शंख बजाने में हमारी सेहत का राज भी छिपा है। शंखनाद से हम स्वस्थ रहते हैं। कई रोगों के कीटाणु भी दूर हो जाते हैं। प्राचीनकाल में युद्ध का आरंभ और समाप्ति शंखनाद से ही होती थी। ऐसा कहते हैं कि इसकी ध्वनि दुश्मनों को कमजोर करती है। शास्त्रों में शंखनाद का महत्व इस प्रकार है-
यस्य शंखध्वनिं कुर्यात्पूजाकाले विशेषत:।
वियुक्त: सर्वपापेन विष्णुना सह मोदते॥ (रणवीरभक्ति रत्नाकर)
अर्थात- पूजा के समय जो व्यक्ति शंख ध्वनि करता है, उसके सभी पाप यानी दु:ख दूर होते हैं। वह व्यक्ति भगवान विष्णु के साथ आनंद पाता है।

शंखनाद में प्रदूषण को दूर करने की अद्भुत क्षमता होती है। एक वैज्ञानिक खोज के अनुसार शंख की आवाज जहां तक जाती है, वहां तक कई रोगों के कीटाणु ध्वनि स्पंदन से या तो खत्म हो जाते हैं या फिर वे निष्क्रिय हो जाते हैं। रोजाना सुबह-शाम शंख बजाने से वायुमंडल कीटाणुओं से मुक्त हो जाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि सूर्य की किरणें ध्वनि की तरंगों में बाधक होती हैं। इसीलिए सुबह-शाम शंख बजाने की परंपरा है।

शंख की ध्वनि कई रोगों में लाभदायक है। शंख की ध्वनि लगातार सुनना हृदय रोगियों के लिए लाभदायक है। कारण इससे हृदयाघात नहीं होता। शंखनाद पर हुए कई शोधों का यह निष्कर्ष निकाला कि इसकी तरंगें बैक्टेरिया नष्ट करने के लिए एक तरह से श्रेष्ठ व सस्ती औषधि है। इससे हैजा, मलेरिया के कीटाणु भी नष्टï होते हैं। शंख ध्वनि से हमारे भीतर रोगनाशक शक्ति उत्पन्न होती है। मानसिक तनाव (मेंटल टेंशन), ब्लडप्रेशर, मधुमेह, नाक, कान व पाचन संस्थान के रोग होने की आशंका दूर हो जाती है।

पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों के बाद शंख में भरा जल श्रद्धालुओं पर छिड़का जाता है और उसे पीते भी हैं। इसमें कीटाणुनाशक शक्ति तो होती ही है, साथ ही इसमें गंधक, फास्फोरस और कैल्शियम होता है। इन तत्वों के कुछ अंश जल में भी आ जाते हैं। इसलिए शंख का जल सेहत के लिए फायदेमंद हो जाता है। अत: शंख-जल छिड़कने या पीने से शरीर के कई रोग दूर हो जाते हैं।

कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत - How to become an early riser



हममें से ज्यादातर लोगों ने कभी ना कभी ये कोशिश ज़रूर की होगी कि रोज़ सुबह जल्दी उठा जाये. हो सकता है कि आपमें से कुछ लोग कामयाब भी हुए हों, पर अगर majority की बात की जाये तो वो ऐसी आदत डालने में सफल नहीं हो पाते. लेकिन आज जो article मैं आपसे share कर रहा हूँ इस पढने के बाद आपकी सफलता की probability निश्चित रूप से बढ़ जाएगी. यह article इस विषय पर दुनिया में सबसे ज्यादा पढ़े गए लेखों में से एक का Hindi Translation है. इसे Mr. Steve Pavlina ने लिखा है . इसका title है “How to become an early riser.“. ये बताना चाहूँगा कि इन्ही के द्वारा लिखे गए लेख “20 मिनट में जानें अपने जीवन का उद्देश्य ” का Hindi version इस ब्लॉग पर सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले लेखों में से एक है.

तो आइये जानें कि हम कैसे डाल सकते हैं सुबह जल्दी उठने की आदत.

कैसे डालें सुबह जल्दी उठने की आदत?

It is well to be up before daybreak, for such habits contribute to health, wealth, and wisdom.-Aristotle

सूर्योदय होने से पहले उठाना अच्छा होता है , ऐसी आदत आपको स्वस्थ , समृद्ध और बुद्धिमान बनती है .-अरस्तु

सुबह उठने वाले लोग पैदाईशी ऐसे होते हैं या ऐसा बना जा सकता है ? मेरे case में तो निश्चित रूप से मैं ऐसा बना हूँ . जब मैं बीस एक साल का था तब शायद ही कभी midnight से पहले बिस्तर पे जाता था . और मैं लगभग हमेशा ही देर से सोता था. और अक्सर मेरी गतिविधियाँ दोपहर से शुरू होती थीं .

पर कुछ समय बाद मैं सुबह उठने और successful होने के बीच के गहरे सम्बन्ध को ignore नहीं कर पाया , अपनी life में भी . उन गिने – चुने अवसरों पर जब भी मैं जल्दी उठा हूँ तो मैंने पाया है कि मेरी productivity लगभग हमेशा ही ज्यादा रही है , सिर्फ सुबह के वक़्त ही नहीं बल्कि पूरे दिन . और मुझे खुद अच्छा होने का एहसास भी हुआ है . तो एक proactive goal-achiever होने के नाते मैंने सुबह उठने की आदत डालने का फैसला किया . मैंने अपनी alarm clock 5 am पर सेट कर दी …

— और अगली सुबह मैं दोपहर से just पहले उठा .

ह्म्म्म…………
मैंने फिर कई बार कोशिश की , पर कुछ फायदा नहीं हुआ .मुझे लगा कि शायद मैं सुबह उठने वाली gene के बिना ही पैदा हुआ हूँ . जब भी मेरा alarm बजता तो मेरे मन में पहला ख्याल यह आता कि मैं उस शोर को बंद करूँ और सोने चला जून . कई सालों तक मैं ऐसा ही करता रहा , पर एक दिन मेरे हाथ एक sleep research लगी जिससे मैंने जाना कि मैं इस problem को गलत तरीके से solve कर रहा था . और जब मैंने ये ideas apply कीं तो मैं निरंतर सुबह उठने में कामयाब होने लगा .

गलत strategy के साथ सुबह उठने की आदत डालना मुश्किल है पर सही strategy के साथ ऐसा करना अपेक्षाकृत आसान है .

सबसे common गलत strategy है कि आप यह सोचते हैं कि यदि सुबह जल्दी उठाना है तो बिस्तर पर जल्दी जाना सही रहेगा . तो आप देखते हैं कि आप कितने घंटे की नीद लेते हैं , और फिर सभी चीजों को कुछ गहनते पहले खिसका देते हैं . यदि आप अभी midnight से सुबह 8 बजे तक सोते हैं तो अब आप decide करते हैं कि 10pm पर सोने जायेंगे और 6am पर उठेंगे . सुनने में तर्कसंगत लगता है पर ज्यदातर ये तरीका काम नहीं करता .

ऐसा लगता है कि sleep patterns को ले के दो विचारधाराएं हैं . एक है कि आप हर रोज़ एक ही वक़्त पर सोइए और उठिए . ये ऐसा है जैसे कि दोनों तरफ alarm clock लगी हो —आप हर रात उतने ही घंटे सोने का प्रयास करते हैं . आधुनिक समाज में जीने के लिए यह व्यवहारिक लगता है . हमें अपनी योजना का सही अनुमान होना चाहिए . और हमें पर्याप्त आराम भी चाहिए .

दूसरी विचारधारा कहती है कि आप अपने शरीर की ज़रुरत को सुनिए और जब आप थक जायें तो सोने चले जाइये और तब उठिए जब naturally आपकी नीद टूटे . इस approach की जड़ biology में है . हमारे शरीर को पता होना चाहिए कि हमें कितना rest चाहिए , इसलिए हमें उसे सुनना चाहिए .

Trial and error से मुझे पता चला कि दोनों ही तरीके पूरी तरह से उचित sleep patterns नहीं देते . अगर आप productivity की चिंता करते हैं तो दोनों ही तरीके गलत हैं . ये हैं उसके कारण :

यदि आप निश्चित समय पे सोते हैं तो कभी -कभी आप तब सोने चले जायेंगे जब आपको बहुत नीद ना आ रही हो . यदि आपको सोने में 5 मिनट से ज्यादा लग रहे हों तो इसका मतलब है कि आपको अभी ठीक से नीद नहीं आ रही है . आप बिस्तर पर लेटे -लेटे अपना समय बर्वाद कर रहे हैं ; सो नहीं रहे हैं . एक और problem ये है कि आप सोचते हैं कि आपको हर रोज़ उठने ही घंटे की नीद चाहिए , जो कि गलत है . आपको हर दिन एक बराबर नीद की ज़रुरत नहीं होती .

यदि आप उतना सोते हैं जितना की आपकी body आपसे कहती है तो शायद आपको जितना सोना चाहिए उससे ज्यादा सोएंगे —कई cases में कहीं ज्यादा , हर हफ्ते 10-15 घंटे ज्यदा ( एक पूरे waking-day के बराबर ) ज्यादातर लोग जो ऐसे सोते हैं वो हर दिन 8+ hrs सोते हैं , जो आमतौर पर बहुत ज्यादा है . और यदि आप रोज़ अलग -अलग समय पर उठ रहे हैं तो आप सुबह की planning सही से नहीं कर पाएंगे . और चूँकि कभी -कभार हमारी natural rhythm घडी से मैच नहीं करती तो आप पायंगे कि आपका सोने का समय आगे बढ़ता जा रहा है .

मेरे लिए दोनों approaches को combine करना कारगर साबित हुआ . ये बहुत आसान है , और बहुत से लोग जो सुबह जल्दी उठते हैं , वो बिना जाने ही ऐसा करते हैं , पर मेरे लिए तो यह एक mental-breakthrough था . Solution ये था की बिस्तर पर तब जाओ जब नीद आ रही हो ( तभी जब नीद आ रही हो ) और एक निश्चित समय पर उठो ( हफ्ते के सातों दिन ). इसलिए मैं हर रोज़ एक ही समय पर उठता हूँ ( in my case 5 am) पर मैं हर रोज़ अलग -अलग समय पर सोने जाता हूँ .

मैं बिस्तर पर तब जाता हूँ जब मुझे बहुत तेज नीद आ रही हो . मेरा sleepiness test ये है कि यदि मैं कोई किताब बिना ऊँघे एक -दो पन्ने नहीं पढ़ पाता हूँ तो इसका मतलब है कि मै बिस्तर पर जाने के लिए तैयार हूँ .ज्यादातर मैं बिस्तर पे जाने के 3 मिनट के अन्दर सो जाता हूँ . मैं आराम से लेटता हूँ और मुझे तुरंत ही नीद आ जाति है . कभी कभार मैं 9:30 पे सोने चला जाता हूँ और कई बार midnight तक जगा रहता हूँ . अधिकतर मैं 10 – 11 pm के बीच सोने चला जाता हूँ .अगर मुझे नीद नहीं आ रही होती तो मैं तब तक जगा रहता हूँ जब तक मेरी आँखें बंद ना होने लगे . इस वक़्त पढना एक बहुत ही अच्छी activity है , क्योंकि यह जानना आसान होता है कि अभी और पढना चाहिए या अब सो जाना चाहिए .

जब हर दिन मेरा alarm बजता है तो पहले मैं उसे बंद करता हूँ , कुछ सेकंड्स तक stretch करता हूँ , और उठ कर बैठ जाता हूँ . मैं इसके बारे में सोचता नहीं . मैंने ये सीखा है कि मैं उठने में जितनी देर लगाऊंगा ,उतना अधिक chance है कि मैं फिर से सोने की कोशिश करूँगा .इसलिए एक बार alarm बंद हो जाने के बाद मैं अपने दिमाग में ये वार्तालाप नहीं होने देता कि और देर तक सोने के क्या फायदे हैं . यदि मैं सोना भी चाहता हूँ , तो भी मैं तुरंत उठ जाता हूँ .

इस approach को कुछ दिन तक use करने के बाद मैंने पाया कि मेरे sleep patterns एक natural rhythm में सेट हो गए हैं . अगर किसी रात मुझे बहुत कम नीद मिलती तो अगली रात अपने आप ही मुझे जल्दी नीद आ जाती और मैं ज्यदा सोता . और जब मुझमे खूब energy होती और मैं थका नहीं होता तो कम सोता . मेरी बॉडी ने ये समझ लिया कि कब मुझे सोने के लिए भेजना है क्योंकि उसे पता है कि मैं हमेशा उसी वक़्त पे उठूँगा और उसमे कोई समझौता नहीं किया जा सकता .

इसका एक असर ये हुआ कि मैं अब हर रात लगभग 90 मिनट कम सोता ,पर मुझे feel होता कि मैंने पहले से ज्यादा रेस्ट लिया है . मैं अब जितनी देर तक बिस्तर पर होता करीब उतने देर तक सो रहा होता .

मैंने पढ़ा है कि ज्यादातर अनिद्रा रोगी वो लोग होते हैं जो नीद आने से पहले ही बिस्तर पर चले जाते हैं . यदि आपको नीद ना आ रही हो और ऐसा लगता हो कि आपको जल्द ही नीद नहीं आ जाएगी , तो उठ जाइये और कुछ देर तक जगे रहिये . नीद को तब तक रोकिये जब तक आपकी body ऐसे hormones ना छोड़ने लगे जिससे आपको नीद ना आ जाये.अगर आप तभी bed पे जाएँ जब आपको नीद आ रही हो और एक निश्चित समय उठें तो आप insomnia का इलाज कर पाएंगे .पहली रात आप देर तक जागेंगे , पर बिस्तर पर जाते ही आपको नीद आ जाएगी . .पहले दिन आप थके हुए हो सकते हैं क्योंकि आप देर से सोये और बहुत जल्दी उठ गए , पर आप पूरे दिन काम करते रहेंगे और दूसरी रात जल्दी सोने चले जायेंगे .कुछ दिनों बाद आप एक ऐसे pattern में settle हो जायेंगे जिसमे आप लगभग एक ही समय बिस्तर पर जायंगे और तुरंत सो जायंगे .

इसलिए यदि आप जल्दी उठाना चाहते हों तो ( या अपने sleep pattern को control करना चाहते हों ), तो इस try करिए : सोने तभी जाइये जब आपको सच -मुच बहुत नीद आ रही हो और हर दिन एक निश्चित समय पर उठिए .

सोशल एंटरप्रिन्योरशिप से पैसा कमाया जा सकता है।



क्युमैन फंड की सीईओ जैकलीन नोवोग्रैत्ज के अनुसार, भारत नवीनता की प्रयोगशाला बनता जा रहा है। यहां के सामाजिक उद्यमियों के उत्पाद और सेवाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके हैं और पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफ्रीका आदि देशों में मदद कर रहे हैं। यह सफलता उस पुरानी धारणा को तोड़ रही है, जो सामाजिक उद्यम को परोपकार के पेशे के रूप में स्थापित करती है। इंडस्ट्री नामक सोशल एंटरप्राइज इंडस्ट्री की सहसंस्थापक और सामाजिक उद्यमी नीलम छिबर के अनुसार, यह परोपकार नहीं है। हम मार्केट सोल्यूशंस ढूंढ़ते हैं न कि कॉपरेरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी वाले समाधानों की खोज करते हैं। हम नियमित रूप से सोशल ऑडिट करते हैं। हम अपने कर्मचारियों के विकास के बारे में सोचते हैं और सामान्य व्यवसायों की तरह आगे बढ़ते हैं। सोशल एंटरप्रिन्योरशिप मॉडल सामूहिक उन्नति है, जहां दूसरों की मदद के साथ पैसा कमाया जा सकता है।

क्यों अपनाएं
ऐसा माना जा रहा है कि सामाजिक उद्यमिता भारत को प्रभावित करने वाले अगले बड़े कारकों में से एक है। सरकार, संस्थान और फंडिंग एजेंसी इस बात को महसूस कर रहे हैं कि सतत विकास का एक जरिया सोशल एंटरप्रिन्योरशिप है। इनोवरसेंट सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के बिजनेस कंसल्टेंट व सीएसआर हेड निशांत सरावगी के अनुसार, यह नया उभरता हुआ क्षेत्र निवेशकों का ध्यान खींच रहा है। पहले सामाजिक समस्याओं पर काम करने वाले संस्थान आदर्शवादी, परोपकारी और व्यावसायिक गुणों से हीन माने जाते थे, लेकिन जैसेजैसे सोशल सेक्टर प्राइवेट सेक्टर के संपर्क में आ रहा है, दोनों को महसूस होने लगा है कि केवल एक ही तरीके को अपनाना ठीक नहीं है। पूरी तरह से परोपकार या पूरी तरह से पूंजीवादी होना स्थायी व बेहतर संस्थानों के निर्माण के लिए पर्याप्त नहीं है। धीरे धीरे दोनों एक मिश्रित समाधान की ओर बढ़ रहे हैं। असल में सामाजिक उद्यम अपने नए रूप में स्व स्थापित बिजनेस मॉडल हैं, जो समाज की बेहतरी के लिए काम करने के साथसाथ मुनाफा भी अर्जित करते हैं। यही बात निवेशकों को आकर्षित कर रही है। निशांत के अनुसार, जैसेजैसे भारत सामाजिक और प्रशासनिक चुनौतियों को संबोधित कर रहा है, सामाजिक उद्यम संसाधन व पूंजी प्रबंधन के स्पैक्ट्रम में असंय अवसर उत्पन्न कर रहे हैं।

फंड कहां से मिलेगा
ज्यादातर लोग जुनून और डोमेन नॉलेज के साथ सामाजिक उद्यम के क्षेत्र में आते हैं, लेकिन वे माध्यमों के बारे में नहीं जानते। सोशल सेक्टर इनवेस्टर भी मददगार साबित होते हैं। आईआईटी एम का वेंचर रूरल टेक्नोलॉजी एंड बिजनेस इनक्यूबेटर (आरटीबीआई) ग्रामीण उद्यमों को सांचे में ढालता है, मार्गदर्शन, सहयोग, आधारभूत ढांचा और प्रारंभिक पैसा प्रदान करता है। इस प्रक्रिया में आइडिया स्टेज से ही कंपनियों पर ध्यान दिया है।
वे उद्यमी, जो ग्राउंड वर्क कर चुके होते हैं, बाजर की रिसर्च कर चुके होते हैं और बिजनेस प्लान का पहला ड्राट बना चुके होते हैं उनका स्वागत किया जाता है। आईसीआईसीआई बैंक का आईएफएमआर ट्रस्ट, स्कोल फाउंडेशन और सोशल वेंचर फंड्स जैसे सॉन्ग एडवाइजर्स, इलेवर इक्विटी, लोक कैपिटल, अनलिमिटेड इंडिया, ओएसिस फंड, वेंचर ईस्ट इसके लिए आर्थिक सहायता मुहैया करवाते हैं। अशोका : इनोवेटर्स फॉर दी , श्वाब फाउंडेशन, खेमका फाउंडेशन आदि भी सामाजिक उद्यमियों को सहयोग प्रदान करते हैं।
यहां से मिलेगा पैसा

एक्युमैन फंड
यह गरीबों को किफायती कीमत पर सेवाएं उपलध करवाने वाले सामाजिक उद्यमों को सहयोग देता है। स्वास्थ्य, पानी, ऊर्जा और कृषि के प्रोजेक्ट इसके मुख्य फोकस हैं। अब तक यह 25 मिलियन डॉलर भारत में निवेश कर चुका है। हर साल 5 से 7 मिलियन डॉलर निवेश की योजना बनाई जाती है, जो लोन या इक्विटी के रूप में दिए जाते हैं। एक्युमैन फंड की सीईओ जैकलीन नोवोग्रैत्ज कहती हैं, 2015 तक हम 50 मिलियन डॉलर का निवेश करेंगे।

चुनौतियां
असल में सोशल एंटरप्रिन्योरशिप लाभ कमाने वाले व्यवसाय से बहुत अलग नहीं है, लेकिन इसमें चुनौतियां ज्यादा हैं। यहां कर्मचारियों को बरकरार रखने, बिजनेस मॉडल को आगे बढ़ाने और संसाधनों में बढ़ोतरी जैसी सभी समस्याओं से गुजरना होता है। आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र वेंकट कृष्णन ने दानदाताओं और सामाजिक संस्थानों को जोड़ने के लिए गिव इंडिया की नींव रखी। गिव इंडिया पर्यावरण संरक्षण से लेकर बाल कल्याण जैसे अनेकों प्रोजेक्ट पर काम करने वाले संस्थानों के साथ काम करती है। वेंकट ने चेरिटेबल ट्रस्ट की बजाय कंपनी का निर्माण किया। कंपनी में बोर्ड है, स्ट्रेटजी कंसल्टेंट्स हैं। वेंकट कहते हैं, आईआईएम अहमदाबाद की डिग्री ने मेरी गंभीरता को पुख्ता किया है और इसी वजह से प्रतिष्ठित लोग बोर्ड में शामिल हुए हैं। वास्तविकता में सामाजिक उद्यमों को चलाना गंभीरता, संयम और समझ की मांग करता है। इनके संचालन के लिए ऐसे पेशेवरों की जरूरत होती है, जो टार्गेट सेटिंग, प्रदर्शन और दायित्वों को समझते हैं।
आविष्कार
120 मिलियन डॉलर का सोशल वेंचर फंड आविष्कार व्यावसायिक गतिविधियों के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर और ग्रामीण समुदायों को फायदा पहुंचाने की कोशिश करता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, कृषि और टेक्नोलॉजी सेक्टर में यह फंड उपलध करवाता है।

मुंबई एंजल्स
मुंबई एंजल्स से फंडिंग के लिए उपयुक्त बिजनेस प्लान, टीम, ऑपरेशंस, फंडिंग की जरूरत, रेवेन्यू प्रोजेक्शन, मार्केटिंग प्लान और बिजनेस केस एनालिसिस से संबंधित पूरा विवरण होना चाहिए। प्रोजेक्ट के चयन के दौरान टीम, प्रॉडक्ट और आय जैसे सभी पहलुओं पर गौर किया जाता है। पहले का अनुभव, शिक्षा और पूर्व सफलताएं भी फायदेमंद होती हैं।

ग्रे मैटर्स कैपिटल
यह इंफॉर्मेशन, कम्युनिकेशन और टेक्नोलॉजी सेक्टर में निवेश करता है ताकि शहरी और ग्रामीण तकनीकी गैप को कम किया जा सके। यह सामाजिक क्षेत्र में निवेश के साथ साथ आईडीईएक्स फैलोशिप भी देता है, जो कि ग्रे मैटर्स कैपिटल फाउंडेशन और ग्रे घोस्ट वेंचर्स का सामूहिक प्रयास है। आईडीईएक्स उन युवाओं के लिए मददगार है, जो समाज उत्थान में अपना करिअर बनाना चाहते हैं।

संभावनाएं
सामाजिक उद्यम को पेशे के रूप में अपनाने के लिए दो सवालों पर गौर करना बेहतर होगा। पहला, क्या भारत सोशल एंटरप्रिन्योरशिप को विकसित करने के लिए एक उपयुक्त जगह बन रहा है? दूसरा सवाल है कि अगर यह अच्छी जगह है तो किस तरह सोशल एंटरप्राइज  को और विकसित किया जा सकता है? सवालों के जवाब तलाशने में कुछ अहम तथ्य आपकी मदद करेंगे। भारत दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। आज इस ग्रह पर सांस लेने वाला हरेक छठा व्यक्ति भारतीय है। दूसरी अहम बात यह है कि भारत में इस तरह के संस्थानों को एक अलिखित सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त है। फिलहाल देश में करीबन 33 लाख एनजीओ काम कर रहे हैं, इसका मतलब है भारत के प्रति 400 लोगों के लिए एक एनजीओ काम कर रहा है। भारत की परिस्थिति और संस्कृति इनके विकास में योगदान देती है। आज भी भारत के चालीस प्रतिशत लोगों की आय सवा डॉलर प्रतिदिन से कम है, जो ढेर सारे सामाजिक सुधारों और मदद की दरकार रखता है।

इतनी बड़ी जनसंख्या की बेहतरी के लिए करने को ढेर सारे कामों की लंबी सूची है। भारत की जलवायु और राजनीतिक स्थिरता भी सोशल एंटरप्रिन्योरशिप के लिए अच्छा माहौल बनाती है। पाकिस्तान, सुडान और अफगानिस्तान की तुलना में भारत में काम करना कहीं ज्यादा आसान और सुरक्षित है। साथ ही सरकार ने ऐसी संस्थाओं को हमेशा सकारात्मक सहयोग दिया है। सरकार सोशल एंटरप्रिन्योरशिप के लिए फंडिंग, सडी से लेकर आधारभूत ढांचे के निर्माण में साथ दे रही है। सोशल नेटवर्क सोशल एंटरप्राइजेस को फलने-फूलने के लिए अच्छी जमीन दे रहा है। साथ ही विकसित हो रहे देश की वजह से पहचान का संकट भी समाप्त हो जाता है क्योंकि भारत वैश्विक मंच पर निर्णायक भूमिका का निर्वाह कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ, जो दुनिया के सबसे बड़े सोशल एंटरप्राइजेस का संचालन करता है, भारत की बात को गौर से सुन रहा है और कोशिश कर रहा है कि भारत की जमीन पर उसकी उपस्थिति ज्यादा से ज्यादा दर्ज हो क्योंकि समृद्ध और शक्तिशाली भारत निकट भविष्य में शांतिमय विश्व की गारंटी के साथ एक महान उपभोक्ता बाजार की तरह विकसित होगा।

जानिए क्या हैं Law of Attraction का सिद्धांत है



दोस्तों आपने “Om Shanti Om”  का ये dialogue “अगर किसी  चीज़  को  दिल  से  चाहो  तो  सारी  कायनात  उसे  तुम  से  मिलाने  में  लग  जाती  है” ज़रूर सुना होगा. इसी को सिद्धांत के रूप में Law of Attraction  कहा जाता है. ये वो सिद्धांत है जो कहता है कि आपकी सोच हकीकत बनती है. Thoughts become things. For example:  अगर आप सोचते हैं की आपके पास बहुत पैसा है तो सचमुच आपके पास बहुत पैसा हो जाता है, यदि आप सोचते हैं कि मैं  हमेशा गरीबी में ही जीता रह जाऊंगा, तो ये भी सच हो जाता है.

शायद सुनने में अजीब लगे पर ये एक सार्वभौमिक सत्य है. A Universal Truth. यानि हम अपनी सोच के दम पर जो चाहे वो बन सकते हैं. और ये कोई नयी खोज नहीं है भगवान् बुद्ध ने  भी कहा  है  “हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है. “   स्वामी विवेकानंद  ने भी यही बात इन शब्दों में कही है ” हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का धयान रखिये कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं. विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं.”

अव फेसबुक पर यह जानना हुआ आसान कि कौन है रियल और कौन है फेक।


 फेसबुक ने अपने वेरिफाइड अकाउंट्स या पेज में, उस पब्लिक फिगर के नाम के आगे ब्लू रंग के गोल घेरे में सही का निशान लगाया है. यह निशान आपको बताता है कि यह पेज वेरिफाइड है और आप सही जगह पर हैं.

फेसबुक पर कौन क्या है, जानना बहुत ही मुश्किल था. अब तक, पर अब नहीं. फेसबुक ने भी ट्विटर की तरह वेरिफाइड अकाउंट्स या पेज की शुरुआत कर दी है. अब आपको यह माथा-पच्ची करने की जरुरत नहीं कि जिस स्टार को आप फॉलो कर रहे हैं, वह रियल है या फेक? फेसबुक ने अपनी वेरिफाइड स्टेटस सर्विस अभी सिर्फ सिमित लोगों तक रखी है. यह पब्लिक फिगर, सेलेब्रिटी, सरकारी अधिकारी, बड़े ब्रांड्स और कुछ जर्नलिस्ट्स को यह सुविधा दी गई



                                      









एडवरटाइजिंग दुनिया का सबसे बेहतरीन पेशा है। Advertising world's best profession.



अवस्थी के लिए एडवरटाइजिंग दुनिया का सबसे बेहतरीन पेशा है। वे कहते हैं, यह कम्युनिकेशंस, मानव संसाधन, इतिहास, कला, संस्कृति, मनोविज्ञान और समाजशास्त्र का मिश्रण है। ओगिल्वी एंड माथर इंडिया में नेशनल क्रिएटिव डायरेक्टर अभिजीत करीबन 450 लोगों की क्रिएटिव टीम का नेतृत्व करते हैं। अभिजीत कहते हैं, एडवरटाइजिंग में मेरा प्रवेश संयोगवश हुआ था, लेकिन वही मेरे लिए सबसे सही रास्ता था। आईटीबीएचयू से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने स्टील प्लांट में काम किया। यह मुझे पसंद नहीं आया और मैंने छोड़ दिया। उसके बाद 1996 तक मैंने अपना हाथ टेक्सटाइल डाइंग, ताश के व माचिस के निर्यात और साड़ियों के व्यवसाय जैसे कामों में आजमाया। अब तक इंजीनियरिंग काफी पीछे छूट चुकी थी और एमबीए की तरफ मेरा झुकाव नहीं था। मैं खुद असमंजस में था कि क्या किया जाए और क्या नहीं। बस एक बात मैं जानता था कि मुझे रचनात्मक ढंग से सोचना पसंद था और मैंने काफी कुछ पढ़ा भी था।

विज्ञापन फिल्म निर्माता प्रसून पांडे और पीयूष पांडे के साथ मिलकर मैं घंटों
आइडिया पर चर्चा किया करता था। एक दिन पीयूष ने मुझे एडवरटाइजिंग में प्रवेश का सुझाव दिया। उनका मानना था कि मेरे पास समृद्ध सोच शक्ति थी जिसका उपयोग मुझे उस क्षेत्र के योग्य बना रहा था। उनकी बात मानकर मैं एंटरप्राइजेज नेक्सस चला गया और वहां मैंने आवेदन किया। जो कुछ मैंने किया वह उन्हें पसंद आया और उन्होंने मुझे रख लिया। मुझे भी यह जगह रास आई।

एडवरटाइजिंग की बहुत सारी खासियतों में से एक खास बात यह है कि यह आपको हर क्षेत्र के अनुभव को काम में लेने की इजाजत देती है। ज्यादातर लोग एडवरटाइजिंग में 20-21 साल की उम्र में आ जाते हैं। मुझे थोड़ी देर लग गई थी, मैं यहां 25-26 साल की उम्र में आया था, लेकिन इतने सालों तक मैंने जो कुछ भी किया उसके मुझे फायदे मिले।

TIME ऑफ इंडिया का ए डे इन दी लाइफ ऑफ इंडिया कैंपेन अभिजीत का पहला असाइनमेंट था। 1999 में अवस्थी क्रिएटिव डायरेक्टर के रूप में ओगिल्वी एंड माथर से जुड़े। फेविकोल, सेंटर शॉक, एशियन पेंट्स व पल्सर जैसे ब्रांड्स के साथ काम कर चुके अभिजीत कहते हैं, एडवरटाइजिंग का क्षेत्र प्रतिभा का पिटारा है। यह एक ऐसा काम है जो आपको बैठकर सोचने के लिए पैसा देता है। यह नौ से पांच की फिक्स नौकरी नहीं है। यह LIfe  का तरीका है। 24 घंटे और सातों दिन लगातार काम करना पड़ सकता है, लेकिन काम के परिणाम जब सामने आते हैं तो वैसी खुशी किसी और पेशे में नहीं मिल सकती।

यहां काम करने वाले पेशेवरों को अपना दिमाग वहां तक ले जाना पड़ता है, जहां तक कोई नहीं पहुंच सकता। जोखिम उठाना पड़ता है, खुद से सवाल करने होते हैं। करीबन 10 साल पहले एड एजेंसी चलाने या वहां काम करने का मतलब था इंजीनियरिंग या मेडिकल के लिए कम अंक होना, लेकिन अब यहां एमबीए, रचनात्मक कॉपीराइटर, आंकड़ों के जीनियस और क्लाइंट सर्विसिंग प्रोफेशनल हैं, जो मई की गर्मियों में भी स्वेटर खरीदने के लिए आपको मना सकते हैं।

ये कुछ ऐसा काम करते हैं, जिसे पढ़ाई की बदौलत सीखना मुश्किल है। आउट ऑफ बॉक्स आइडिया, विजुअल सोच, बेहतरीन संवाद क्षमता और बाजार की स्थिति को भांप लेना जैसे गुण ऐसी काबिलियतें हैं, जो इस क्षेत्र में काम के दौरान आपको हासिल होती हैं। किसी भी कंपनी या संस्थान के अस्तित्व व उन्नति में विज्ञापन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विज्ञापन निर्माताओं के लिए खासा मुश्किल होता है एक जैसे उत्पादों के बीच अपनी जगह बनाना।

ऐसे में उन्हें वे लोग चाहिए होते हैं, जो उपभोक्ताओं की नज पकड़ सकें। यहां कहानियां सुनाने, आइडिया बेचने, उसे स्क्रीन पर उतारने के पैसे मिलते हैं। असल में विज्ञापन मात्र प्रचार या उत्पाद को बेचने का तरीका भर नहीं रह गए हैं, बल्कि वे अपने आप में एक कहानी, संदेश या प्रेरणा होते हैं। ब्रांड चाहते हैं कि उपभोक्ता न केवल उनके उत्पाद को पहचानें, बल्कि उससे एक रिश्ता भी कायम करें। पेप्सी का चेंज दी गेम कैंपेन हो या फिर टाटा स्काई का पूछने में क्या जाता है, कोटक का सुबु सब जानता है, एयरटेल की फ्रेंडशिप सीरीज, हीरो मोटोकॉर्प का हममें है हीरो, कैडबरी डेयरी मिल्क का शुभारंभ विज्ञापन अपने आइडिया के जरिए ब्रांड उपभोक्ता से जुड़ते आए हैं। विज्ञापन पेशेवरों को यही काम करना होता है। इस जुड़ाव में वे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसीलिए ग्लैमरस दिखने वाला यह क्षेत्र कड़ी मेहनत से भरपूर है। दूसरी अहम बात यह है कि दुनियाभर के सबसे रचनात्मक पेशे एडवरटाइजिंग पर भारत में 30,000 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। दी इंडिया टीवी इंडस्ट्री एक्ट टू रिपोर्ट के अनुसार, 2016 तक भारत, जापान और चीन के बाद तीसरा सबसे बड़ा टेलीविजन विज्ञापन  होगा।

15 प्रतिशत की चक्रवर्ती वार्षिक वृद्धि दर के साथ भारत में टीवी विज्ञापन आय 26,325 करोड़ रुपए के आंकड़े को पार करने के लिए ऑस्ट्रेलिया और कोरिया को ओवरटेक करेगी। स्टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर संजय गुप्ता के अनुसार, ब्रांड्स के निर्माण में निवेश और एडवरटाइजिंग भारत में मजबूत स्थिति में ही रहेंगे। यहां वृद्धि दर सालाना 12-16 प्रतिशत अनुमानित है। यह तेजी से प्रगति करने वाले क्षेत्रों में से एक है। आईएएमएआई और इंडियन मार्केट रिसर्च यूरो की डिजिटल एडवरटाइजिंग रिपोर्ट बताती है कि 2013 के अंत तक मोबाइल एडवरटाइजिंग 144 करोड़ की हो जाएगी। इसी तरह की बढ़ोतरी अन्य माध्यमों में भी अनुमानित है। ऐसे में यहां प्रवेश करने वालों के लिए भविष्य उज्ज्वल है। बस याल इस बात का रखना है कि यह इंडस्ट्री रचनात्मकता और प्रतिभा की लालची है। अगर आपमें आइडिया सोचने, कहानी सुनाने, हरेक स्थिति को अलग-अलग ढंग से सोचने, कमाल की कल्पनाशक्ति और आंकड़ों से खेलने का हुनर है तो एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री में आपका स्वागत है।


विज्ञापन की अवधारणा सदियों पुरानी है। 981 ईसवी में एरिक दी रेड ने आइसलैंड के पश्चिम द्वीप के सर्वेक्षण के लिए दक्षिणी नॉर्वे को छोड़ दिया था। एरिक ने इस रहस्यमयी जगह की यात्रा की। उन्होंने द्वीप के दक्षिणी किनारे को पूरी तरह खंगाला और पश्चिमी किनारे का सफर भी तय किया। अंतत: वे एक ऐसे किनारे तक पहुंचे, जिसका ज्यादातर हिस्सा बिना बर्फ का प्रतीत हो रहा था और वहां रहने लायक परिस्थितियां भी थीं। एरिक ने यहां तीन साल बिताए। अब वे चाहते थे कि दूसरे लोग भी वहां आएं और रहें, लेकिन इसके लिए उन्हें इस जगह के बारे में बताना जरूरी था। प्रवासियों को नॉर्वे से आइसलैंड लाने के लिए एरिक ने समशीतोष्ण जलवायु, घास के मैदान और हरे-भरे खेतों की तस्वीर तैयार की। इसे संपूर्ण बनाने के लिए एरिक ने इसे ग्रीनलैंड नाम दिया। यह नाम एरिक ने लोगों को यहां आने के लिए आकर्षित करने हेतु रखा था। एरिक जानते थे कि यदि वे कोई ऐसा नाम देंगे तो लोग जरूर आकर्षित होंगे।

जब एरिक लौटे तो वे अपने साथ ग्रीनलैंड की ढेरों कहानियां लाए थे। एरिक की तकनीक ने उन्हें सफल बनाया। लोगों को लगने लगा कि ग्रीनलैंड में समृद्धि है। सैकड़ों की  लोग वहां पहुंचें और रहें। इस तरह एरिक ने एक ब्रांड की रचना की। बेबीलोनिया में भी एडवरटाइजिंग का शुरुआती रूप दिखाई दिया था। वहां क्रायर्स (घोषक या चिल्लाने वाले) का उद्भव हुआ था। 3,000 ईसा पूर्व लोग अपना सामान गलियों में लेकर जाते थे और आवाज लगाते थे। आगे चलकर व्यापारियों ने क्रायर्स को किराए पर रखना शुरू किया, जो तेज आवाज में उनका सामान बेचा करते थे। बेबीलोनिया निवासियों ने आगे चलकर आउटडोर एडवरटाइजिंग का उपयोग किया। किसी भी संस्थान के बाहर साइनबोर्ड लगा दिया जाता था जिस पर व्यापारी के उत्पाद का कच्च चित्रण कर दिया जाता था। सबसे पुराना लिखित विज्ञापन करीबन तीन हजार वर्ष पुराना है। पपाइरस के तने पर भगोड़े गुलामों का विवरण और उन्हें लेकर आने पर इनाम की घोषणा होती थी। 16वीं सदी में मुद्रण मशीनों के आने से अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित होने लगे। उसके बाद टीवी, रेडियो और अखबार, मैग्जीन, इंटरनेट, बिलबोर्ड और आउटडोर ने पूरी तरह विज्ञापन उद्योग को मजबूती दी।

यहाँ भारत में शीर्ष 9 जॉब पोर्टल साइटों की सूची.- India Top 9 Job Sites List



यहाँ भारत में शीर्ष 10 जॉब पोर्टल साइटों की सूची.

1. नौकरी - www.naukri.com यह सबसे व्यापक नौकरी खोजों में से एक है और opportunities.Clean इंटरफेस के ढेर सारे सभी श्रेणियों में उत्कृष्ट परिणाम प्रदान करता है. यह भी निर्माण सेवाओं को फिर से शुरू और वेब आधारित और एसएमएस अलर्ट के माध्यम से फ्लैश फिर से शुरू कर देता है.

2. दानव भारत - www.monsterindia.com दानव दानव वर्ल्डवाइड इंक, नौकरी चाहने वालों नौकरी / कैरियर के अवसर के बारे में पता लगाने के लिए सक्षम करने के मुख्य उद्देश्य होने का एक प्रमुख ब्रांड है.

3. टाइम्स नौकरियां - www.timesjobs.com साइट नौकरियों के सभी प्रकार के होते हैं और व्यक्तियों को उसकी / उसकेwww.choice.It भी मध्य पूर्व में नौकरियों के लिए एक अलग पोर्टल प्रदान करता है के काम में पता लगाने में मदद करता है.

4. चमक - www.shine.com शाइन आवेदक के अद्वितीय कौशल के साथ रोजगार के अवसर मिलान पर केंद्रित है और वह भी एक वेतन बेंच मार्किंग उपकरण प्रदान करता है.

5.ClickJobs - www.clickjobs.com साइट आप की इच्छा अगर आपकी जानकारी के कुछ गोपनीय रखने के लिए अनुमति देता है. एक संभावित नियोक्ता को अपना पूरा प्रोफाइल देखने के लिए इच्छुक है, तो आप सीधे ईमेल के माध्यम से संपर्क किया जाएगा.

6.Freshersworld/Vfreshers - www.freshersworld.com और www.vfreshers.com इन पोर्टलों भारत में फ्रेशर्स के लिए नौकरियों को पूरा करते हैं. वे इस तरह के गर्म नौकरी, सरकारी / तकनीकी नौकरियां, रक्षा नौकरियां, आईटी, करियर, कंपनी सूची और साक्षात्कार सुझावों के रूप में sectionjs सुविधा.

7. Bixee - www.bixee.comBixeetime.It फिल्टर के किसी भी बिंदु पर लगभग 1.5 milion सक्रिय नौकरियों के साथ एशिया की सबसे बड़ी संकर नौकरी पोर्टलों में से एक है और उपयोगकर्ता के अनुकूल तरीके में सबसे नवीन नौकरियों को प्रदर्शित करता है.

8. Careerjet को - www.careerjet.co.inCareerjet को इंटरनेट पर उपलब्ध नौकरी प्रसाद की भारी seletion नक्शे जो एक नौकरी खोज इंजन है. उपयोगकर्ता इस डेटाबेस क्वेरी और खुद को व्यक्तिगत रूप से प्रत्येक कंपनी की साइट पर जाकर की परेशानी को बचा सकता है.

9. CareerAge - www.careerage.comयह विभिन्न कैरियर विकल्पों के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराने के द्वारा छात्रों के साथ ही कैरियर बिल्डरों मदद जो भारत में सबसे व्यापक नौकरी पोर्टल, एक के रूप में माना जाता है.

Thursday 28 May 2015

फेसबुक पर लड़कियों से दोस्‍ती करने वाले ठग से जरा बच के!




अगर आप एक महिला हैं और आपका फेसबुक एकाउंट है तो ये खबर आपके लिए है. क्‍योंकि आपको फिल्‍मी अंदाज वाले रिकी बहल से होशियार रहना होगा, जो करोड़पति होने के साथ ही बेहद चालाक और स्‍मार्ट भी है. वो फेसबुक के जरिए भोली-भाली महिलाओं को फंसाता है और रिकी बहल के अंदाज में उनसे सबकुछ लूट लेता है.

जी हां, गाजियाबाद पुलिस के हत्‍थे चढ़ा है एक फेसबुक ठग. आरोपी फेसबुक के जरिए लोगों को फंसाता था और एक गेम के नाम पर उनसे करोड़ों रुपये ठग लेता था. रघुबीर सिंह नाम का ये आरोपी करोड़पति है और उसकी ठगी का जाल देश भर में फैला है. पुलिस के मुताबिक उसकी ताजा शिकार है देविका नाम की एक महिला.गुजरात की रहने वाली देविका से रघुबीर ने उसकी जिंदगी भर की कमाई करीब 1 करोड़ 10 लाख रुपये ठग लिए. दरअसल, उसने देविका को पहले फेसबुक पर फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट भेजी. धीरे-धीरे दोनों में दोस्‍ती हो गई. इसके बाद उसने देविका को एक ऑनलाइन गेम खेलने को कहा. जब वह जीत गई तो उरघुबीर ने उससे कहा कि वो उसे करीब 30 लाख रुपये दे तो वो उसे जीत की रकम 40 लाख रुपये देगा.इसके बाद उसने देविका को गाजियाबाद बुलाया और आरोप है कि यहां उसने उसे चाय में मिलाकर नशीला पदार्थ पिला दिया और उससे पैसे ठग लिए. बाद में तीन बार महिला से करीब एक करोड़ से ज्यादा की ठगी हुई. लेकिन जब महिला को लगा कि उसका पैसा वापस नहीं होगा तो उसने पुलिस में शिकायत दर्ज करवा दी.

पुलिस की मानें तो रघुबीर इसी तरह कई लोगों को ठग चुका है. उसने ज्‍यादातर महिलाओं को ही अपना शिकार बनाया है. पुलिस ने देविका की शिकायत पर उसे गिरफ्तार कर लिया है. हालांकि महंगी गाड़ि‍यों के शौकीन आरोपी ने खुद को बेकसूर बताया है.

ये अरबपतियों के 20 कथन जो बदल देंगे आप का जीवन

Quote 1 सफलता  की  ख़ुशी  मानना  अच्छा  है  पर  उससे  ज़रूरी  है  अपनी  असफलता  से  सीख  लेना 
Bill Gates , Business Magnate, Investor & Philanthropist
Quote 2:   विजेता  बनने  का  एक  हिस्सा  ये  जानना  है  कि  कब  हद   पार  हो  चुकी  है  . कभी -कभी  आपको  लड़ाई  छोड़  कर  जाना  पड़ता  है , और  कुछ  और  करना  होता  है  जो  अधिक  प्रोडक्टिव  हो .
Donald Trump ,American Business Magnate, Investor & TV Personality
Quote 3:  जब  दुनिया  बदलने  की  बात  हो  तो  कोई  भी  काम  छोटा  नहीं  है …मैन  जब  भी  किसी  ऐसे  उद्द्यमी   से  मिलता हूँ  जो  सभी  बाधाओं  के  खिलाफ  सफल  हो  रहा  हो  तो  मुझे  प्रेरणा  मिलती   है .
Cyril Ramaphosa ,South African Politician & Businessman
Quote 4:  सफलता  का  फार्मूला  : जल्दी  उठो , कड़ी  मेहनत  करो , लकी  रहो .
 J. Paul Getty ,Founder of Getty Oil Company
Quote 5:शायद  विजन  ही  हमारी  सबसे  बड़ी  ताकत  है …इसने  हमें  सदियों  से  विचारों  की  शक्ति  और  निरंतरता  के  माध्यम  से  ज़िंदा  रखा  है , ये  हमें  भविष्य  में  झाँकने  और  अज्ञात  को  आकार  देने  में  सहायक  होता  है .
Li Ka-Shing , Hong Kong Business Magnate & Philanthropist
Quote 6: मैं  जैसे -जैसे  बूढ़ा   हो  रहा  हूँ  , मैं  इस  बात पर  कम  ध्यान  देता  हूँ  कि  आदमी  क्या कह  रहा है . मैं  बस  देखता  हूँ  कि  वो  क्या  कर  रहा  है .
 Andrew Carnegie ,Steel Magnate
Quote 7:  जिसे  और  लोग  विफलता  का  नाम  देने  या  कहने  की  कोशिश  करते  हैं , मैंने  सीखा  है  कि  वो  बस  भगवान्  का  आपको  नयी  दिशा  में  भेजने  का  तरीका  है .
 Oprah Winfrey ,Talk Show Host, Producer & Philanthropist
Quote 8:ये  मत  सोचो  कि  तुम्हे  रोका  नहीं  जा  सकता  या  तुमसे  गलती  नहीं  हो  सकती . ये  मत  सोचो  कि  तुम्हारा  बिजनेस  सिर्फ  परफेक्शन  के  साथ  काम  करेगा . परफेक्शन  को  लक्ष्य  मत  बनाओ . सफलता  को  लक्ष्य  बनाओ .
 Eike Batista, Brazilian Business Magnate
Quote 9:मेरे  लिए  व्यवसाय  बसों  की  तरह  है . आप  एक  कोने  में  खड़े  होते  हैं  और  पहली  बस  जहाँ  जा  रही  है  वो  आपको  पसंद  नहीं  ? दस  मिनट  प्रतीक्षा  कीजिये  और  दूसरी  ले  लीजिये . ये  भी  पसंद  नहीं ? वे  आती  रहेंगी . बसों  और  व्यवसायों  का  कोई  अंत  नहीं  है .
Sheldon Adelson, American Business Magnate
Quote 10:  मजे  लीजिये . खेल  में  तब  कहीं  ज्यादा  मजेदार  हो  जाता  है  जब  आप  सिर्फ  पैसे  कमाने  से  बढ़कर  काम  करते  हैं .
Tony Hsieh ,Founder of Zappos
Quote 11: यदि  आप  सोचते  हैं  कि  आप  कोई  काम  कर  सकते  हैं  या ये  सोचते  हैं  कि  आप  कोई  काम  नहीं  कर  सकते  हैं , आप  सही  हैं .
Henry Ford, Founder of Ford Motors
Quote 12:यदि  आप  चाहते  हैं  कि  कभी  आपकी  निंदा  ना  की  जाये  तो  भगवान्  के  लिए  कुछ  नया मत   कीजिये .
Jeff Bezos, Founder of Amazon
Quote 13: सबसे  बड़ा  रिस्क  कोई रिस्क  ना  लेना  है …इस  दुनिया  में जो सचमुच  इतनी  तेजी  से  बदल  रही  है , केवल  एक  रणनीति   जिसका  फेल  होना  तय  है  वो  है  रिस्क  ना  लेना .
Mark Zuckerberg, Founder & CEO of Facebook
Quote 14: वफादारी  सबसे  पहला  होने  से  नहीं  जीती  जाते . ये  सबसे  अच्छा  होने  से  जीती  जाती  है .
Stefan Persson, Founder of H&M
Quote 15: नियम नम्बर १: कभी पैसा मत गंवाइये . नियम नम्बर २: कभी नियम नम्बर १ मत भूलिए.
 Warren Buffett , Business Magnate, Investor & Philanthropist
Quote 16: मैं मानता हूँ कि हमारी मूल सोच है कि हमारे लिए विकास जीने का एक तरीका है और हमें हर समय विकास करना है .
Mukesh Ambani, Indian Business Magnate
Quote 17: व्यवसाय पर आधारित मित्रता , मित्रता पर आधारित व्यवसाय से बेहतर है .
John D. Rockefeller ,  Founder of  the Standard Oil Company & Philanthropist
Quote 18: कड़ी मेहनत निश्चित रूप से आपको बहुत आगे तक ले जाती है . आज-कल बहुत से लोग कड़ी मेहनत करते हैं, इसलिए आपको सुनिश्चित करना होगा कि आप और भी परिश्रम से काम करें और सचमुच खुद को उस काम के प्रति समर्पित कर दें जो आप कर रहे हैं और जिसे आप पाना चाहते हैं.
Lakshmi Mittal,Indian Steel Magnate
Quote 19:यदि लोग आपके लक्ष्य पर हंस नहीं रहे हैं तो आपके लक्ष्य बहुत छोटे हैं.
Azim Premji ,Indian Businessman & Philanthropist
Quote 20 :आप कस्टमर से यह नहीं पूछ सकते कि वो क्या चाहते हैं और फिर उन्हें वो बना के दें.आप जब तक उसे बनायेंगे तब तक वो कुछ नया चाहने लगेंगे.

फेसबुक होता फेल ,तो मै होता मामूली इंजीनियर : मार्क जुकरबर्ग



लन्दन।फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में उद्यमियों और कम्प्यूटर हैकरों के सलाना सम्मेलन स्टार्टअप स्कूल में अपने अनुभव सांझा करते हुए कहा कि अगर फेसबुक सफल नहीं होता तो शायद माइक्रोसॉफ्ट में एक मामूली इंजीनियर के पद पर काम कर रहा होता।फेसबुक का उपयोग दुनिया के एक अरब अधिक लोग कर रहे हैं।

एक समाचार पत्र के साथ साक्षात्कार के दौरान जुकरबर्ग ने कहा कि यदि उनका आईडिया असफल हो जाता,तो वह सिएटल चले जाते। स्टैनफोड्र्स मेमोरियल हॉल में 1,700 श्रोताओं के सामने बीते शनिवार को जुकरबर्ग ने प्रौद्योगिकी वेंचर कैपिटल वाई कम्बिनेटर के सह-संस्थापक पॉल ग्राहम को बताया,मैं अगर इंजीनियर की नौकरी कर रहा होता तो माइक्रोसॉफ्ट के प्रति मेरे मन में काफी अधिक

0 बेलेंश पर किसी भी सिम का नंबर पता लगाये



मोबाइल फोन का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है। इसी के साथ बढ़ा है एक साथ 2 या 3 सिम रखने का चलन। आज के टाइम में लगभग हर किसी के पास 2 या 3 सिम जरुर होंगे। हर सिम का इस्तेमाल अलग अलग किया जाता है। कोई सस्ते नेट की वजह से दो सिम रखता है। तो कोई सस्ती कॉल की वजह से 2 सिम रखता है। सबकी अपनी अपनी पसंद है।

लेकिन अक्सर इतने सिम रखने की वजह से हम सिम का नम्बर भूल जाते है। बहुत से लोगो के साथ अक्सर ऐसा ही होता है। अचानक से मोबाइल में बेलेंश ख़त्म हो जाता है और हमे उसका नम्बर भी याद ना हो तो सबसे बड़ी परेशानी उसे रिचार्च करने में आती है। जब नंबर ही याद नहीं तो मोबाइल में रिचार्च केसे होगा।

वेसे तो बहुत सी कम्पनिया अपने रिचार्च कूपन भी उपलब्ध कराती है। लेकिन कभी बाजार में ये भी उपलब्ध नहीं रहते अब केसे करोगे रिचार्च। 0 बेलेंश होने पर ना तो कस्टमर केयर का नम्बर लगेगा और ना ही बिना मोबाइल नम्बर के आपका मोबाइल रिचार्च हो पायेगा।

 आज की पोस्ट उन्ही लोगो के लिए है जो अक्सर अपना मोबाइल नंबर भूल जाते है। आज की पोस्ट के बाद उन्हें अपना मोबाइल नम्बर बिना बेलेंश के ही पता चल जाएगा। निचे मैं उन कम्पनियों की ट्रिक दे रहा हु जिसे करने के बाद आप अपने मोबाइल नंबर का पता लगा सकते है।

1. AIRTEL
Type FREE and send it to 54321(tollfree) OR send a blank sms to 59103(tollfree), u will receive your mobile no. in a sms, Or dial *140*1600#, *400*2*1*10#, *121*9#

2. AIRCEL
On your aircel mobile dial *122*131# or *888#

3. TATA DOCOMO
To find docomo sim no. dial *1# or *580# or *124#

4. RELIANCE
On your reliance mobile dial *1# or *111#

5. IDEA
To find idea sim no. dial *1# or *789# or *100# or *131*1#

6. VODAFONE
On your vodafone mobile dial *555# or *555*0# or *111*2#

7. LOOP
To find loop mobile sim no. dial *1# or *001#

8. VIRGIN MOBILE
On your virgin mobile dial  *1#

9. VIDEOCON
To find videocon mobile sim no. dial *1#

10. BSNL
Call 24365 and ask them And You just need to send a GPRSPRE to 53733 from your BSNL sim card.

11. UNINOR
To find videocon mobile sim no Dial Number *555#

‘13 साल की उम्र से संघर्ष और अब ढाई घंटे में कमाती हूं ढाई लाख’



 प्रिया एक मोटिवेशनल ट्रेनर, स्पीकर और राइटर हैं। 13 साल की थीं, जब चंडीगढ़ छोड़ मुंबई बस गईं। हर एक फील्ड में आगे थीं। लोगों को पढ़ाने-समझाने में उन्हें मजा आता था। बस इसी शौक को उन्होंने अपना करियर बना लिया। 24 की उम्र में खुद की कंपनी लॉन्च करने वाली प्रिया आज बड़ी-बड़ी कंपनियों के कर्मियों को प्रेरित करती हैं। पिछले दिनों अपनी तीसरी किताब ‘द परफेक्ट वल्र्ड’ की लॉन्चिंग के लिए जब वह शहर आईं तो उन्होंने बताया कि मोटिवेशनल ट्रेनिंग में है कमाऊ करियर।

आंखों में सपने पाले एक स्कूली बच्चे के लिए मोटिवेशनल ट्रेनर दिलचस्प करियर साउंड करता है। इसमें करियर बनाने के लिए क्या करना होगा? आपकी अंग्रेजी बहुत अच्छी होनी चाहिए। स्पीकिंग एक्सेंट न्यूट्रल होना चाहिए। ऐसे शब्द इस्तेमाल करें जो सीधे असर करें। नॉलेज बहुत जरूरी है। इसके लिए फिलॉस्फी से लेकर ल्रिटेचर तक हर तरह की किताबें पढ़नी चाहिए। करेंट अफेयर्स से भी खुद को अपडेट रखना चाहिए। कई बार बेमतलब के सवाल भी किए जाते हैं। उनका जवाब देने के लिए नॉलेज और कॉन्फिडेंस होना बहुत जरूरी है। ये सारी खूबियां तो एक प्रफेसर या थिंकर में भी हो सकती हैं? हां, लेकिन दूसरों को मोटिवेट करने के लिए उसे खुद भी मोटिवेटेड होना चाहिए। ‘मैं नहीं कर सका तो आप करें’ वाला एटीट्यूड नहीं चलेगा। एक मोटिवेटर को अपने फील्ड में सफल होना चाहिए। नंबर वन से कम तो कुछ नहीं चलेगा। इसके अलावा, लोगों से प्यार करने वाला हो, उसे दोस्त बनाने का शौक हो, चुप न बैठता हो।ये तो गुण हो गए। प्रफेशनल लाइफ में कैसे एंट्री हो? ये गुण अनिवार्य समझिए। उसके बाद प्रफेशनल लेवल पर शुरू कर सकते हैं। शुरुआत छोटे लेवल से ही होती है। कॉलेज और क्लबों में अकसर मोटिवेशनल स्पीकर को बुलाते रहते हैं। ऐसी जगहों से अनुभव कमाएं, फिर बड़े लेवल पर खुद को लॉन्च करें।


आप कितना चार्ज करती हैं? दो-ढाई घंटों के लिए ढाई लाख रुपए।
10-15 साल पहले मोटिवेशनल स्पीकर नाम की चीज नहीं थी। इस बीच ऐसा क्या हुआ कि जिन लोगों ने इसे करियर बनाया, वे एक दिन में ही लाखों कमाने लगे? स्ट्रेस हो गया है लोगों की लाइफ में। काम करने के घंटे बढ़ गए हैं। पैसे कमाने की होड़ लगी है। हमने टेक्नीक को इतना बड़ा बना दिया है कि लोग जिंदादिली भूल गए हैं। मैं जब ट्रेनिंग शुरू करती हूं तो लोगों के मोबाइल अलग रखवा लेती हूं।

 
सुना है आप ट्रेनिंग के असामान्य तरीके अपनाती हैं?
मैं लोगों को आग और कांच पर चलवाती हूं। पहले वे मानने को तैयार नहीं होते कि वे ऐसा कर पाएंगे। लेकिन जब ऐसा कर लेते हैं, तो उनका खुद में विश्वास जगता है। एक पॉजिटिव एनर्जी मिलती है। नेगेटिविटी सिर्फ एक नजरिया है। कांच पर आराम से चलने के बाद लोगों को लगता है कि उस पार भी कुछ है।

स्टील रॉड मोड़ने को भी कहती हैं? हाहाहा। जी। वह भी गले से। यकीन मानिए ऐसा करके लोग बिल्कुल अलग महसूस करते हैं।

एक मोटिवेशनल स्पीकर के लिए कहां-कहां मौके हैं? आजकल हर कंपनी में ऐसी ट्रेनिंग कराई जाती है। बल्कि इसके लिए अलग से बजट रखा जाता है। कॉरपोरेट्स के अलावा सरकारी विभागों और कॉलेजों में भी इसकी जरूरत रहती है। पैसा भी अच्छा है। आपने कुछ बॉलीवुड हस्तियों को भी ट्रेन किया है? कई को किया है। पर सबके नाम नहीं बता सकती। उनके साथ एक कॉन्फिडेंशियल कॉन्ट्रैक्ट साइन करना पड़ता है। ज्यादातर को यह सिखाया कि असफलता के दौर से कैसे बाहर निकला जाता है।

 
ट्रेनिंग के वक्त एप्रोच क्या हो? सबसे पहला मकसद लोगों को इंगेज करना होता है। फिर लोगों को समझौता न करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। समझौता करना सबसे खतरनाक क्रिया है। मैं कभी ब्रूस ली जैसे घिसे-पिटे उदाहरण नहीं देती। किताब पढ़कर दूसरों के उदाहरण देने से अच्छा है कि आप अपनी लाइफ के उदाहरण दें।

 
आपकी तीसरी किताब आई है। आप भाषा में परफेक्शन की बात करती हैं। तो आप बेहतर ट्रेनर हैं, स्पीकर हैं या लेखक हैं? बेहतर लेखक हूं। यह मेरी लाइफ का वह पहलू है जिसे मैंने डिस्कवर किया।

 
तो फुल प्लेज राइटर क्यों नहीं बन जातीं? राइटर को पैसे नहीं मिलते ना। आप यह किताब खरीदेंगे तो मुझे सिर्फ 19 रुपए मिलेंगे। इससे अच्छा आप मुझसे 19 रुपए ले लो और किताब पढ़ो।

इन पांच रंगों में से कोई एक रंग चुनिए और जानिए अपना स्वभाव...



इन पांच रंगों में से कोई एक रंग चुनिए और जानिए अपना स्वभाव...

क्या आप जानते हैं कि रंगों की पसंद के अनुसार भी किसी व्यक्ति स्वभाव मालुम किया जा सकता है। ज्योतिष के अनुसार हमारा जैसा स्वभाव होता है वैसे ही कलर हमारी पसंद होते हैं।रंगों का ग्रहों से गहरा संबंध से भी होता है अत: हमारी पसंद-नापसंद पर शुभ-अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ता है।

ज्योतिष के अनुसार जानिए अपना स्वभाव-
यहां पांच रंगों क नाम दिए जा रहे हैं। इनमें से किसी एक रंग को सावधानी से सिलेक्ट करें। इसके बाद सभी रंगों के अनुसार आपका स्वभाव कैसा रहेगा? यह नीचे पढ़ें-

रंगों के नाम
लाल, काला, नीला, हरा, पीला
इन रंगों में से कोई एक रंग चुनें।

रंगों के अनुसार आपका स्वभाव

लाल: आप बहुत सावधान रहने वाले हैं, आपके जीवन प्रेम का बहुत अधिक महत्व है। आप बहुत अच्छे प्रेमी सिद्ध हो सकते हैं।

काला: आपका स्वभाव रूढि़वादी है। साथ ही आपको गुस्सा बहुत जल्द आता है। आपको बदलाव बहुत कम ही पसंद आता है।

नीला: आप स्वाभिमानी हैं, किसी से मदद लेना आपको पसंद नहीं होता। प्रेमी को पूरा समय देते हैं।

हरा: आप बहुत शांति प्रिय इंसान हैं। लड़ाई-झगड़ों से दूर ही रहते हैं।
पीला: आप हमेशा खुश रहने वाले इंसान हैं। दूसरों को हमेशा सही मार्गदर्शन देते हैं। सभी

मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
ज्योतिष के अनुसार उक्त के अनुसार व्यक्ति स्वभाव लगभग इसी तरह का रहता है। नौ ग्रहों की अलग-अलग स्थिति के अनुसार स्वभाव में परिवर्तन हो सकता है।

ड्यूओलिंगो ऐप अब सिखाएगा हिंदी से इंग्लिश



डिवेलपर का कहना है कि उन्हें इस ऐप को बनाने का आइडिया तब आया जब उन्होंने सेक्स वर्कर्स को रात को ठंड में सड़क पर ग्राहक ढूंढने के लिए घूमते हुए देखा। उन्होंने बताया कि बर्लिन में एक दिन देर शाम वह अपने एक दोस्त के साथ कहीं जा रही थीं। उन्होंने उस समय स्कर्ट पहन रखी थी। वहां बहुत ठंड थी और कम कपड़ों में ठंड और ज्यादा महसूस हो रही थी। उन्होंने बताया कि उसी दौरान सड़क पर मैंने सेक्स वर्कर को देखा, जो ठंड में बेहद कम कपड़ों में ग्राहक की तलाश कर रही थी। मैंने सोचा कि इन्हें कितनी दिक्कत उठानी पड़ती है। तभी यह ख्याल आया। मैंने सोचा कि हर चीज के लिए मोबाइल ऐप है, लेकिन इसके लिए नहीं। फिर मैंने एक ऐप पर काम करना शुरू कर दिया और उसका रिजल्ट 'पिपर' के रूप में सामने आया।

यह मोबाइल ऐप खोजेगा 'सेक्‍स वर्कर'



अब एक ऐसा मोबाइल ऐप बनाया गया है जिसका फंक्शन कुछ अलग ही है। यह मोबाइल ऐप आपको अपने इलाके में सेक्स वर्करों को ढूंढने में मदद करेगा। आप उस समय जहां भी होंगे, इस ऐप से पता चल जाएगा कि वहां सेक्स वर्कर कहां हैं।

मोबाइल फोन पर सेक्स पोजिशन के बारे में जानकारी देने के लिए पहले से ही ऐप आ चुके हैं, लेकिन अब इस क्षेत्र में यह नया ऐप बनाया गया है। इस बर्लिन आधारित मोबाइल ऐप का नाम 'पिपर' है, यह जीपीएस की मदद से उस इलाके के आसपास सेक्स वर्करों को ढूंढने में मदद करेगा, जहां आप उस समय होंगे। इस ऐप को एक ऑस्ट्रियाई डिवेलपर पिया पोपेनरिटर ने बनाया है। इस ऐप को बनाने के पीछे उनका मकसद सेक्स वर्कर्स को ग्राहक ढूंढने के लिए सड़क पर घूमने से बचाना है। गौरतलब है कि जर्मनी में वेश्यावृत्ति को कानूनी मान्यता मिली हुई है।

हर लड़की बन सकती है ब्यूटी क्वीन - नीना दावुलूरी



नीना दावुलूरी ने दुनिया भर में रह रहे भारतीयों को गर्व करने का एक और मौका दिया है। लेकिन इसके साथ ही वह एक नई तरह की बहस का हिस्सा भी बन गई हैं। अमेरिका का एक तबका उनकी सफलता से झुंझलाया हुआ है। वह सोशल मीडिया पर जहर उगलने की औपचारिकता पूरी कर चुका है। इस सबके बीच नीना की सफलता से सबसे अधिक खुश महिलाओं का वह वर्ग है जो अपनी शारीरिक बनावट को लेकर हीन भावना का शिकार रहता है। दरअसल, नीना की कहानी कई मायने में सिंड्रैला से भी हसीन है।

इस कहानी में नीना ने अपनी इच्छाशक्ति के जादू से खुद को खूबसूरती के ऊंचे मुकाम तक पहुंचाया है। नीना की खुशी का अंदाजा वह लोग नहीं लगा सकते जिन्होंने कभी मोटापे से छरहरेपन का सफर तय नहीं किया है। अपने शरीर पर 30 किलो का अतिरिक्त वजन से होने वाली शारीरिक परेशानी के अलावा मोटू होने का जुमला सुनना भी किसी सजा से कम नहीं है। बात चाहे किसी समाज की हो, मोटे इंसान को देखने का नजरिया कमोबेश एक जैसा ही है। मोटापे से जंग जितनी शारीरिक है उतनी ही मानसिक भी है। हर बार मोटापे से निजात पाने के तरीके खोजना और फेल हो जाना। यह इस सफर का सबसे स्वाभाविक पड़ाव है।

नीना ने जब वजन कम करने की ठानी होगी तो हर लड़की की तरह यही सोचा होगा कि कैसे भी, बस मोटापे निजात पा लूं। कभी जिस लड़की को आसपास का समाज नोटिस भी न करता हो वह खूबसूरती के चरम पायदान पर पहुंच जाए और मिस अमेरिका बन जाएगी, यह एक लोककथा की तरह है। नीना की कहानी हर उस लड़की की कहानी है जो मोटापे से कभी न खत्म होने वाली जंग लड़ रही हैं। उनमें से कोई भी बन सकती है ब्यूटी क्वीन।

फैशन डिजाइनिंग है: क्रिएटिविटी से भरपूर



 फैशन डिजाइनिंग की बात चलते ही मन में सवाल उठता है कि आखिर एक फैशन डिजाइनर गली के नुक्कड़ के दर्जी से अलग कैसे होता है? इसी सवाल के जवाब में है फैशन डिजाइनिंग की परिभाषा। फैशन डिजाइनिंग के कोर्स के दौरान छात्र न सिर्फ कपड़ों को अलग-अलग रूप-रंग और आकार में पहनने लायक बनाने के बारे में सीखते हैं, बल्कि उन्हें नए डिजाइन्स के लिए कॉन्सेप्ट तैयार करना, फैशन के बाजार, ग्राहक की पसंद, गार्मेट मेन्युफैक्चरिंग और तकनीकी बारीकियों के बारे में भी सिखाया जाता है। सबसे बडम अंतर तो यह है कि फैशन डिजाइनर आमतौर पर इस्तेमाल के लिहाज से बड़े पैमाने पर काम करते हैं, जैसे कोई डिजाइनर किसी बड़े ब्रांड के लिए अपने डिजाइन्स तैयार करता है, जिसे अलग-अलग साइज और रंगों में एक साथ कई ग्राहकों को स्टोर में बेचने के लिए रखा जाता है। वहीं दर्जी आपके लिए, आपकी पसंद और आकार को ध्यान में रखते हुए एक समय में एक ही कपड़ा तैयार करता है। 

कैसे करें शुरुआत
फैशन डिजाइनिंग में भविष्य देखने वाले छात्रों के लिए जरूरी है कि वे 12वीं तक किसी भी विषय में शिक्षा पूरी करें और उसके बाद देश-विदेश के नामी फैशन डिजाइनिंग संस्थानों की ओर से ली जाने वाली प्रवेश परीक्षा की तैयारी करें। पाठय़क्रमफैशन डिजाइनिंग में इन दिनों कई डिप्लोमा व डिग्री कोर्स मौजूद हैं। इनमें कुछ ट्रेडिशनल तो कुछ मौजूदा समय की मांग को देख कर तैयार किए गए नए कोर्स  हैं। संस्थान के साथ-साथ किस पाठय़क्रम को आप चुनना चाहते हैं, यह भी तय कर लीजिए। विभिन्न संस्थानों ने 3 से 4 वर्षीय ग्रेजुएशन डिग्री कोर्स व पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स उपलब्ध कराए हैं, जो इस प्रकार हैं:

बी. डिजाइन इन फैशन डिजाइन
बेचलर डिग्री इन फैशन डिजाइनिंग एंड टेक्सटाइल डिजाइनिंग
बी.एससी. इन फैशन एंड अपैरल डिजाइन
एम.ए. डिजाइन फैशन एंड टेक्सटाइल

डिप्लोमा इन डिजाइन
पीजी. डिप्लोमा इन डिजाइन इन दिनों फैशन डिजाइनिंग के अलावा फैशन कम्युनिकेशन कोर्स भी छात्रों को काफी पसंद आ रहा है। इस कोर्स के तहत छात्रों को अपैरल डिजाइनिंग और गार्मेट मैन्युफैक्चरिंग को छोड़ कर फैशन जगत की पूरी जानकारी दी जाती है, जिसमें फोटोग्राफी, ग्राफिक्स डिजाइनिंग, स्टाइलिंग, विजुअल मर्चेडाइजिंग आदि के बारे में बताया जाता है।

बी. डिजाइन इन फैशन कम्युनिकेशन
बेचलर इन फैशन मीडिया कम्युनिकेशन
एम.एससी. इन फैशन कम्युनिकेशन करियर में संभावनाएं
बडे-बडे फैशन डिजाइनरों के फैशन हाउसेज में काम करने का मौका
गार्मेट व टेक्सटाइल एक्सपोर्ट हाउस में नौकरी की संभावना
एक्सक्लुसिव एवं ब्रांडेड फैशन शोरूम्स का कारोबार
फैशन कम्युनिकेशन पाठय़क्रम के साथ यह संभावनाएं और भी बढ़ जाती हैं
समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, वेब पोर्टल्स और टेलीविजन में फैशन जर्नलिस्ट
फैशन पीआर प्रोफेशनल्स
फैशन ब्रांड मैनेजर
फैशन ईवेंट डिजाइनर

रिटेल मर्चेडाइजर
फैशन कंस्लटेंट इसके अलावा कोई भी फैशन ग्रेजुएट अपना खुद का कारोबार भी खोल सकता है। फीस
नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी जैसे संस्थानों में जहां डिजाइनिंग पाठय़क्रम की फीस सालाना 1.2 लाख रुपये है, वहीं प्राइवेट इंस्टीटय़ूट्स में फैशन डिजाइनिंग से जुडे पाठय़क्रमों की फीस सालाना 2.5 लाख रुपये से शुरू होती है। फीस अधिकतर प्रति सत्र के लिए ली जाती है। एजुकेशनल लोन
सरकारी व गैर-सरकारी दोनों प्रकार के बैंक, प्रोफेशनल व वोकेशनल कोर्सेज के तहत फैशन डिजाइनिंग में डिग्री कोर्सेज के लिए भारत में 10 लाख रुपये तक व विदेश में शिक्षा के लिए 30 लाख रुपये तक का लोन मुहैया कराते हैं। वेतनबतौर फैशन डिजाइनर अगर आप किसी कंपनी, लेबल या किसी डिजाइनर को असिस्ट करना शुरू करते हैं तो आप 15 हजार रुपये मासिक वेतन पा सकते हैं। खुद के कारोबार में कमाई आपके काम करने के तरीके और क्लाइंट्स पर निर्भर करती है। एक्सपर्ट व्यूफैशन कम्युनिकेशन के बाद हैं ढेरों संभावनाएं
फैशन डिजाइनिंग से लेकर फैशन कम्युनिकेशन तक के पाठय़क्रम इन दिनों छात्रों में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। फैशन उद्योग जगत को कई नामी डिजाइनर देने वाले नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी यानी एनआईएफटी, दिल्ली के फैशन कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की प्रमुख और सेंटर को-ऑर्डिनेटर अनुप्रीत भल्ला डुगल से जानते हैं उनकी राय। आपके संस्थान में इसकी कितनी फीस है और कितने छात्र यहां हर साल प्रवेश पा सकते हैं? इसकी फीस हर सत्र के अनुसार 60 से 62 हजार रुपये है और हमारे यहां हर साल औसतन तीस छात्र इस कोर्स में  प्रवेश पा सकते हैं। यह कोर्स दिल्ली के अलावा बेंगलुरू, हैदराबाद, कांगड़ा और मुंबई सेंटर्स में उपलब्ध है और उद्योग की मांग को ध्यान में रखते हुए भविष्य में इसे और सेंटर्स से भी शुरू करने की योजना है। इस पाठय़क्रम से छात्रों को क्या मदद मिलती है?

यह कोर्स उद्योग जगत को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। हालांकि यह अभी थोड़ी नई फील्ड है, लेकिन यहां से छात्र पूरी तरह से तैयार होकर फैशन जगत में बतौर फैशन फोटोग्राफर, विजुअल मर्चेडाइजर, हेयर एंड मेकअप स्टाइलिस्ट, ग्राफिक डिजाइनर, फैशन जर्नलिस्ट, फैशन एग्जीक्युटिव आदि बन कर निकलते हैं। इस कोर्स के बाद छात्र चाहें तो अपना बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं, जिसमें वे वेब डिजाइनर, ईवेंट मैनेजर आदि में अपना भविष्य खोज सकते हैं। इंस्टीटय़ूट 100 फीसदी प्लेसमेंट मुहैया कराता है, जहां सभी सेंटर्स से छात्र आकर कंपनीज में नौकरी के लिए आवेदन करते हैं। आगे किस-किस क्षेत्र में छात्र अपना भविष्य देख सकते हैं?
आज हिंदुस्तान में फैशन उद्योग जगत में काफी तेजी का दौर चल रहा है। जहां एक तरफ कई भारतीय ब्रांड उभर कर सामने आ रहे हैं, वहीं बहुत से इंटरनेशनल ब्रांड भी हमारे देश में अपना कारोबार जमा रहे हैं। इन परिस्थितियों को देखते हुए कह सकते हैं कि यहां से ग्रेजुएशन करने के बाद छात्र फैशन इंडस्ट्री के अलावा रिटेल, एडवर्टाइजिंग, लग्जरी ब्रांड मैनेजमेंट, फोटोग्राफी जैसे क्षेत्रों में अपना कौशल दिखा सकते हैं। फैशन डिजाइनिंग से फैशन कम्युनिकेशन कैसे अलग है?

फैशन कम्युनिकेशन का गारमेंट्स मैन्युफैक्चरिंग और अपैरल टेक्नोलॉजी से वास्ता नहीं है। यहां गारमेंट डिजाइनिंग की बजाय चार साल के कोर्स में छात्र फैशन जगत के नए आयामों जैसे फैशन फोटोग्राफी, ग्राफिक्स डिजाइनिंग, फैशन जर्नलिज्म, फैशन स्टाइलिंग, विजुअल मर्चेडाइजिंग जैसे विषयों के बारे में जानकारी हासिल करते हैं।

फैक्ट फाइल
720 करोड़ रुपये का है भारतीय फैशन उद्योग जगत भारतीय अपैरल उद्योग लगभग 2.7 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें से लगभग 1.62 लाख करोड़ रुपये के गार्मेट सिर्फ भारत में ही इस्तेमाल होते हैं, जबकि बाकी का निर्यात किया जाता है। फैशन जगत की कुछ रिपोर्टो के मुताबिक वर्ष 2020 में यह बाजार सालाना 13 से 15 फीसदी की विकास दर के साथ बढ़ कर 6.75 लाख करोड़ रुपये तक हो जाएगा। पिछले साल के मुकाबले इस साल की पहली तिमाही, अप्रैल से जून में रेडीमेड वस्त्रों के कारोबार में 10 फीसदी की दर से विकास देखने को मिला है।
क्रिएटिविटी दिखाने का मौका
क्लाइंट से लेकर कारीगर तक से बातचीत का मौका। नाम बन जाने पर मुंह मांगे पैसे की मांग
नामी-गिरामी हस्तियों के लिए काम के अवसर नुकसान
प्रतिस्पर्धा बहुत है
डिजाइन बहुत जल्दी कॉपी होते हैं
शो बिजनेस होने की वजह से निवेश ज्यादा
रिस्क फैक्टर ज्यादा है संस्थान
नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी

www.nift.ac.in पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन, दिल्ली
www.pearlacademy.com वोग इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, बेंगलुरू
www.voguefashioninstitute.com स्कूल ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, पुणे
www.softpune.com सिम्बायोसिस इंस्टीटय़ूट ऑफ डिजाइन, पुणे
www.sid.edu.in नॉर्दर्न इंडिया इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, मोहाली
www.niiftindia.com जे.डी इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, दिल्ली
www.jdinstitute.com नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन डिजाइन
www.nifd.net बर्मिघम इंस्टीटय़ूट ऑफ आर्ट एंड डिजाइन, बर्मिघम

सिरोही राजस्थान का तीसरा सबसे छोटा जिला है। (पर्यटन स्थल)



एक भाग पहाड़ों से घिरा और हरा-भरा है जबकि दूसरा भाग शुष्क
सिरोही राजस्थान का तीसरा सबसे छोटा जिला है। यह पश्चिम में जालौर, उत्तर में पाली, पूर्व में उदयपुर और दक्षिण में गुजरात के बनसकांथा जिलों से घिरा है। माउंट आबू इसे दो भागों में बांटता है जिनमें से एक भाग पहाड़ों से घिरा और हरा-भरा है जबकि दूसरा भाग शुष्क है। नि:संदेह माउंट आबू सिरोही की सबसे प्रसिद्ध जगह है। लेकिन इसके अलावा भी सिरोही में कई पर्यटक स्थल हैं जो सैलानियों को आकर्षित करते हैं।
माउंट आबू
झील के आस-पास बसा माउंट आबू सिरोही का ही नहीं बल्कि राजस्थान का भी एकमात्र हिल स्टेशन है। यह अरावली पहाड़ियों के दक्षिण पश्चिमी छोर पर घने जंगलों के बीच बसा है। यह एक प्रमुख जैन तीर्थस्थल भी है।माउंट आबू का नाम अबरुदा नामक सांप के नाम पर पड़ा जिसने भगवान शिव के नंदी बैल की रक्षा की थी। माउंट आबू के प्रमुख आकर्षण दिलवाड़ा के जैन मंदिर और अनेक पुरातात्विक महत्व की जगहें हैं। रोमांचक रास्ते, मनमोहक झीलें, उत्तम पिकनिक स्पॉट और ठंडा मौसम, जो राजस्थान के अन्य हिस्सों से अलग है, माउंट आबू को पसंदीदा पर्यटक स्थल बनाता है। अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थलों में गोमुख मंदिर, नक्की तालाब, अचलगढ़, अधर देवी मंदिर, मंदाकिनी कुंड, हनीमून प्‍वाइंट और सनसेट प्‍वाइंट शामिल हैं।

सरकारी संग्रहालय
सिरोही के सरकारी संग्रहालय की स्थापना 1962 में की गई थी। इसके निर्माण का उद्देश्य इस क्षेत्र की पुरातत्व धरोहर का संरक्षण करना था। राजभवन प्रांगण में स्थित यह संग्रहालय कई भागों में विभाजित है। पहले हिस्से में पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के हथियार, वाद्य यंत्र, महिलाओं के गहने और वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। संग्रहालय का मुख आकर्षण 6ठीं से 12वीं शताब्दी के बीच की देवदासी या नर्तकियों की मूर्तियां, चक्रबाहु शिव की प्रतिमा, 404 प्राचीन मूर्तियों का संग्रह और विष कन्या की प्रतिमा शामिल है।

नक्की झील
माउंट आबू की नक्की झील पहाड़ों के बीच स्थित बहुत खूबसूरत झील है। यह भारत की एकमात्र कृत्रिम झील है जो समुद्र तल से 1200 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। माना जाता है कि इस झील का निर्माण देवताओं ने अपने नाखुनों से किया था इसलिए इसका नाम नक्की झील पड़ा। झील में बोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध है। नक्की झील के पास ही रघुनाथजी मंदिर भी है।

चंद्रावती
आबू रोड से 6 किमी. दूर चंद्रावती परमारों का शहर था। इसका वर्तमान नाम चंदेला है। परमार 10वी और 11वीं शताब्दी में अबरुदमंडल के शासक थे और चंद्रावती उनकी राजधानी थी। यह नगर सभ्यता, वाणिज्य और व्यापार का मुख्य केंद्र था। चूंकि यह परमारों की राजधानी था इसलिए सांस्कृतिक रूप से यह बहुत समृद्ध था। चंद्रावती तत्कालीन वास्तुशिल्प का बहुत अच्छा उदाहरण है। 1972 में सिरोही में आई बाढ़ से इसके कई अवशेष बह गए या टूट गए। बाद में उन्हें आबु संग्रहालय में सुरक्षित रख दिया गया। चंद्रावती की ख्याति का उल्लेख विमल प्रबंध सहित अन्य जैन साहित्यों में भी मिलता है। इस नगर के विनाश का मुख्य कारण अरबों के निरंतर आक्रमणों को माना जाता है।

सर्नेश्‍वर मंदिर
भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का संचालन सिरोही देवस्थानम द्वारा किया जाता है। ये चौहानों के देओरा संप्रदाय के कुलदेव हैं। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के शासकों ने करवाया था क्योंकि मंदिर का ढांचा और आकार परमारों द्वारा बनवाए गए अन्य मंदिरों जैसा ही है। 1526 विक्रमी संवत में महाराव लखा की रानी अपूर्वा देवी ने मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करवाई। मंदिर परिसर में भगवान विष्णु की प्रतिमा ओर 108 शिव लिंगों का धारण किए एक प्लेट रखी है। मुख्य मंदिर के बाहर मंदाकिनी कुंड है जहां कार्तिक पूर्णिमा, चैत्र पूर्णिमा और वैसाख पूर्णिमा के दिन भक्त पवित्र स्नान करते हैं। विक्रम संवत भद्रपद माह में यहां उत्सव का आयोजन किया जाता है।

मीरपुर मंदिर
मीरपुर मंदिर के बारे में माना जाता है कि संगमरमर से बना यह राजस्थान का सबसे पुराना स्मारक है। दिलवाड़ा और रणकपुर के मंदिरों का निर्माण इसी मंदिर की तर्ज पर किया गया है। मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में राजपूत काल में किया गया था। इसकी नक्काशी दिलवाड़ा और रणकपुर मंदिरों के स्तंभों और परिक्रमा की याद दिलाती है। यह मंदिर 23वें जन र्तीथकर भगवान पार्श्‍वनाथ को समर्पित है। 13वीं शताब्दी में गुजरात के सुल्‍तान महमूद बेगडा़ ने इस मंदिर का ध्वस्त कर दिया। 15वीं शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण किया गया। वर्तमान में इसका मुख्य मंदिर अपने उसी रूप में खड़ा है जिसके स्तंभ और नक्काशी भारतीय पौराणिक मान्यताओं से रूबरू कराते हैं।

सर्वधर्म मंदिर
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह मंदिर दुनिया के सभी मंदिरों को समर्पित है। यह सिरोही शहर में सर्किट हाउस से एक किमी. की दूरी पर स्थित है। मंदिर का वास्तुशिल्प उत्तम है। धार्मिक महत्व के वृक्ष, जैसे- रूद्राक्ष, कल्पवृक्ष, कुंज, करसिंगार, बेलपत्र आदि यहां उगाए गए हैं। इसके अलावा यहां केसर की खेती भी होती है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं जो मंदिर के आसपास, अंदर और ऊपर देखी जा सकती हैं। यह एक आधुनिक स्मारक है जो राष्ट्रीय एकता और सर्वधर्म समभाव की शिक्षा देता है।

कैसे पहुंचें
माउंट आबू सिरोही का प्रमुख स्थान है। ज्यादातर रास्ते और साधन आपको यहीं के लिए मिलते हैं। माउंट आबू से सिरोही के अन्य पर्यटक स्थलों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर यहां से 185 किमी. दूर है।
रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड 28 किमी. की दूरी पर है जो अहमदाबाद, दिल्ली, जयपुर और जोधपुर से जुड़ा है।
सड़क मार्ग: माउंट आबू देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग के जरिए जुड़ा है। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवा है। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें दिल्ली के अलावा अनेक शहरों से माउंट आबू के लिए अपनी सेवाएं मुहैया कराती हैं।


सिरोही- एक नजर में
राज्य: राजस्थान
क्षेत्रफल: 5139 वर्ग किमी.
भाषा: , हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती






घर के सदस्यों को विपत्ति से बचाती है मछली



घर के सदस्यों को विपत्ति से बचाती है मछली

शीशे का छोटा सा घर जिनमें छोटी-छोटी मछलियां तैरती रहती हैं। इन्हें देखकर न सिर्फ बच्चों को मजा आता है बल्कि बड़ों को भी सुकून मिलता है। इस प्रकार के छोटे से मछली घर को एक्वेरियम कहा जाता है। एक्वेरियम सिर्फ मन को प्रसन्नता नहीं देते बल्कि फेंगशुई के अनुसार इनसे घर के सदस्यों के ऊपर आने वाली विपत्तियां टलती हैं एवं घर में धन-संपत्ति के आगमन में निरंतरता बनी रहती है। लेकिन फेंगशुई के कुछ नियम हैं जिनका पालन करते हुए एक्वेरियम रखा जाए तभी इसका समुचित लाभ मिल पाता है।

मछलियों की संख्या
एक्वेरियम में मछलियों की संख्या का विशेष महत्व है। फेंगशुई के अनुसार एक्वेरियम में मछलियों की संख्या कम से कम नौ होनी चाहिए। आठ मछलियां लाल अथवा सुनहरे रंग की होनी चाहिए जबकि एक मछली काले रंग की। ज्योतिषशास्त्र में ग्रहों की संख्या नौ बतायी गयी है। संभव है कि इन्हीं कारणों से फेंगशुई में नौ मछलियां एक्वेरियम में रखने की बात कही गयी है।
जब कभी कोई मछली मर जाये तो उसे एक्वेरियम से बाहर निकाल दें और उसकी जगह नई मछली लाकर रख दें। ध्यान रखें कि जिस रंग की मछली मरी हो उसी रंग की नई मछली हो। फेंगशुई के अनुसार जब कोई मछली मरती है तो अपने साथ घर पर आने वाली विपत्तियों को साथ लेकर चली जाती है। इसलिए एक्वेरियम में मछली के मरने पर दुःखी न हों।

हजारों साल पहले ऋषियों के आविष्कार, पढ़कर रह जाएंगे हैरान ।



हजारों साल पहले ऋषियों के आविष्कार, पढ़कर रह जाएंगे हैरान ।

हजारों साल पहले ऋषियों के आविष्कार, पढ़कर रह जाएंगे हैरान |
असाधारण या यूं कहें कि प्राचीन वैज्ञानिक ऋषि-मुनियों द्वारा किए आविष्कार व उनके द्वारा उजागर रहस्यों को जिनसे आप भी अब तक अनजान होंगे –

महर्षि दधीचि :-महातपोबलि और शिव भक्त ऋषि थे। वे संसार के लिए कल्याण व त्याग की भावना रख वृत्तासुर का नाश करने के लिए अपनी अस्थियों का दान करने की वजह से महर्षि दधीचि बड़े पूजनीय हुए। इस संबंध में पौराणिक कथा है किएक बार देवराज इंद्र की सभा में देवगुरु बृहस्पति आए। अहंकार से चूर इंद्र गुरु बृहस्पति के सम्मान में उठकर खड़े नहीं हुए। बृहस्पति ने इसे अपना अपमान समझा और देवताओं को छोड़कर चले गए। देवताओं ने विश्वरूप को अपना गुरु बनाकर काम चलाना पड़ा, किंतु विश्वरूप देवताओं से छिपाकर असुरों को भी यज्ञ-भाग दे देता था। इंद्र ने उस पर आवेशित होकर उसका सिर काट दिया। विश्वरूप त्वष्टा ऋषि का पुत्र था। उन्होंने क्रोधित होकर इंद्र को मारने के लिए महाबली वृत्रासुर को पैदा किया। वृत्रासुर के भय से इंद्र अपना सिंहासन छोड़कर देवताओं के साथ इधर-उधर भटकने लगे।ब्रह्मादेव ने वृत्तासुर को मारने के लिए वज्र बनाने के लिए देवराज इंद्र को तपोबली महर्षि दधीचि के पास उनकी हड्डियां मांगने के लिये भेजा। उन्होंने महर्षि से प्रार्थना करते हुए तीनों लोकों की भलाई के लिए अपनी हड्डियां दान में मांगी। महर्षि दधीचि ने संसार के कल्याण के लिए अपना शरीर दान कर दिया। महर्षि दधीचि की हड्डियों से वज्र बना और वृत्रासुर मारा गया। इस तरह एक महान ऋषि के अतुलनीय त्याग से देवराज इंद्र बचे और तीनों लोक सुखी हो गए।

आचार्य कणाद :-कणाद परमाणुशास्त्र के जनक माने जाते हैं। आधुनिक दौर में अणु विज्ञानी जॉन डाल्टन के भी हजारों साल पहले आचार्य कणाद ने यह रहस्य उजागर किया कि द्रव्य के परमाणु होते हैं।

भास्कराचार्य :-आधुनिक युग में धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति (पदार्थों को अपनी ओर खींचने की शक्ति) की खोज का श्रेय न्यूटन को दिया जाता है। किंतु बहुत कम लोग जानते हैं कि गुरुत्वाकर्षण का रहस्य न्यूटन से भी कई सदियों पहले भास्कराचार्यजी ने उजागर किया। भास्कराचार्यजी ने अपने ‘सिद्धांतशिरोमणि’ ग्रंथ में पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के बारे में लिखा है कि ‘पृथ्वी आकाशीय पदार्थों को विशिष्ट शक्ति से अपनी ओर खींचती है। इस वजह से आसमानी पदार्थ पृथ्वी पर गिरता है’।

आचार्य चरक :- ‘चरकसंहिता’ जैसा महत्तवपूर्ण आयुर्वेद ग्रंथ रचने वाले आचार्य चरक आयुर्वेद विशेषज्ञ व ‘त्वचा चिकित्सक’ भी बताए गए हैं। आचार्य चरक ने शरीरविज्ञान, गर्भविज्ञान, औषधि विज्ञान के बारे में गहन खोज की। आज के दौर की सबसे ज्यादा होने वाली डायबिटीज, हृदय रोग व क्षय रोग जैसी बीमारियों के निदान व उपचार की जानकारी बरसों पहले ही
उजागर की।

भारद्वाज :- आधुनिक विज्ञान के मुताबिक राइट बंधुओं ने वायुयान का आविष्कार किया। वहीं हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक कई सदियों पहले ऋषि भारद्वाज ने विमानशास्त्र के जरिए वायुयान को गायब करने के असाधारण विचार से लेकर, एक ग्रह से दूसरे ग्रह व एक दुनिया से दूसरी दुनिया में ले जाने के रहस्य उजागर किए। इस तरह ऋषि भारद्वाज को वायुयान का आविष्कारक भी माना जाता है।

कण्व :- वैदिक कालीन ऋषियों में कण्व का नाम प्रमुख है। इनके आश्रम में ही राजा दुष्यंत की पत्नी शकुंतला और उनके पुत्र भरत का पालन-पोषण हुआ था। माना जाता है कि उसके नाम पर देश का नाम भारत हुआ। सोमयज्ञ परंपरा भी कण्व की देन मानी जाती है।

कपिल मुनि :- भगवान विष्णु का पांचवां अवतार माने जाते हैं। इनके पिता कर्दम ऋषि थे। इनकी माता देवहूती ने विष्णु के समान पुत्र चाहा। इसलिए भगवान विष्णु खुद उनके गर्भ से पैदा हुए। कपिल मुनि 'सांख्य दर्शन' के प्रवर्तक माने जाते हैं। इससे जुड़ा प्रसंग है कि जब उनके पिता कर्दम संन्यासी बन जंगल में जाने लगे तो देवहूती ने खुद अकेले रह जाने की स्थिति पर दुःख जताया। इस पर ऋषि कर्दम देवहूती को इस बारे में पुत्र से ज्ञान मिलने की बात कही। वक्त आने पर कपिल मुनि ने जो ज्ञान माता को दिया, वही 'सांख्य दर्शन' कहलाता है।

पतंजलि :- आधुनिक दौर में जानलेवा बीमारियों में एक कैंसर या कर्करोग का आज उपचार संभव है। किंतु कई सदियों पहले ही ऋषि पतंजलि ने कैंसर को रोकने वाला योगशास्त्र रचकर बताया कि योग से कैंसर का भी उपचार संभव है।

शौनक :-वैदिक आचार्य और ऋषि शौनक ने गुरु-शिष्य परंपरा व संस्कारों को इतना फैलाया कि उन्हें दस हजार शिष्यों वाले गुरुकुल का कुलपति होने का गौरव मिला। शिष्यों की यह तादाद कई आधुनिक विश्वविद्यालयों तुलना में भी कहीं ज्यादा थी।

महर्षि सुश्रुत :- ये शल्यचिकित्सा विज्ञान यानी सर्जरी के जनक व दुनिया के पहले शल्यचिकित्सक(सर्जन) माने जाते हैं। वे शल्यकर्म या आपरेशन में दक्ष थे। महर्षि सुश्रुत द्वारा लिखी गई ‘सुश्रुतसंहिता’ ग्रंथ में शल्य चिकित्सा के बारे में कई अहम ज्ञान विस्तार से बताया है। इनमें सुई, चाकू व चिमटे जैसे तकरीबन 125 से भी ज्यादा शल्यचिकित्सा में जरूरी औजारों के नाम और 300 तरह की शल्यक्रियाओं व उसके पहले की जाने वाली तैयारियों, जैसे उपकरण उबालना आदि के बारे में पूरी जानकारी बताई गई है।
जबकि आधुनिक विज्ञान ने शल्य क्रिया की खोज तकरीबन चार सदी पहले ही की है। माना जाता है कि महर्षि सुश्रुत मोतियाबिंद, पथरी, हड्डी टूटना जैसे पीड़ाओं के उपचार के लिए शल्यकर्म यानी आपरेशन करने में माहिर थे। यही नहीं वे त्वचा बदलने की शल्यचिकित्सा भी करते थे।

वशिष्ठ :-वशिष्ठ ऋषि राजा दशरथ के कुलगुरु थे। दशरथ के चारों पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत व शत्रुघ्न ने इनसे ही शिक्षा पाई। देवप्राणी व मनचाहा वर देने वाली कामधेनु गाय वशिष्ठ ऋषि के पास ही थी।

विश्वामित्र :- ऋषि बनने से पहले विश्वामित्र क्षत्रिय थे। ऋषि वशिष्ठ से कामधेनु गाय को पाने के लिए हुए युद्ध में मिली हार के बाद तपस्वी हो गए। विश्वामित्र ने भगवान शिव से अस्त्र विद्या पाई। इसी कड़ी में माना जाता है कि आज के युग में प्रचलित प्रक्षेपास्त्र या मिसाइल प्रणाली हजारों साल पहले विश्वामित्र ने ही खोजी थी।ऋषि विश्वामित्र ही ब्रह्म गायत्री मंत्र के दृष्टा माने जाते हैं। विश्वामित्र का अप्सरा मेनका पर मोहित होकर तपस्या भंग होना भी प्रसिद्ध है। शरीर सहित त्रिशंकु को स्वर्ग भेजने का चमत्कार भी विश्वामित्र ने तपोबल से कर दिखाया।

महर्षि अगस्त्य :- वैदिक मान्यता के मुताबिक मित्र और वरुण देवताओं का दिव्य तेज यज्ञ कलश में मिलने से उसी कलश के बीच से तेजस्वी महर्षि अगस्त्य प्रकट हुए। महर्षि अगस्त्य घोर तपस्वी ऋषि थे। उनके तपोबल से जुड़ी पौराणिक कथा है कि एक बार जब समुद्री राक्षसों से प्रताड़ित होकर देवता महर्षि अगस्त्य के पास सहायता के लिए पहुंचे तो महर्षि ने देवताओं के दुःख को दूर करने के लिए समुद्र का सारा जल पी लिया। इससे सारे राक्षसों का अंत हुआ।

गर्गमुनि :- गर्ग मुनि नक्षत्रों के खोजकर्ता माने जाते हैं। यानी सितारों की दुनिया के जानकार। ये गर्गमुनि ही थे, जिन्होंने श्रीकृष्ण एवं अर्जुन के के बारे नक्षत्र विज्ञान के आधार पर जो कुछ भी बताया, वह पूरी तरह सही साबित हुआ। कौरव-पांडवों के बीच महाभारत युद्ध विनाशक रहा। इसके पीछे वजह यह थी कि युद्ध के पहले पक्ष में तिथि क्षय होने के तेरहवें दिन अमावस थी। इसके दूसरे पक्ष में भी तिथि क्षय थी। पूर्णिमा चौदहवें दिन आ गई और उसी दिन चंद्रग्रहण था। तिथि-नक्षत्रों की यही स्थिति व नतीजे गर्ग मुनिजी ने पहले बता दिए थे।

बौद्धयन :- भारतीय त्रिकोणमितिज्ञ के रूप में जाने जाते हैं। कई सदियों पहले ही तरह-तरह के आकार-प्रकार की यज्ञवेदियां बनाने की त्रिकोणमितिय रचना-पद्धति बौद्धयन ने खोजी। दो समकोण समभुज चौकोन के क्षेत्रफलों का योग करने पर जो संख्या आएगी, उतने क्षेत्रफल का ‘समकोण’ समभुज चौकोन बनाना और उस आकृति का उसके क्षेत्रफल के समान के वृत्त में बदलना, इस तरह के कई मुश्किल सवालों का जवाब बौद्धयन ने आसान बनाया।
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