नवग्रह शांति दुर्गा पूजा
अध्यात्मिक साधना के लिए जो लोग इच्छुक होते हैं वे लोग इन दिनों साधना रत रहते है.ग्रहों से पीड़ित व्यक्ति इन दस दिनों में ग्रह शांति भी कर सकते हैं यह इसके लिए उत्तम समय होता है.
दुर्गा पूजा के साथ ग्रह शांति:(Durga Pooja Grah Shanti)
माता दुर्गा ही सभी तंत्र और मंत्र की आधार हैं.यह देवी कालरात्रि हैं, काली और कपालिनी हैं.सभी तंत्र और मंत्र, यंत्र इन्हीं से जन्म लेते हैं और इन्हीं में मिल जाते हैं.बिना मंत्र के इनकी साधना अपूर्ण मानी जाती है.ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पृथ्वी पर जो भी मनुष्य हैं वे किसी न किसी ग्रह से पीड़ित हैं, ग्रहों की पीड़ा से बचने का एक मात्र उपाय उनकी शांति हैं.ग्रहों की शांति के लिए भी यंत्र और मंत्र प्रभवकारी हैं.दुर्गा पूजा के दस दिनों में अगर इनकी सहायता से ग्रह शांति करें तो इसका लाभ जल्दी मिलता है.इन दिनों हम लोग माता दुर्गा के लिए कलश स्थापित करके नियमित मां की पूजा करते हैं.मां की पूजा के बाद अगर प्रत्येक दिन एक एक ग्रह की शांति करें तो न दिनों में न ग्रहों की शांति हो जाएगी और ग्रहों के अशुभ प्रभाव के कारण जो भी परेशानी आ रही है उनसे आपको राहत मिल सकती है।नवग्रह शांति विधि: (Navgrah shanti Vidhi)
नवरात्रों के न दिनों में नवग्रह शांति की विधि यह है कि प्रतिपदा के दिन आप मंगल ग्रह की शांति करें, द्वितीय के दिन राहु की, तृतीया के दिन बृहस्पति की, चतुर्थी के दिन शनि ग्रह की, पंचमी के दिन बुध ग्रह की, षष्ठी के दिन केतु की, सप्तमी के दिन शुक्र की, अष्टमी के दिन सूर्य की एवं नवमी के दिन चन्द्रमा की.ग्रह शांति की प्रक्रिया शुरू करने से पहले कलश स्थापन और दुर्गा मां की पूजा करनी चाहिए.माता की पूजा के बाद लाल रंग के वस्त्र पर एक यंत्र बनायें.इस यंत्र में तीन खाने बनाकर Šৠपर के तीन खानो में बुध, शुक्र, चन्मा स्थापित करें बीच में गुरू, सूर्य, मंगल और नीचे के तीन खाने में केतु, शनि, राहु को स्थान दें.यंत्र बनने के बाद नवग्रह बीज मंत्र से इस यंत्र की पूजा करे फिर नवग्रह शांति का संकल्प करें.प्रतिपदा के दिन मंगल ग्रह की शांति होती है इसलिए मंगल ग्रह की फिर से पूजा करनी चाहिए.पूजा के बाद पंचमुखी रूद्राक्ष, मूंगा अथवा लाल अकीक की माला से 108 मंगल बीज मंत्र का जप करना चाहिए.जप के बाद मंगल कवच एवं अष्टोत्तरशतनाम का पाठ करना चाहिए.इसी प्रकार से राहु की शांति के लिए द्वितीया तिथि को राहु की पूजा के बाद राहु के बीज मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए फिर अष्टोत्तरशतनाम व कवच पाठ करना चाहिए.नवग्रह की शांति के लिए सभी ग्रह का विधान इसी प्रकार से रहेगा यानी सम्बन्धित ग्रह के बीज मंत्र से जप के बाद अष्टोत्तरशतनाम व कवच पाठ करें।
दसवीं के दिन नवग्रह यंत्र की पूजा के बाद इसे घर में पूजा स्थल पर स्थापित कर देना चाहिए और नियमित इसकी पूजा करनी चाहिए.
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