स्फ़टिक शिवलिंग-भाग्योदय साधना.
मनुष्य मूलत: पृथ्वी का ही भाग है,और इसी तत्व से उसमे मानसिक तथा शारीरिक स्थायित्व आती है.इस प्रकार स्फ़टिक पृथ्वि तथा अन्य तत्वो से ग्रहो से उर्जा ग्रहण कर मनुष्य मे पुन: सन्चारीत करने कि शक्ति रखती है.एक प्रकार से यह ''शक्ति केंन्द्र'' है,जो उर्जा को ग्रहण कर नियन्त्रित करती है.उसे इस प्रकार से प्रवाहीत करती है कि व्यक्ती उस उर्जा को ग्रहण कर सके और देह कि उर्जा मे गुणात्मक परिवर्तन कर सके.यहा तक कि उच्च कोटि के शिवलिंग स्फ़टिक शिवलिंग होते है.जिसके सामने बैठने मात्र से उर्जा भाव संचारित होति है.
किसी महा-शिवरत्रि कि शिवीर मे सदगुरुजीने तीन श्लोक बताये थे,ज्यो इस प्रकार है......................
स्फ़टिक लिंगमाराघ्यं सर्वसौभाग्यदायकम |
धनं धान्यं प्रतिष्ठाम च आरोग्यं प्रददाती स: ||
स्फटिक लिंगं प्रतिष्ठांप्य याजती यो पुमान |
रोगं शोकं च दारिद्रयं सर्व नश्चती तद गृहात ||
पूजनादास्य लिंगस्य अभ्यर्चनात सश्रध्दया |
सर्वपाप विनिर्मुक्तः शिव सायुज्यमाप्नुयात ||
साधना विधि :-
किसी भी सोमवार को स्फटिक शिवजी को अक्षत के आसन पे स्थापित कीजिये,दक्षिणमुख होकर आसन पर बैठे.फिर दूध,दही घी,शहद, और शक्कर से निम्न मंत्रो के साथ स्नान कीजिये .
ॐ शं सद्दोजाताय नम:दुग्धं स्नानं समर्पयामि |
ॐ वं वामदेवाय नम:दधि स्नानं समर्पयामि |
ॐ यं अघोराय नम:घृत स्नानं समर्पयामि |
ॐ नं तत्पुरुषाय नम:मधु स्नानं समर्पयामि |
ॐ मं ईशानाय नम:शर्करा स्नानं समर्पयामि |
फिर शुद्ध जल से स्नान कीजिये तथा दुसरे पात्र में कुंकुंम से स्वस्तिक बनाकर शिवलिंग को स्थापित कीजिये.धुप दीप पुष्प तथा अक्षत आदि से ''ॐ नम:शिवाय'' बोलते हुए संक्षिप्त पूजन कीजिये.इसके बाद दूध से बने नैवेद्य का भोग अर्पित कीजिये.फिर शिवलिंग पर दुग्ध मिश्रित जल से अभिषेक करते हुए निम्न मंत्र की १००८ बार जप करे.
मंत्र :-
|| ॐ शं शंकराय स्फटिक प्रभाय ॐ ह्रीं नम:||
अभिषेक वाले जल देवता को प्रणाम करते हुए प्रसाद रूप में ग्रहण कीजिये,यह प्रयोग २१ दिन का है ,इसके बाद शिवालिंग जी को पूजा स्थान में स्थापित कर दीजिये.
किसी महा-शिवरत्रि कि शिवीर मे सदगुरुजीने तीन श्लोक बताये थे,ज्यो इस प्रकार है......................
स्फ़टिक लिंगमाराघ्यं सर्वसौभाग्यदायकम |
धनं धान्यं प्रतिष्ठाम च आरोग्यं प्रददाती स: ||
स्फटिक लिंगं प्रतिष्ठांप्य याजती यो पुमान |
रोगं शोकं च दारिद्रयं सर्व नश्चती तद गृहात ||
पूजनादास्य लिंगस्य अभ्यर्चनात सश्रध्दया |
सर्वपाप विनिर्मुक्तः शिव सायुज्यमाप्नुयात ||
साधना विधि :-
किसी भी सोमवार को स्फटिक शिवजी को अक्षत के आसन पे स्थापित कीजिये,दक्षिणमुख होकर आसन पर बैठे.फिर दूध,दही घी,शहद, और शक्कर से निम्न मंत्रो के साथ स्नान कीजिये .
ॐ शं सद्दोजाताय नम:दुग्धं स्नानं समर्पयामि |
ॐ वं वामदेवाय नम:दधि स्नानं समर्पयामि |
ॐ यं अघोराय नम:घृत स्नानं समर्पयामि |
ॐ नं तत्पुरुषाय नम:मधु स्नानं समर्पयामि |
ॐ मं ईशानाय नम:शर्करा स्नानं समर्पयामि |
फिर शुद्ध जल से स्नान कीजिये तथा दुसरे पात्र में कुंकुंम से स्वस्तिक बनाकर शिवलिंग को स्थापित कीजिये.धुप दीप पुष्प तथा अक्षत आदि से ''ॐ नम:शिवाय'' बोलते हुए संक्षिप्त पूजन कीजिये.इसके बाद दूध से बने नैवेद्य का भोग अर्पित कीजिये.फिर शिवलिंग पर दुग्ध मिश्रित जल से अभिषेक करते हुए निम्न मंत्र की १००८ बार जप करे.
मंत्र :-
|| ॐ शं शंकराय स्फटिक प्रभाय ॐ ह्रीं नम:||
अभिषेक वाले जल देवता को प्रणाम करते हुए प्रसाद रूप में ग्रहण कीजिये,यह प्रयोग २१ दिन का है ,इसके बाद शिवालिंग जी को पूजा स्थान में स्थापित कर दीजिये.
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