बिगड़ी बातें बना देगा यह आसान भैरव मंत्र
शिव कल्याणकारी होकर वरस्वरूप माने गए हैं। इसलिए शिव नाम वरण यानी अपनाने की महिमा बताई गई है। सरल शब्दों में समझे तो शिव भाव यानी शुभ और मंगल कामनाओं से जीवन सुधारने वाले हर विचार व कर्म को अपनाना ही वास्तव में शिव भक्ति व सुख-सफलता रूपी वरदान पाने का उपाय है।
यही कारण है कि पुराणों में शिव की महिमा में कहा गया है कि जो भी शिव भाव के विपरीत यानी अशुभ, दोषपूर्ण या विनाशक विचार या कर्म से जुड़ता है तो उसके अंत के लिए शिव रौद स्वरूप में प्रकट होते हैं।
शिव का ऐसा ही धर्म रक्षक व शरणागत स्वरूप है - भैरव। शिव पुराण के मुताबिक भैरव शिव यानी रुद्र के पांचवे अवतार हैं। मान्यता है कि भैरव स्वरूप का प्राकट्य भी दोष, क्लेश व अधर्म के नाश के लिए हुआ। शिव स्वरूप होने से ही भैरव उपासना भय, अनिष्ट, अमंगल, विकार और संकट का नाश करने वाली मानी जाती है।
मंगलवार का दिन भैरव उपासना से मंगलदोष दूर करने की भी विशेष घड़ी मानी जाती है। जिसके लिये शास्त्रों में विशेष मंत्र से भैरव वंदना का महत्व बताया गया है। जानते हैं यह भैरव मंत्र और सामान्य पूजा उपाय -
- मंगलवार की सुबह, खासतौर पर शाम को भी, स्नान कर भैरव प्रतिमा को सिंदूर व सुगन्धित तेल से चोला चढ़ाएं। रक्त यानी लाल चंदन, अक्षत, गुलाब के फूल, जनेऊ, श्रीफल अर्पित कर पूजा करें। तिल-गुड़ या गुड़-चने का भोग लगाएं।
- सुगंधित धूप बत्ती व दीप जलाकर नीचे लिखे भैरव मंत्र से सारी उलझनों को सुलझानें की कामना से वंदना करें -
धर्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम्। द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये।।
- वंदना के बाद भैरव की धूप, दीप व कर्पूर आरती कर प्रसाद ग्रहण करें। काले व लाल कुत्तों को प्रसाद व रोटी खिलाएं।
यही कारण है कि पुराणों में शिव की महिमा में कहा गया है कि जो भी शिव भाव के विपरीत यानी अशुभ, दोषपूर्ण या विनाशक विचार या कर्म से जुड़ता है तो उसके अंत के लिए शिव रौद स्वरूप में प्रकट होते हैं।
शिव का ऐसा ही धर्म रक्षक व शरणागत स्वरूप है - भैरव। शिव पुराण के मुताबिक भैरव शिव यानी रुद्र के पांचवे अवतार हैं। मान्यता है कि भैरव स्वरूप का प्राकट्य भी दोष, क्लेश व अधर्म के नाश के लिए हुआ। शिव स्वरूप होने से ही भैरव उपासना भय, अनिष्ट, अमंगल, विकार और संकट का नाश करने वाली मानी जाती है।
मंगलवार का दिन भैरव उपासना से मंगलदोष दूर करने की भी विशेष घड़ी मानी जाती है। जिसके लिये शास्त्रों में विशेष मंत्र से भैरव वंदना का महत्व बताया गया है। जानते हैं यह भैरव मंत्र और सामान्य पूजा उपाय -
- मंगलवार की सुबह, खासतौर पर शाम को भी, स्नान कर भैरव प्रतिमा को सिंदूर व सुगन्धित तेल से चोला चढ़ाएं। रक्त यानी लाल चंदन, अक्षत, गुलाब के फूल, जनेऊ, श्रीफल अर्पित कर पूजा करें। तिल-गुड़ या गुड़-चने का भोग लगाएं।
- सुगंधित धूप बत्ती व दीप जलाकर नीचे लिखे भैरव मंत्र से सारी उलझनों को सुलझानें की कामना से वंदना करें -
धर्मध्वजं शङ्कररूपमेकं शरण्यमित्थं भुवनेषु सिद्धम्। द्विजेन्द्र पूज्यं विमलं त्रिनेत्रं श्री भैरवं तं शरणं प्रपद्ये।।
- वंदना के बाद भैरव की धूप, दीप व कर्पूर आरती कर प्रसाद ग्रहण करें। काले व लाल कुत्तों को प्रसाद व रोटी खिलाएं।
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