Thursday 28 May 2015

सिरोही राजस्थान का तीसरा सबसे छोटा जिला है। (पर्यटन स्थल)



एक भाग पहाड़ों से घिरा और हरा-भरा है जबकि दूसरा भाग शुष्क
सिरोही राजस्थान का तीसरा सबसे छोटा जिला है। यह पश्चिम में जालौर, उत्तर में पाली, पूर्व में उदयपुर और दक्षिण में गुजरात के बनसकांथा जिलों से घिरा है। माउंट आबू इसे दो भागों में बांटता है जिनमें से एक भाग पहाड़ों से घिरा और हरा-भरा है जबकि दूसरा भाग शुष्क है। नि:संदेह माउंट आबू सिरोही की सबसे प्रसिद्ध जगह है। लेकिन इसके अलावा भी सिरोही में कई पर्यटक स्थल हैं जो सैलानियों को आकर्षित करते हैं।
माउंट आबू
झील के आस-पास बसा माउंट आबू सिरोही का ही नहीं बल्कि राजस्थान का भी एकमात्र हिल स्टेशन है। यह अरावली पहाड़ियों के दक्षिण पश्चिमी छोर पर घने जंगलों के बीच बसा है। यह एक प्रमुख जैन तीर्थस्थल भी है।माउंट आबू का नाम अबरुदा नामक सांप के नाम पर पड़ा जिसने भगवान शिव के नंदी बैल की रक्षा की थी। माउंट आबू के प्रमुख आकर्षण दिलवाड़ा के जैन मंदिर और अनेक पुरातात्विक महत्व की जगहें हैं। रोमांचक रास्ते, मनमोहक झीलें, उत्तम पिकनिक स्पॉट और ठंडा मौसम, जो राजस्थान के अन्य हिस्सों से अलग है, माउंट आबू को पसंदीदा पर्यटक स्थल बनाता है। अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थलों में गोमुख मंदिर, नक्की तालाब, अचलगढ़, अधर देवी मंदिर, मंदाकिनी कुंड, हनीमून प्‍वाइंट और सनसेट प्‍वाइंट शामिल हैं।

सरकारी संग्रहालय
सिरोही के सरकारी संग्रहालय की स्थापना 1962 में की गई थी। इसके निर्माण का उद्देश्य इस क्षेत्र की पुरातत्व धरोहर का संरक्षण करना था। राजभवन प्रांगण में स्थित यह संग्रहालय कई भागों में विभाजित है। पहले हिस्से में पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के हथियार, वाद्य यंत्र, महिलाओं के गहने और वस्त्र प्रदर्शित किए गए हैं। संग्रहालय का मुख आकर्षण 6ठीं से 12वीं शताब्दी के बीच की देवदासी या नर्तकियों की मूर्तियां, चक्रबाहु शिव की प्रतिमा, 404 प्राचीन मूर्तियों का संग्रह और विष कन्या की प्रतिमा शामिल है।

नक्की झील
माउंट आबू की नक्की झील पहाड़ों के बीच स्थित बहुत खूबसूरत झील है। यह भारत की एकमात्र कृत्रिम झील है जो समुद्र तल से 1200 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। माना जाता है कि इस झील का निर्माण देवताओं ने अपने नाखुनों से किया था इसलिए इसका नाम नक्की झील पड़ा। झील में बोटिंग की सुविधा भी उपलब्ध है। नक्की झील के पास ही रघुनाथजी मंदिर भी है।

चंद्रावती
आबू रोड से 6 किमी. दूर चंद्रावती परमारों का शहर था। इसका वर्तमान नाम चंदेला है। परमार 10वी और 11वीं शताब्दी में अबरुदमंडल के शासक थे और चंद्रावती उनकी राजधानी थी। यह नगर सभ्यता, वाणिज्य और व्यापार का मुख्य केंद्र था। चूंकि यह परमारों की राजधानी था इसलिए सांस्कृतिक रूप से यह बहुत समृद्ध था। चंद्रावती तत्कालीन वास्तुशिल्प का बहुत अच्छा उदाहरण है। 1972 में सिरोही में आई बाढ़ से इसके कई अवशेष बह गए या टूट गए। बाद में उन्हें आबु संग्रहालय में सुरक्षित रख दिया गया। चंद्रावती की ख्याति का उल्लेख विमल प्रबंध सहित अन्य जैन साहित्यों में भी मिलता है। इस नगर के विनाश का मुख्य कारण अरबों के निरंतर आक्रमणों को माना जाता है।

सर्नेश्‍वर मंदिर
भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का संचालन सिरोही देवस्थानम द्वारा किया जाता है। ये चौहानों के देओरा संप्रदाय के कुलदेव हैं। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण परमार वंश के शासकों ने करवाया था क्योंकि मंदिर का ढांचा और आकार परमारों द्वारा बनवाए गए अन्य मंदिरों जैसा ही है। 1526 विक्रमी संवत में महाराव लखा की रानी अपूर्वा देवी ने मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करवाई। मंदिर परिसर में भगवान विष्णु की प्रतिमा ओर 108 शिव लिंगों का धारण किए एक प्लेट रखी है। मुख्य मंदिर के बाहर मंदाकिनी कुंड है जहां कार्तिक पूर्णिमा, चैत्र पूर्णिमा और वैसाख पूर्णिमा के दिन भक्त पवित्र स्नान करते हैं। विक्रम संवत भद्रपद माह में यहां उत्सव का आयोजन किया जाता है।

मीरपुर मंदिर
मीरपुर मंदिर के बारे में माना जाता है कि संगमरमर से बना यह राजस्थान का सबसे पुराना स्मारक है। दिलवाड़ा और रणकपुर के मंदिरों का निर्माण इसी मंदिर की तर्ज पर किया गया है। मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में राजपूत काल में किया गया था। इसकी नक्काशी दिलवाड़ा और रणकपुर मंदिरों के स्तंभों और परिक्रमा की याद दिलाती है। यह मंदिर 23वें जन र्तीथकर भगवान पार्श्‍वनाथ को समर्पित है। 13वीं शताब्दी में गुजरात के सुल्‍तान महमूद बेगडा़ ने इस मंदिर का ध्वस्त कर दिया। 15वीं शताब्दी में इसका पुनर्निर्माण किया गया। वर्तमान में इसका मुख्य मंदिर अपने उसी रूप में खड़ा है जिसके स्तंभ और नक्काशी भारतीय पौराणिक मान्यताओं से रूबरू कराते हैं।

सर्वधर्म मंदिर
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह मंदिर दुनिया के सभी मंदिरों को समर्पित है। यह सिरोही शहर में सर्किट हाउस से एक किमी. की दूरी पर स्थित है। मंदिर का वास्तुशिल्प उत्तम है। धार्मिक महत्व के वृक्ष, जैसे- रूद्राक्ष, कल्पवृक्ष, कुंज, करसिंगार, बेलपत्र आदि यहां उगाए गए हैं। इसके अलावा यहां केसर की खेती भी होती है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं जो मंदिर के आसपास, अंदर और ऊपर देखी जा सकती हैं। यह एक आधुनिक स्मारक है जो राष्ट्रीय एकता और सर्वधर्म समभाव की शिक्षा देता है।

कैसे पहुंचें
माउंट आबू सिरोही का प्रमुख स्थान है। ज्यादातर रास्ते और साधन आपको यहीं के लिए मिलते हैं। माउंट आबू से सिरोही के अन्य पर्यटक स्थलों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है।

वायु मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर यहां से 185 किमी. दूर है।
रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन आबू रोड 28 किमी. की दूरी पर है जो अहमदाबाद, दिल्ली, जयपुर और जोधपुर से जुड़ा है।
सड़क मार्ग: माउंट आबू देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग के जरिए जुड़ा है। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवा है। राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम की बसें दिल्ली के अलावा अनेक शहरों से माउंट आबू के लिए अपनी सेवाएं मुहैया कराती हैं।


सिरोही- एक नजर में
राज्य: राजस्थान
क्षेत्रफल: 5139 वर्ग किमी.
भाषा: , हिंदी, अंग्रेजी, गुजराती






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