Monday 18 May 2015

मुसीबतों से डरिये नहीं; जूझिये

प्रिय मित्रों, मनुष्य की इच्छा हो या नहीं लेकिन जीवन में उतार चढाव आना स्वाभाविक है. यह जीवन परिवर्तनशील परिस्थितियों से बंधा हुआ है  और इसी कारण चढ़े हुए गिरते हैं गिरे हुए उठते हैं..कठिनाइयाँ इस जीवन की एक सहज स्वाभाविक स्थिति है जिन्हें स्वीकार करके मनुष्य अपने लिए उपयोगी बना सकता है..जिन कठिनाइयों में कई व्यक्ति रोते हैं खुद को अकेला महसूस करते हैं उन्ही कठिनाई के पल में कई व्यक्ति नवीन प्रेरणा, नव उत्साह पाकर सफलता प्राप्त करते हैं. सबल मन वाला व्यक्ति बड़ी से बड़ी कठिनाई को भी स्वीकार करके आगे बढता है तो निर्बल मन वाला व्यक्ति छोटी-सी परेशानी में टूट सा जाता है...

मुसीबतों से डरिये नहीं, मुसीबतों से जूझिये हिंदी आलेख ओन  सक्सेस दोस्तों चलिए थोडा ठण्ड का मजा लेते हुए आगे बढते हैं तात्पर्य है यदि आप ठण्ड के मौसम की बात करें तो आपके मन में कोहरे की कल्पना आ ही जायेगी. यदि आप कोहरे के रास्ते पर चलें तो आपकी नजर सामने तक नही पहुच पायेगी पर जैसे-जैसे आप आगे बढते जायेंगे कोहरा आपकी नजरों से हटते जायेगा और बिना रुके आप कोहरे के बाहर निकल आयेंगे. लेकिन क्या कोहरा हमेशा छाए रहता है. जवाब है नही! मुसीबत भी उस कोहरे के समान ही है जिस प्रकार कोहरा हमेशा छाए नही रहता उसी प्रकार मुसीबत का कोहरा हम पर छाये रहे ये जरूरी नही. ठीक उसी तरह जब आगे बढते रहने से कोहरा हटता जाता है मुसीबत का समय रुपी जाल भी आगे बढकर प्रयत्न करते रहने से टूट जाता है.मुसीबत को न देखें
दोस्तों जब आप रात को साईकिल से कहीं घूमने निकलते हैं तब आपकी साइकिल कितने भी बड़े ऊँचे चढाव को पार कर जाती लेकिन यही साइकिल यदि आप सुबह उसी रास्ते पर चलायें तो आप थोडा झिझकते हैं कि रास्ते का चढाव कितना बड़ा है और शायद ही इसे पार किया जाये?

दोनों में इतना बड़ा अंतर इसलिए आता है क्योंकि रात को हमारी नजरें ऊँचे चढाव को नही बल्कि सिर्फ अपनी मंजिल, अपने रास्ते को देखती हैं पर सुबह उजाले में यही नजरें रास्ते के चढाव को देखती हैं! बात साफ़ है यदि हम सिर्फ अपनी मंजिल और अपने लक्ष्य को ध्यान में रखकर आगे बढते रहे तो हमें मुसीबतों का एहसास ही नही होगा पर यदि हम रास्ते में आने वाली हर एक रूकावट को देखते रहे तो कदम आगे बढ़ाना हमारे लिए दुरूह होगा. आपका ध्यान सिर्फ अपनी मंजिल पर होना चाहिए न कि रूकावटों पर.

“ये जीवन आपको इसलिए नही मिला कि आप अपनी रूकावटें गिनते जाएँ बल्कि इसलिए मिला है कि आप अपनी मुसीबतों और रूकावटों को चीरते हुए आगे बढते जाएँ”                      
  
परिवर्तन से डरना और अपने संघर्ष से कतराना इंसान की सबसे बड़ी कायरता है. जब तक सांस चल रही है तब तक कितनी भी बुरी परिस्थिति हो उसका आपको हंसकर आपको सामना करना होगा. दुःख-सुख, हानि-लाभ, सफलता-असफलता, सुविधा एवं कठिनाइयों के बीच आपको जूझना ही होगा और ये आयेंगे ही.. मुसीबतें या आपत्तियाँ तो इस संसार का स्वाभाविक धर्म है इससे न तो आप भयभीत होइए और न भागने की कोशिश कीजिये बल्कि अपने पूरे आत्मबल और साहस से उनका सामना कीजिये. उन पर विजय प्राप्त कीजिये और जीवन में बड़े से बड़ा लाभ उठाइए.

 दोस्तों जिस तरह आग की तेज भट्टी पर तपने से सोने का सुनहरा रंग निखरता है वैसे ही ऊँचे लक्ष्य रखने वाले सच्चे व्यक्ति का जीवन मुसीबत और कठिनाई रुपी आग से परिपक्व बनता है. मुसीबतों और कठिनाइयों के स्वरुप ही हमे सच्चे मित्रों का ज्ञान मिलता है. जब इतने सारे अमूल्य गुण मुसीबतों और कठिनाइयों में मौजूद हैं तो मुसीबतों से डरना कैसा..? जो लोग मुसीबत से डरने की बजाय उसमें जूझने की क्षमता रखते हैं वही अपने जीवन में सफलता हासिल करते हैं..

श्री हरिवंशराय बच्चन जी के इन बातों में कितनी सच्चाई छिपी है-
असफलता एक चुनौती है स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई देखो और सुधार करो,
जब तक न हो सफल नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम,
बिना कुछ किये ही जय-जयकार नही होती,
मेहनत करने वालों की कभी हार नही होती,
लहरों से डरकर नौका कभी पार नही होती,
मेहनत करने वालों की कभी हार नही होती.

“मुसीबत मेरे उस मित्र के समान है जिसने मुझे बचपन में नदी से डूबने से बचाया था यदि आप संघर्ष करने से कतराते हैं, खुद को आगे लाने से झिझकते हैं, और मुसीबत को गले लगाने से मुह फेरते हैं तो सफलता आपसे कोसों दूर रहेगी

“मुझे जीत का सबसे आसान रास्ता दिख रहा है वो है मुसीबतों से जूझना न कि पीठ दिखाकर भागना”  
“मुसीबत की घडी में आँख में आंसू लाने की बजाय आखिरी सांस तक रास्ता खोजना बेहतर है”.    


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