Monday 18 May 2015

पहचानिये आमला की शक्‍ति को वजन घटाने से लेकर तेज दिमाग तक,



हमारे देश में बहुतायत से मिलने वाला फल ,जिसे धात्रीफल ,अमृत फल भी कहते हैं ! अमृत जिसके सेवन से देवता अमर और चिरयुवा हो गए ! और इस अमृत फल के सेवन से वृद्ध च्यवन ऋषि पुनः युवा हो गए थे ! आयुर्वेद के अनुसार ये त्रिदोषनाशक है ! इसके गुण इसके अमृत फल नाम को सार्थक करते हैं !

वय स्थापक (शरीर को युवा रखने वाले ) द्रव्यों में यह सर्वश्रेष्ठ है ! यह शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति को बढाता है ! आंवले में नारंगी से 20 गुना अधिक vitamin c होता है ! यह एक बेहतर antioxident है जो शरीर को युवा और स्वस्थ रखता है !

बालों के रोग : -आंवले का चूर्ण पानी में भिगोकर रात्रि में रख दें। सुबह इस पानी से रोजाना बाल धोने से उनकी जड़े मजबूत होंगी, उनकी सुंदरता बढ़ेगी और मेंहदी मिलाकर बालों में लगाने से वे काले हो जाते हैं।

आंवला एक उत्तम रक्तशोधक है ! खून में जमा हुए विजातीय तत्वों को दूर करता है ! इसलिए रक्तविकार (फोड़े-फुंसी ) नाशक है !

यह एक श्रेष्ठ रसायन है ,जो शरीर की कोशिकाओं को लम्बे समय तक स्वस्थ और युवा रखता है ! इसका सेवन बालों एवं आँखों के लिए लाभकारी है !

शारीर में महसूस होने वाली झूठी गर्मी ,दाह (acidity ),और पुरुषों में वीर्य की गर्मी को दूर करता है !

त्रिदोष (वात, पित्त, कफ) से पैदा होने वाली उल्टी में आंवला तथा अंगूर को पीसकर 40 ग्राम खांड, 40 ग्राम शहद और 150 ग्राम जल मिलाकर कपड़े से छानकर पीना चाहिए।

हरे आंवले का रस 50 ग्राम, शक्कर या शहद 25 ग्राम थोड़ा पानी मिलाकर सुबह-शाम पीएं। यह एक खुराक का तोल है। इससे पेशाब खुलकर आयेगा जलन और कब्ज ठीक होगी। इससे शीघ्रपतन भी दूर होता है।

इसके रस को मिश्री के साथ लेने से गुर्दों में जमा मल दूर होता है ! शरीर में होने वाली थकान ,विबंध (constipation),यकृत विकार ,महिलाओं में अत्यधिक रक्तस्राव ,प्रदर ,गर्भाशय की दुर्बलता और पुरुषों में प्रमेह और शुक्रमेह को दूर करता है ! पोरुष को बढाता है !

आंवला सुप्रसिद्ध योग च्यवनप्राश और त्रिफला का मुख्य घटक है ! चूर्ण,मुरब्बा ,केन्डी ,आमलकी रसायन ,स्वरस(मिश्री या शहद मिला कर ) ,च्यवनप्राश किसी भी रूप में इसका सेवन किया जा सकता है !

आंवले के रस को आंखों में डालने अथवा सहजन के पत्तों का रस 4 ग्राम तथा सेंधानमक लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग इन्हें एक साथ मिलाकर आंखों में लगाने से शुरुआती मोतियाबिंद (नूतन अभिष्यन्द) नष्ट होता है।

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