Saturday 30 May 2015

विवाह में सात फेरे और सात वचन ही क्यों लिए जाते हैं. ...



अधिकाँश लोग सिर्फ इतना ही जानते हैं कि विवाह में पति-पत्नी एक साथ सात फेरे लेते हैं, पर ये कम ही लोग जानते हैं कि सात ही फेरे क्यों और इन सातों फेरों के पीछे कौन से अर्थ छिपे होते हैं? हिन्दू विवाह में सात फेरों का कुछ ख़ास ही महत्व है. सात बार वर-वधू साथ-साथ कदम से कदम मिलाकर फौजी सैनिकों की तरह आगे बढ़ते हैं. रीतियों के अनुसार सात चावल की ढेरी या कलावा बँधे हुए सकोरे रख दिये जाते हैं, इन लक्ष्य-चिह्नों को पैर लगाते हुए दोनों एक-एक कदम आगे बढ़ते हैं, रुक जाते हैं और फिर अगला कदम बढ़ाते हैं. इस प्रकार सात कदम बढ़ाये जाते हैं. प्रत्येक कदम के साथ एक-एक मन्त्र बोला जाता है. पर हमारे समाज में पंडितों को नियमों की अपुष्ट जानकारी होने के कारण उनके द्वारा सात फेरे अलग-अलग तरहों से कराये जाते हैं, पर एक बात तो होती ही है और वो है - सात फेरे.

आइये बताते हैं कि हिन्दू विवाह में सात फेरे ही क्यों लिए जाते हैं. सात फेरों में पहला कदम अन्न के लिए उठाया जाता है, दूसरा बल के लिए, तीसरा धन के लिए, चौथा सुख के लिए, पाँचवाँ परिवार के लिए, छठवाँ ऋतुचर्या के लिए और सातवाँ मित्रता के लिए उठाया जाता है. मतलब यह कि पति-पत्नी के रिश्तों में ईश्वर को साक्षी मानकर दोनों प्रण करते हैं कि एक दूसरे के लिए अन्न संग्रह, धन संग्रह करेंगे और मित्रता स्थापित करते हुए एक-दूजे की ताकत बनेंगे. ऋतुचर्या का पालन करते हुए न सिर्फ एक-दूसरे को सुख देने का प्रयास करेंगे, बल्कि एक-दूसरे के परिवार को भी सुखी रखने के लिए हमेशा प्रयासरत रहेंगे.
          
हालांकि शादी के दौरान जाने-अनजाने तो सभी सात फेरे लगा लेते हैं, पर यदि आपसी तालमेल बिठाने में पति-पत्नी सफल न हो सके तो सात फेरे लेने के बावजूद सात जनम तक साथ रहने की बात तो दूर,सात कदम भी साथ चलना पति-पत्नी के लिए दूभर हो जाता है.मित्रो हिन्दू मैं जब विवाह होता है तो भावी पति अपनी सात जन्मो तक साथ निभाने वाली संगनी को सात वचन देता है ,,इस सूत्र मैं हम देखेगे की वो सात वचन कोन से है तथा उनका अर्थ क्या है ।
सबसे पहले .....................
कन्या वर से यह सात वचन मांगती है​
पहला वचन: यज्ञ आदि शुभ कार्य आप मेरी सम्मति के बाद ही करेंगे और मुझे भी इसमें शामिल करेंगे.
दूसरा वचन: दान आदि के समय भी आप मेरी सहमती प्राप्त करेंगे.
तीसरा वचन: युवावस्था, प्रौढ़ावस्था और वृद्धावस्था में आप मेरा पालन-पोषण करेंगे.
चौथा वचन: धन आदि का गुप्त रूप से संचय आप मेरी सम्मति से करेंगे.
पांचवा वचन: तमाम तरह के पशुओं की खरीदारी करते या बेचते समय आप मेरी सहमति लेंगे.
छठा वचन: वसंत, गर्मी, बारिश, शरद, हेमंत, और शिशिर जैसी सभी ऋतुओं में मेरे पालन-पोषण की व्यवस्था आप ही करेंगे.
सातवाँ वचन: आप मेरी सहेलियों के सामने कभी मेरी हंसी नहीं उड़ायेंगे और न ही कटु वचनों का प्रयोग करेंगे.

वर द्वारा कन्या से लिए गए वचन
पहला वचन: आप मेरी अनुमति के बिना किसी निर्जन स्थान, उद्यान या वन में नहीं जायेंगे.
दूसरा वचन: शराब का सेवन करने वाले मनुष्य के सामने उपस्थित नहीं होंगी.
तीसरा वचन: जब तक मैं आज्ञा न दूँ, तब तक आप बाबुल के घर भी नहीं जायेंगे.
चौथा वचन: धर्म और शास्त्रों के अनुसार मेरी किसी भी आज्ञा का उल्लंघन नहीं करेंगे.
पांचवा वचन: उपरोक्त वचनों को देने के बाद ही आप मेरे वामांग में स्थित हो सकती हैं.

अब आप ही उपरोक्त दिए गए वर-वधु के इन सातों वचनों को गौर से पढ़ कर देखिये आपने कि किस प्रकार ईश्वर को साक्षी मानकर किए गए इन सप्त संकल्प रूपी स्तम्भों पर सुखी गृ्हस्थ जीवन का भार टिका हुआ है........ !

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