Friday 29 May 2015

सोशल एंटरप्रिन्योरशिप से पैसा कमाया जा सकता है।



क्युमैन फंड की सीईओ जैकलीन नोवोग्रैत्ज के अनुसार, भारत नवीनता की प्रयोगशाला बनता जा रहा है। यहां के सामाजिक उद्यमियों के उत्पाद और सेवाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके हैं और पाकिस्तान, बांग्लादेश व अफ्रीका आदि देशों में मदद कर रहे हैं। यह सफलता उस पुरानी धारणा को तोड़ रही है, जो सामाजिक उद्यम को परोपकार के पेशे के रूप में स्थापित करती है। इंडस्ट्री नामक सोशल एंटरप्राइज इंडस्ट्री की सहसंस्थापक और सामाजिक उद्यमी नीलम छिबर के अनुसार, यह परोपकार नहीं है। हम मार्केट सोल्यूशंस ढूंढ़ते हैं न कि कॉपरेरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी वाले समाधानों की खोज करते हैं। हम नियमित रूप से सोशल ऑडिट करते हैं। हम अपने कर्मचारियों के विकास के बारे में सोचते हैं और सामान्य व्यवसायों की तरह आगे बढ़ते हैं। सोशल एंटरप्रिन्योरशिप मॉडल सामूहिक उन्नति है, जहां दूसरों की मदद के साथ पैसा कमाया जा सकता है।

क्यों अपनाएं
ऐसा माना जा रहा है कि सामाजिक उद्यमिता भारत को प्रभावित करने वाले अगले बड़े कारकों में से एक है। सरकार, संस्थान और फंडिंग एजेंसी इस बात को महसूस कर रहे हैं कि सतत विकास का एक जरिया सोशल एंटरप्रिन्योरशिप है। इनोवरसेंट सोल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड के बिजनेस कंसल्टेंट व सीएसआर हेड निशांत सरावगी के अनुसार, यह नया उभरता हुआ क्षेत्र निवेशकों का ध्यान खींच रहा है। पहले सामाजिक समस्याओं पर काम करने वाले संस्थान आदर्शवादी, परोपकारी और व्यावसायिक गुणों से हीन माने जाते थे, लेकिन जैसेजैसे सोशल सेक्टर प्राइवेट सेक्टर के संपर्क में आ रहा है, दोनों को महसूस होने लगा है कि केवल एक ही तरीके को अपनाना ठीक नहीं है। पूरी तरह से परोपकार या पूरी तरह से पूंजीवादी होना स्थायी व बेहतर संस्थानों के निर्माण के लिए पर्याप्त नहीं है। धीरे धीरे दोनों एक मिश्रित समाधान की ओर बढ़ रहे हैं। असल में सामाजिक उद्यम अपने नए रूप में स्व स्थापित बिजनेस मॉडल हैं, जो समाज की बेहतरी के लिए काम करने के साथसाथ मुनाफा भी अर्जित करते हैं। यही बात निवेशकों को आकर्षित कर रही है। निशांत के अनुसार, जैसेजैसे भारत सामाजिक और प्रशासनिक चुनौतियों को संबोधित कर रहा है, सामाजिक उद्यम संसाधन व पूंजी प्रबंधन के स्पैक्ट्रम में असंय अवसर उत्पन्न कर रहे हैं।

फंड कहां से मिलेगा
ज्यादातर लोग जुनून और डोमेन नॉलेज के साथ सामाजिक उद्यम के क्षेत्र में आते हैं, लेकिन वे माध्यमों के बारे में नहीं जानते। सोशल सेक्टर इनवेस्टर भी मददगार साबित होते हैं। आईआईटी एम का वेंचर रूरल टेक्नोलॉजी एंड बिजनेस इनक्यूबेटर (आरटीबीआई) ग्रामीण उद्यमों को सांचे में ढालता है, मार्गदर्शन, सहयोग, आधारभूत ढांचा और प्रारंभिक पैसा प्रदान करता है। इस प्रक्रिया में आइडिया स्टेज से ही कंपनियों पर ध्यान दिया है।
वे उद्यमी, जो ग्राउंड वर्क कर चुके होते हैं, बाजर की रिसर्च कर चुके होते हैं और बिजनेस प्लान का पहला ड्राट बना चुके होते हैं उनका स्वागत किया जाता है। आईसीआईसीआई बैंक का आईएफएमआर ट्रस्ट, स्कोल फाउंडेशन और सोशल वेंचर फंड्स जैसे सॉन्ग एडवाइजर्स, इलेवर इक्विटी, लोक कैपिटल, अनलिमिटेड इंडिया, ओएसिस फंड, वेंचर ईस्ट इसके लिए आर्थिक सहायता मुहैया करवाते हैं। अशोका : इनोवेटर्स फॉर दी , श्वाब फाउंडेशन, खेमका फाउंडेशन आदि भी सामाजिक उद्यमियों को सहयोग प्रदान करते हैं।
यहां से मिलेगा पैसा

एक्युमैन फंड
यह गरीबों को किफायती कीमत पर सेवाएं उपलध करवाने वाले सामाजिक उद्यमों को सहयोग देता है। स्वास्थ्य, पानी, ऊर्जा और कृषि के प्रोजेक्ट इसके मुख्य फोकस हैं। अब तक यह 25 मिलियन डॉलर भारत में निवेश कर चुका है। हर साल 5 से 7 मिलियन डॉलर निवेश की योजना बनाई जाती है, जो लोन या इक्विटी के रूप में दिए जाते हैं। एक्युमैन फंड की सीईओ जैकलीन नोवोग्रैत्ज कहती हैं, 2015 तक हम 50 मिलियन डॉलर का निवेश करेंगे।

चुनौतियां
असल में सोशल एंटरप्रिन्योरशिप लाभ कमाने वाले व्यवसाय से बहुत अलग नहीं है, लेकिन इसमें चुनौतियां ज्यादा हैं। यहां कर्मचारियों को बरकरार रखने, बिजनेस मॉडल को आगे बढ़ाने और संसाधनों में बढ़ोतरी जैसी सभी समस्याओं से गुजरना होता है। आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र वेंकट कृष्णन ने दानदाताओं और सामाजिक संस्थानों को जोड़ने के लिए गिव इंडिया की नींव रखी। गिव इंडिया पर्यावरण संरक्षण से लेकर बाल कल्याण जैसे अनेकों प्रोजेक्ट पर काम करने वाले संस्थानों के साथ काम करती है। वेंकट ने चेरिटेबल ट्रस्ट की बजाय कंपनी का निर्माण किया। कंपनी में बोर्ड है, स्ट्रेटजी कंसल्टेंट्स हैं। वेंकट कहते हैं, आईआईएम अहमदाबाद की डिग्री ने मेरी गंभीरता को पुख्ता किया है और इसी वजह से प्रतिष्ठित लोग बोर्ड में शामिल हुए हैं। वास्तविकता में सामाजिक उद्यमों को चलाना गंभीरता, संयम और समझ की मांग करता है। इनके संचालन के लिए ऐसे पेशेवरों की जरूरत होती है, जो टार्गेट सेटिंग, प्रदर्शन और दायित्वों को समझते हैं।
आविष्कार
120 मिलियन डॉलर का सोशल वेंचर फंड आविष्कार व्यावसायिक गतिविधियों के माध्यम से आर्थिक रूप से कमजोर और ग्रामीण समुदायों को फायदा पहुंचाने की कोशिश करता है। शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, कृषि और टेक्नोलॉजी सेक्टर में यह फंड उपलध करवाता है।

मुंबई एंजल्स
मुंबई एंजल्स से फंडिंग के लिए उपयुक्त बिजनेस प्लान, टीम, ऑपरेशंस, फंडिंग की जरूरत, रेवेन्यू प्रोजेक्शन, मार्केटिंग प्लान और बिजनेस केस एनालिसिस से संबंधित पूरा विवरण होना चाहिए। प्रोजेक्ट के चयन के दौरान टीम, प्रॉडक्ट और आय जैसे सभी पहलुओं पर गौर किया जाता है। पहले का अनुभव, शिक्षा और पूर्व सफलताएं भी फायदेमंद होती हैं।

ग्रे मैटर्स कैपिटल
यह इंफॉर्मेशन, कम्युनिकेशन और टेक्नोलॉजी सेक्टर में निवेश करता है ताकि शहरी और ग्रामीण तकनीकी गैप को कम किया जा सके। यह सामाजिक क्षेत्र में निवेश के साथ साथ आईडीईएक्स फैलोशिप भी देता है, जो कि ग्रे मैटर्स कैपिटल फाउंडेशन और ग्रे घोस्ट वेंचर्स का सामूहिक प्रयास है। आईडीईएक्स उन युवाओं के लिए मददगार है, जो समाज उत्थान में अपना करिअर बनाना चाहते हैं।

संभावनाएं
सामाजिक उद्यम को पेशे के रूप में अपनाने के लिए दो सवालों पर गौर करना बेहतर होगा। पहला, क्या भारत सोशल एंटरप्रिन्योरशिप को विकसित करने के लिए एक उपयुक्त जगह बन रहा है? दूसरा सवाल है कि अगर यह अच्छी जगह है तो किस तरह सोशल एंटरप्राइज  को और विकसित किया जा सकता है? सवालों के जवाब तलाशने में कुछ अहम तथ्य आपकी मदद करेंगे। भारत दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। आज इस ग्रह पर सांस लेने वाला हरेक छठा व्यक्ति भारतीय है। दूसरी अहम बात यह है कि भारत में इस तरह के संस्थानों को एक अलिखित सामाजिक प्रतिष्ठा प्राप्त है। फिलहाल देश में करीबन 33 लाख एनजीओ काम कर रहे हैं, इसका मतलब है भारत के प्रति 400 लोगों के लिए एक एनजीओ काम कर रहा है। भारत की परिस्थिति और संस्कृति इनके विकास में योगदान देती है। आज भी भारत के चालीस प्रतिशत लोगों की आय सवा डॉलर प्रतिदिन से कम है, जो ढेर सारे सामाजिक सुधारों और मदद की दरकार रखता है।

इतनी बड़ी जनसंख्या की बेहतरी के लिए करने को ढेर सारे कामों की लंबी सूची है। भारत की जलवायु और राजनीतिक स्थिरता भी सोशल एंटरप्रिन्योरशिप के लिए अच्छा माहौल बनाती है। पाकिस्तान, सुडान और अफगानिस्तान की तुलना में भारत में काम करना कहीं ज्यादा आसान और सुरक्षित है। साथ ही सरकार ने ऐसी संस्थाओं को हमेशा सकारात्मक सहयोग दिया है। सरकार सोशल एंटरप्रिन्योरशिप के लिए फंडिंग, सडी से लेकर आधारभूत ढांचे के निर्माण में साथ दे रही है। सोशल नेटवर्क सोशल एंटरप्राइजेस को फलने-फूलने के लिए अच्छी जमीन दे रहा है। साथ ही विकसित हो रहे देश की वजह से पहचान का संकट भी समाप्त हो जाता है क्योंकि भारत वैश्विक मंच पर निर्णायक भूमिका का निर्वाह कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ, जो दुनिया के सबसे बड़े सोशल एंटरप्राइजेस का संचालन करता है, भारत की बात को गौर से सुन रहा है और कोशिश कर रहा है कि भारत की जमीन पर उसकी उपस्थिति ज्यादा से ज्यादा दर्ज हो क्योंकि समृद्ध और शक्तिशाली भारत निकट भविष्य में शांतिमय विश्व की गारंटी के साथ एक महान उपभोक्ता बाजार की तरह विकसित होगा।

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