Thursday 28 May 2015

फैशन डिजाइनिंग है: क्रिएटिविटी से भरपूर



 फैशन डिजाइनिंग की बात चलते ही मन में सवाल उठता है कि आखिर एक फैशन डिजाइनर गली के नुक्कड़ के दर्जी से अलग कैसे होता है? इसी सवाल के जवाब में है फैशन डिजाइनिंग की परिभाषा। फैशन डिजाइनिंग के कोर्स के दौरान छात्र न सिर्फ कपड़ों को अलग-अलग रूप-रंग और आकार में पहनने लायक बनाने के बारे में सीखते हैं, बल्कि उन्हें नए डिजाइन्स के लिए कॉन्सेप्ट तैयार करना, फैशन के बाजार, ग्राहक की पसंद, गार्मेट मेन्युफैक्चरिंग और तकनीकी बारीकियों के बारे में भी सिखाया जाता है। सबसे बडम अंतर तो यह है कि फैशन डिजाइनर आमतौर पर इस्तेमाल के लिहाज से बड़े पैमाने पर काम करते हैं, जैसे कोई डिजाइनर किसी बड़े ब्रांड के लिए अपने डिजाइन्स तैयार करता है, जिसे अलग-अलग साइज और रंगों में एक साथ कई ग्राहकों को स्टोर में बेचने के लिए रखा जाता है। वहीं दर्जी आपके लिए, आपकी पसंद और आकार को ध्यान में रखते हुए एक समय में एक ही कपड़ा तैयार करता है। 

कैसे करें शुरुआत
फैशन डिजाइनिंग में भविष्य देखने वाले छात्रों के लिए जरूरी है कि वे 12वीं तक किसी भी विषय में शिक्षा पूरी करें और उसके बाद देश-विदेश के नामी फैशन डिजाइनिंग संस्थानों की ओर से ली जाने वाली प्रवेश परीक्षा की तैयारी करें। पाठय़क्रमफैशन डिजाइनिंग में इन दिनों कई डिप्लोमा व डिग्री कोर्स मौजूद हैं। इनमें कुछ ट्रेडिशनल तो कुछ मौजूदा समय की मांग को देख कर तैयार किए गए नए कोर्स  हैं। संस्थान के साथ-साथ किस पाठय़क्रम को आप चुनना चाहते हैं, यह भी तय कर लीजिए। विभिन्न संस्थानों ने 3 से 4 वर्षीय ग्रेजुएशन डिग्री कोर्स व पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स उपलब्ध कराए हैं, जो इस प्रकार हैं:

बी. डिजाइन इन फैशन डिजाइन
बेचलर डिग्री इन फैशन डिजाइनिंग एंड टेक्सटाइल डिजाइनिंग
बी.एससी. इन फैशन एंड अपैरल डिजाइन
एम.ए. डिजाइन फैशन एंड टेक्सटाइल

डिप्लोमा इन डिजाइन
पीजी. डिप्लोमा इन डिजाइन इन दिनों फैशन डिजाइनिंग के अलावा फैशन कम्युनिकेशन कोर्स भी छात्रों को काफी पसंद आ रहा है। इस कोर्स के तहत छात्रों को अपैरल डिजाइनिंग और गार्मेट मैन्युफैक्चरिंग को छोड़ कर फैशन जगत की पूरी जानकारी दी जाती है, जिसमें फोटोग्राफी, ग्राफिक्स डिजाइनिंग, स्टाइलिंग, विजुअल मर्चेडाइजिंग आदि के बारे में बताया जाता है।

बी. डिजाइन इन फैशन कम्युनिकेशन
बेचलर इन फैशन मीडिया कम्युनिकेशन
एम.एससी. इन फैशन कम्युनिकेशन करियर में संभावनाएं
बडे-बडे फैशन डिजाइनरों के फैशन हाउसेज में काम करने का मौका
गार्मेट व टेक्सटाइल एक्सपोर्ट हाउस में नौकरी की संभावना
एक्सक्लुसिव एवं ब्रांडेड फैशन शोरूम्स का कारोबार
फैशन कम्युनिकेशन पाठय़क्रम के साथ यह संभावनाएं और भी बढ़ जाती हैं
समाचार पत्रों, पत्रिकाओं, वेब पोर्टल्स और टेलीविजन में फैशन जर्नलिस्ट
फैशन पीआर प्रोफेशनल्स
फैशन ब्रांड मैनेजर
फैशन ईवेंट डिजाइनर

रिटेल मर्चेडाइजर
फैशन कंस्लटेंट इसके अलावा कोई भी फैशन ग्रेजुएट अपना खुद का कारोबार भी खोल सकता है। फीस
नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी जैसे संस्थानों में जहां डिजाइनिंग पाठय़क्रम की फीस सालाना 1.2 लाख रुपये है, वहीं प्राइवेट इंस्टीटय़ूट्स में फैशन डिजाइनिंग से जुडे पाठय़क्रमों की फीस सालाना 2.5 लाख रुपये से शुरू होती है। फीस अधिकतर प्रति सत्र के लिए ली जाती है। एजुकेशनल लोन
सरकारी व गैर-सरकारी दोनों प्रकार के बैंक, प्रोफेशनल व वोकेशनल कोर्सेज के तहत फैशन डिजाइनिंग में डिग्री कोर्सेज के लिए भारत में 10 लाख रुपये तक व विदेश में शिक्षा के लिए 30 लाख रुपये तक का लोन मुहैया कराते हैं। वेतनबतौर फैशन डिजाइनर अगर आप किसी कंपनी, लेबल या किसी डिजाइनर को असिस्ट करना शुरू करते हैं तो आप 15 हजार रुपये मासिक वेतन पा सकते हैं। खुद के कारोबार में कमाई आपके काम करने के तरीके और क्लाइंट्स पर निर्भर करती है। एक्सपर्ट व्यूफैशन कम्युनिकेशन के बाद हैं ढेरों संभावनाएं
फैशन डिजाइनिंग से लेकर फैशन कम्युनिकेशन तक के पाठय़क्रम इन दिनों छात्रों में काफी लोकप्रिय हो रहे हैं। फैशन उद्योग जगत को कई नामी डिजाइनर देने वाले नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी यानी एनआईएफटी, दिल्ली के फैशन कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट की प्रमुख और सेंटर को-ऑर्डिनेटर अनुप्रीत भल्ला डुगल से जानते हैं उनकी राय। आपके संस्थान में इसकी कितनी फीस है और कितने छात्र यहां हर साल प्रवेश पा सकते हैं? इसकी फीस हर सत्र के अनुसार 60 से 62 हजार रुपये है और हमारे यहां हर साल औसतन तीस छात्र इस कोर्स में  प्रवेश पा सकते हैं। यह कोर्स दिल्ली के अलावा बेंगलुरू, हैदराबाद, कांगड़ा और मुंबई सेंटर्स में उपलब्ध है और उद्योग की मांग को ध्यान में रखते हुए भविष्य में इसे और सेंटर्स से भी शुरू करने की योजना है। इस पाठय़क्रम से छात्रों को क्या मदद मिलती है?

यह कोर्स उद्योग जगत को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है। हालांकि यह अभी थोड़ी नई फील्ड है, लेकिन यहां से छात्र पूरी तरह से तैयार होकर फैशन जगत में बतौर फैशन फोटोग्राफर, विजुअल मर्चेडाइजर, हेयर एंड मेकअप स्टाइलिस्ट, ग्राफिक डिजाइनर, फैशन जर्नलिस्ट, फैशन एग्जीक्युटिव आदि बन कर निकलते हैं। इस कोर्स के बाद छात्र चाहें तो अपना बिजनेस भी शुरू कर सकते हैं, जिसमें वे वेब डिजाइनर, ईवेंट मैनेजर आदि में अपना भविष्य खोज सकते हैं। इंस्टीटय़ूट 100 फीसदी प्लेसमेंट मुहैया कराता है, जहां सभी सेंटर्स से छात्र आकर कंपनीज में नौकरी के लिए आवेदन करते हैं। आगे किस-किस क्षेत्र में छात्र अपना भविष्य देख सकते हैं?
आज हिंदुस्तान में फैशन उद्योग जगत में काफी तेजी का दौर चल रहा है। जहां एक तरफ कई भारतीय ब्रांड उभर कर सामने आ रहे हैं, वहीं बहुत से इंटरनेशनल ब्रांड भी हमारे देश में अपना कारोबार जमा रहे हैं। इन परिस्थितियों को देखते हुए कह सकते हैं कि यहां से ग्रेजुएशन करने के बाद छात्र फैशन इंडस्ट्री के अलावा रिटेल, एडवर्टाइजिंग, लग्जरी ब्रांड मैनेजमेंट, फोटोग्राफी जैसे क्षेत्रों में अपना कौशल दिखा सकते हैं। फैशन डिजाइनिंग से फैशन कम्युनिकेशन कैसे अलग है?

फैशन कम्युनिकेशन का गारमेंट्स मैन्युफैक्चरिंग और अपैरल टेक्नोलॉजी से वास्ता नहीं है। यहां गारमेंट डिजाइनिंग की बजाय चार साल के कोर्स में छात्र फैशन जगत के नए आयामों जैसे फैशन फोटोग्राफी, ग्राफिक्स डिजाइनिंग, फैशन जर्नलिज्म, फैशन स्टाइलिंग, विजुअल मर्चेडाइजिंग जैसे विषयों के बारे में जानकारी हासिल करते हैं।

फैक्ट फाइल
720 करोड़ रुपये का है भारतीय फैशन उद्योग जगत भारतीय अपैरल उद्योग लगभग 2.7 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें से लगभग 1.62 लाख करोड़ रुपये के गार्मेट सिर्फ भारत में ही इस्तेमाल होते हैं, जबकि बाकी का निर्यात किया जाता है। फैशन जगत की कुछ रिपोर्टो के मुताबिक वर्ष 2020 में यह बाजार सालाना 13 से 15 फीसदी की विकास दर के साथ बढ़ कर 6.75 लाख करोड़ रुपये तक हो जाएगा। पिछले साल के मुकाबले इस साल की पहली तिमाही, अप्रैल से जून में रेडीमेड वस्त्रों के कारोबार में 10 फीसदी की दर से विकास देखने को मिला है।
क्रिएटिविटी दिखाने का मौका
क्लाइंट से लेकर कारीगर तक से बातचीत का मौका। नाम बन जाने पर मुंह मांगे पैसे की मांग
नामी-गिरामी हस्तियों के लिए काम के अवसर नुकसान
प्रतिस्पर्धा बहुत है
डिजाइन बहुत जल्दी कॉपी होते हैं
शो बिजनेस होने की वजह से निवेश ज्यादा
रिस्क फैक्टर ज्यादा है संस्थान
नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी

www.nift.ac.in पर्ल एकेडमी ऑफ फैशन, दिल्ली
www.pearlacademy.com वोग इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, बेंगलुरू
www.voguefashioninstitute.com स्कूल ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, पुणे
www.softpune.com सिम्बायोसिस इंस्टीटय़ूट ऑफ डिजाइन, पुणे
www.sid.edu.in नॉर्दर्न इंडिया इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, मोहाली
www.niiftindia.com जे.डी इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी, दिल्ली
www.jdinstitute.com नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ फैशन डिजाइन
www.nifd.net बर्मिघम इंस्टीटय़ूट ऑफ आर्ट एंड डिजाइन, बर्मिघम

No comments:

Post a Comment