स्पिरूलीना हरे-नीले रंग के शैवाल हैं। लैटिन अमेरिकी देशों में माया सभ्यता के दौरान इसे मुख्य भोजन के रुप में इस्तेमाल किया जाता था।
सही मायने देश में कुपोषण के खिलाफ जंग में वैज्ञानिकों को ‘स्पिरूलीना’ के रुप में वरदान मिल गया है।
भारत में स्पिरूलीना की कैंडी (कुल्फी, चॉकलेट या चिक्की के रूप में) को तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में स्थित दो हजार आदिवासी बच्चों पर आजमाया गया और इसका सकारात्मक असर देखा गया। इससे वैज्ञानिक उत्साहित हैं। चाइल्ड फंड इंडिया (सीएफआई) के राष्ट्रीय निदेशक डोला महापात्र के अनुसार, अध्ययन के दौरान बच्चों के दो समूह बनाए गए। एक समूह को ‘स्पिरूलीना कैंडी’ दी गई और दूसरे समूह को दैनिक भोजन। नियमित रूप से स्पिरूलीना का सेवन करने वालों की सेहत (कद और वजन) में दूसरे समूह के बच्चों के मुकाबले उत्साहजनक सुधार दिखा।
स्पिरूलीना एक कुपोषित व्यक्ति को उल्लेखनीय स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। यह विटामिन ए की कमी की वजह से आंख की समस्याओं को दूर कर सकते हैं कि बीटा कैरोटीन में समृद्ध है। प्रोटीन और बी-विटामिन जटिल एक शिशु के आहार में एक प्रमुख पोषण सुधार बनाता है। यह पूरे हार्मोन प्रणाली को विनियमित करने में मदद करता है कि एक आवश्यक फैटी एसिड जी एल ए की पर्याप्त मात्रा युक्त, मां के दूध के अलावा, केवल खाद्य स्रोत है।
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